Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सहमति से बने संबंध बलात्कार नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला और महिलाओं का सुरक्षा घेरा हटना

हमें फॉलो करें सहमति से बने संबंध बलात्कार नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला और महिलाओं का सुरक्षा घेरा हटना

निवेदिता भारती

केस : राधिका और अमित कई सालों से साथ थे। साथ का मतलब समझना कोई मुश्किल काम नहीं। उनका साथ उनकी खुशी भी था और जरूरत भी। राधिका ये मान चुकी थी कि जिंदगी अब अमित के साथ ही गुजारनी है। अचानक कहीं और से राधिका को पता चला कि अमित ने शादी कर ली है।  
 
क्या गुजरती है महिलाओं पर : इन हालातों में राधिका की जिंदगी में किस तरह का इमोशनल बदलाव आया, यह समझ पाना कम से कम महिलाओं के लिए तो बहुत ही आसान है। हो सकता है कोई पुरूष आसानी से इस बात को न समझ पाए। सुप्रीम कोर्ट का ऐसा फैसला कि अमित ने जो किया उस पर कोई कानून उसे सजा देना तो दूर सवाल पूछने की तक इजाजत नहीं देता। तो क्या सवाल खत्म हो गए? तो क्या जो हुआ या हो सकता है कानूनी रूप से सही होने के कारण लोगों की नजरों में भी सही हो गया? सवाल कई हैं और जवाब किसी के पास नहीं।  
 
सुरक्षाघेरा खत्म होना : सीधे तौर पर कहा जाए तो इस फैसले के बाद पुरूषों के मन में जो थोड़ा बहुत कानून का डर था वह भी खत्म हो जाएगा। ऐसे माहौल में जहां कम उम्र की लड़कियों का भी संबंध बना लेना कोई आश्चर्य की बात नहीं। इस फैसले ने महिलाओं का सुरक्षाघेरा एकदम से खत्म कर दिया है। 
 
webdunia

सवाल हैं कई
 
1. कैसे मान लिया जाए कि कभी भी रिश्ते में ऐसे हालात नहीं बने जब कुछ तरीकों से महिला को ये भरोसा नहीं दिलाया गया कि शादी तुम्हीं से करना है? 
 
2. क्या घरों में परिवार वालों को अपने बेटों को सिखा देना चाहिए कि कानूनी फंदे से बचने के लिए भूलकर भी कोई वादा मत करना? 
 
3. क्या परिवार को बेटियों को सिखा देना चाहिए कि संबंध या तो बनाना ही मत और अगर बनाए हैं तो किसी लड़के के प्यार और शादी जैसे छलावों में फंसने की जरूरत नहीं? 
 
4. आखिर कैसे पता लगाया जाए कि पूरे संबंधों के दौरान कभी शादी जैसा मुद्दा उठा ही नहीं? लड़कियों ने लड़कों के खुद के प्रति झुकाव को देखते हुए यह स्वतः नहीं मान लिया कि वह उनसे शादी का इच्छुक है।  
 
क्या किया जा सकता है : हालांकि मामला बेहद जटिल है और किसी भी जन-स्वीकार्य नतीजे पर पहुंचना मुमकिन नहीं। फिर भी कुछ सलाह शायद हालत को संभाले रखें और महिलाओं और लड़कियों को इमोशनल मौत से बचा सके।
 
जिम्मेदारी है परिवार की 
 
1 अपनी बेटियों के संबंधों को गुनाह समझना बंद करें। उनसे बात करने की पहल करें। कौन उनसे खिलवाड़ कर रहा है जैसे मुद्दों पर उनसे बात करें। 
 
2. किस तरह खोखले वादों में फंसकर अपने मन को न कुचलें और अपनी जरूरतों और इच्छाओं को समझकर ही किसी रिश्ते की सीढ़ियां चढ़े। 
 
3. शादी और जीवनभर के साथ जैसे मुद्दों पर अपने पार्टनर से खुलकर बात करें। उनकी हरकतों को पहचानें। अपनी जिंदगी को उन तक सीमित न करें। 
 
4. आगे बढ़ने के रास्ते हमेशा सोच कर रखें। अच्छे दोस्त बनाएं, जिनसे हर मुद्दे पर बात की जा सके। समय समय पर अपने पार्टनर से उनके इरादों को पूछें और सही मांग रखें। आपको अपना सहारा और सुरक्षाकवच खुद बनना है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

उधार लेने और देने के लिए कौन सा दिन है शुभ, जानिए 7 जरूरी बातें