ब्रहमा ने कई प्राणी रचे, पर उनके रचे जिन दो प्राणी से सृष्टि बसी वह हैं स्त्री और पुरुष। पौराणिक काल के हर वेद और ऋचा में नारी की अनुपम महिला का गुणगान किया गया है।
गार्गी, मैत्रेयी, लोपामुद्रा, भारती, शकुंतला से लेकर सीता, कुंती, द्रोपदी, अहिल्या, तारा, मंदोदरी आदि तक के आख्यान हमें बताते हैं किउस युग की स्त्री अन्याय के विरूद्ध प्रखर आवाज बनकर खड़ी होती थी। वे सिर्फ पुरुषों की परछाई बनकर नहीं जीती थीं बल्कि अपने व्यक्तित्व के साथ चमकती थीं।
द्रोपदी के भरी सभा में अपने बड़ों से सवाल करना हो या दुशासन के रक्त से बाल धोने का कठोर संकल्प ... सीता का धरती में समा जाना हो या परित्याग के समय श्रीराम के प्रति लक्ष्मण को कहे शब्द कि कहना श्रीराम से उन्होंने अनार्यों का काम किया है.. उस युग में अपने पति को अनार्य कहना यह दर्शाता है कि नारी पति की अनुगामिनी नहीं थी बल्कि सचेत थी, सवाल करती थीं।
उस युग से लेकर आज के युग तक नारी के साथ हर तरह के 'विशिष्ट' अनुभव जुड़ते रहे हैं। एक तरफ उसकी महिमा का दिव्य मंडन मिलेगा वहीं दूसरी तरफ उसके शोषण की दास्तान के भी ग्रंथ भरे पड़े हैं। आज भी नारियों पर कविता, कहानी, उपन्यास लिखे जा रहे हैं वहीं आंकड़ों का सच कहता है कि हर 15 मिनट में इस देश में एक स्त्री का बलात्कार होता है।
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हर मोर्चे पर सफलतम होने का दावा करने वाली स्त्री इसी आंकड़े को देखकर परेशान है जो चीख रहा है कि हर 4 घंटे में देश में एक गैंग रेप होता है। शोषण, छेड़छाड़, अपहरण, हत्या, प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, दहेज, तेजाब जैसे और भी भयावह शब्द है जिनके सच्चे आंकड़े कभी सामने नहीं आते और पर्दे के पीछे ही सिसक सिसक कर दम तोड़ देते हैं।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
यत्रै नास्तुन पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः||
प्राचीन मनुस्मृति में नारी की महत्ता प्रतिपादित करते हुए कहा गया है कि 'जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवताओं का निवास होता है, जहां इनका अपमान होता है, वहां सारे धर्म-कर्म निष्फल हो जाते हैं। ताज्जुब है कि इतनी ऊंची सोच रखने वाले भारत में महिलाओं के साथ ऐसे भयानक अत्याचार हो रहे हैं, दुनिया की आधी आबादी के कुछ सुलगते सवालों को अब जवाब चाहिए...
मनुस्मृति में ही कहा गया है कि
किद्विधा कृत्वाऽऽत्मनस्तेन देहमर्धेन पुरुषोऽभवत्।
अर्धेन नारी तस्यां स विराजमसृजत्प्रभुः||
अर्थात् उस हिरण्यगर्भ ने अपने शरीर के दो भाग किए, आधे से पुरुष और आधे से स्त्री का निर्माण हुआ।
घर, दफ्तर और देश संभालने वाली नारी को जिस देश में बराबरी का दर्जा दिया गया उसी देश में नारी की दुर्दशा देखकर क्या आपके हृदय में टीस नहीं उठती...
साम्राज्ञी श्व्शुरे भव साम्राज्ञी स्वाश्र्वां भव ।
ननान्दरी साम्राज्ञी भव साम्राज्ञी अधि देवृषु ॥
ऋग्वेद में स्त्री को परिवार की स्वामिनी, साम्राज्ञी का दर्जा देते हुए कहा गया है कि नारी का सहयोग मानव जीवन में उन्नति के लिए आवश्यक है।
आज जरूरत इस बात की है कि धर्म के नाम पर आडम्बर करने वाले 'हम' नारी को समाज में वही स्थान, वही प्रतिष्ठा दें जिसकी बात हमारे धर्मग्रंथों व प्राचीन मनीषियों-ऋषियों ने कही है। वर्तमान का सच यह है कि हमारे धर्म प्रमुखों पर ही लगातार स्त्री शोषण के आरोप लग रहे हैं, शर्मनाक यह है कि वे सबित भी हो रहे हैं। आसाराम हो या राम रहीम, नित्यानंद हो रामपाल.. यह सूची बढ़ती ही जा रही है।
कामायनी में श्रीजयशंकर प्रसाद ने बड़ी खूबसूरत पंक्तियां लिखी हैं, उन्होंने लिखा है-
नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नभ-पग-तल में।
पीयूष स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में॥
पर क्या हम नारी को फिर से उसी उच्च स्थान पर आसीन नहीं कर सकते... या हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब विधाता नारी की कोख से पुरुष को जन्म देने से ही रोक दे...
पालने की नन्ही मीठी किलकारी भी हमारी विकृत मानसिकता का शिकार हो रही है और 80 साल की वृद्धा भी इसी देश में अपनी अस्मत लूटा कर देश के निरंतर गिरते चरित्र पर असहाय नजर आ रही है। शादीशुदा हो या कामकाजी, मॉर्डन हो या बुर्के व पर्दे में रहने वाली, शहरी हो या ग्राम बाला, किशोरी हो या युवती, गर्भवती हो या कुंवारी, हर उम्र, हर वर्ग की स्त्री के साथ पुरुषों की घिनौनी हरकतों के आंकड़े जुड़े हैं और अफसोस कि निरंतर बढ़ रहे हैं।
वेबदुनिया ने समय-समय पर सामाजिक सरोकारों और लैंगिक संवेदनशीलता पर अपने स्तर पर निरंतर आवाज उठाई है। आज फिर वेबदुनिया के माध्यम से देश की स्त्री कर रही है चंद सवाल आपसे। दिल को भीतर तक झकझोर देने वाले इस वीडियो को एक बार जरूर देखें...