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गर जीतना हो जमाने को ...

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हमें फॉलो करें सफलता

गायत्री शर्मा

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जहाँ मुश्किलें होती हैं, वहाँ रास्ते भी होते हैं। यदि आपमें आगे बढ़ने व कुछ कर दिखाने का जुनून है तो आप जीवन में सब कुछ हासिल कर सकते हैं। बस जरूरत है तो बुलंद हौसलों कि जो मुसीबतों के पत्थरों को चीरकर सफलता की नदी के रूप में प्रस्फुटित हो जाएँ।

हम जीवन में हर मोड़ पर, हर जगह संघर्ष करते हैं व पल-पल मरते व जीते हैं। पारिवारिक जिंदगी में जहाँ हमारा पाला रिश्तों की उलझनों से होता है वहीं व्यावसायिक जिंदगी में हमारा सामना अपने कार्य से पैदा हुई उलझनों व बॉस की डाँट-फटकार से होता है। दोनों ही स्थितियों में बेहतर बनकर सबको खुश करना हमारा सर्वोपरि लक्ष्य होता है।

जिंदगी में अगर आपको जीतना है व सफलता को गले लगाना है तो अपनी कमजोरी को दूर कर उसे अपनी ताकत बनाना होगा। यदि आपने अपनी बेहतरी सिद्ध कर दी तो कामयाबी और आपके बीच कोई फासला नहीं होगा।

हमेशा ऊपर की सोचें :
कामयाबी का मूल मंत्र है बहुत ज्यादा ‍हासिल करने की सोचो व उसको पाने के हिसाब से अपनी क्षमताएँ विकसित करो। यदि आपके सपने छोटे होंगे तो आपकी उड़ानें भी छोटी होंगी लेकिन यदि आपके सपने बड़े व आपमें कुछ कर दिखाने की क्षमता होगी तो छोटी-मोटी चीजों को तो आप यूँ ही हासिल कर लोगे।

  जब तक मुश्किलें नहीं आएँगी तब तक आपको अपनी कार्यक्षमता व गुणों का अहसास नहीं होगा। मुश्किलों में ही हमें अपनी खूबियों का पता लगता है। यही अवरोध आपके भीतर छुपी प्रतिभा को निखारने में मददगार सिद्ध होते हैं।      


व्यर्थ की बहस में न पड़ें :
कहते हैं 'थोथा चना बाजे घना' अर्थात जिसमें कम ज्ञान होता है, वो उसके ज्ञान की उतनी अधिक नुमाइश करता है। यदि आप ज्ञानी, कर्मठ व बुद्धिमान हैं तो आपका कार्य खुद-ब-खुद आपकी पहचान बन जाएगा तथा आपको किसी ऊँचे मुकाम तक ले जाएगा।

छोटी-छोटी बातों पर बहस करके आप अपना दिन भी खराब करते हैं और सामने वाले का भी, इसलिए इस प्रकार की बहस से जितना बचा जाए उतना अच्छा है। कम से कम बहस करते वक्त व्यक्ति का स्तर व ज्ञान देखकर ही बहस की जाए।

भीड़ से अलग मेरा सफर :
सुनकर सीखने के बजाय सीखकर सुनना ज्यादा अच्छा होता है। अकसर आप और हम यह सुनते हैं कि यदि आपने बॉस की हाँ में हाँ मिला दी तो बॉस भी खुश और आप भी खुश लेकिन ऐसा करने से पहले इतना भी तो सोचिए कि आपको कंपनी में वेतन आपके दिमाग व काबिलियत के लिए दिया जाता है न कि बॉस की चाटुकारिता करने के लिए, इसलिए किसी भी बात में हाँ करने से पहले दस बार सोचें। उसके बाद सोच-समझकर हाँ या ना का निर्णय करें।

मुश्किलों से निखरती है प्रतिभा :
जब तक मुश्किलें नहीं आएँगी तब तक आपको अपनी कार्यक्षमता व गुणों का अहसास नहीं होगा। मुश्किलों में ही हमें अपनी खूबियों का पता लगता है। यही अवरोध आपके भीतर छुपी प्रतिभा को निखारने में मददगार सिद्ध होते हैइसलिए ऐसी स्थिति में अपनी क्षमता का परिचय दें व अपनी एक अलग पहचान बनाएँ।

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