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शादी में रस घोलती रस्में...

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अनेक ऐसी परंपराएँ, रस्में, रीति-रिवाज हैं, जिनके बिना विवाह अधूरे समझे जाते हैं और यही बात है कि पुराने जमाने से चली आईं ये परंपराएँ आज भी लोगों के बीच में पूर्ण रूप से निभाई जा रही हैं। चाहे बात बारात की अगवानी के समय दुल्हन द्वारा दूल्हेराजा के चेहरे पर चावल फेंकने की हो या फिर सासू माँ द्वारा अपनी प्यारी बहू की मुँहदिखाई की।

हर परंपरा, हर रस्म का अपना अंदाज होता है, अपना महत्व होता है। इन परंपराओं के बदले में मिलता है प्यार और लोगों का सत्कार। इसलिए आज भी लोग विवाह समारोह में इन्हें पूर्ण रूप से निभाना पसंद करते हैं।

जूते दे दो, पैसे ले लो
'दूल्हे की सालियों ओ हरे दुपट्टे वालियों जूते दे दो पैसे ले लो...' जीजा-साली की प्यारभरी नोकझोंक से भरा फिल्म 'हम आपके हैं कौन' का यह गाना आपने जरूर सुना होगा। इसमें सालियाँ अपने प्यारे जीजाजी को परेशान करने के लिए उनके जूते छुपाती हैं और बदले में पैसों की माँग करती हैं।

लेकिन जीजा व उनके दोस्त अपनी नखरैली सालियों को छेड़ने के चक्कर में उन्हें पैसे नहीं देते और जूतों को ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। वैवाहिक समारोहों के ये रस्मो-रिवाज केवल फिल्मों में ही नहीं, अपितु आम जीवन में भी हंसी-ठिठोली के रूप में लोगों द्वारा निभते चले आए हैं।

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चावल फेंकना
दूल्हे के स्वागत के समय दुल्हन स्वागत स्थल पर आकर दूल्हे का मुंह देखकर हल्दी के चावल उसके ऊपर फेंकती है, ताकि वह अपने भावी जीवनसाथी को विवाह पूर्व देख सके कि वह उसके अनुकूल है या नहीं।

द्वाराचार
द्वाराचार में वरपक्ष कन्यापक्ष से मिलता है, ताकि वे दोनों एक-दूसरे को समझ सकें। इस परंपरा का अर्थ है कि पूरे शहर में बारात को घुमाकर लोग यह जान जाएँ कि दूल्हा कैसा है, साथ ही जो बारात आई है वह तयशुदा है।

जूते छुपाना
सालियों द्वारा जीजाजी से नेग माँगने के चक्कर में जूते छुपाना काफी पुरानी परंपरा है। जिसमें सालियाँ जूते छुपाकर अपने जीजाजी से मुँहमाँगे पैसे लेती हैं। इस रस्म से दूल्हे का मूल्यांकन भी किया जाता है।

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मुँह दिखाई

मुँह दिखाई की रस्म में सासू माँ व पड़ोस की महिलाएँ नववधू का घूँघट खोलकर उसे नेग देती हैं कि कहीं उनकी प्यारी वधू को नजर न लग जाए, इसलिए बलैया लेती हैं। यह परंपरा बहू के चेहरे को देखने के लिए शुरू की गई।

द्वार रोकना
शादियों में वर-वधू का द्वार सालियाँ व बहनें रोकती हैं। इसके चलते दूल्हे द्वारा उन्हें नेग दिया जाता है। इसका एक पक्ष ससुराल में बहन द्वारा अपनी भाभी से परिचय करना भी है, जिससे दोनों के बीच अपनत्व की भावना पनप सके।

माँग भराई
विवाह मंडप में पगफेरों के समय दूल्हा अपनी दुल्हन की माँग में लाल रंग का सिंदूर भरता है, ताकि वह सदा सुहागन रहे व समाज में उसकी पत्नी के रूप में जानी जाए। यानी प्रतीकात्मक रूप से दुल्हन द्वारा माथे पर सिंदूर लगाया जाता है कि वह शादीशुदा है।

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