भोपाल में नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) की एमपी एड्स कंट्रोल सोसायटी में 'ब्लड सेफ्टी' की स्टेट कंसल्टेंट मोनल सिंह के अनुसार महिलाओं के लिए अपने जीवन में दोहरी भूमिकाएँ निभाना बेहद ही मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होता है। जहाँ एक ओर ऑफिस के कार्यों को सही ढंग से सम्पादित करना उनका लक्ष्य होता है वहीं दूसरी ओर अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना भी उतना ही जरूरी होता है। महिलाओं के लिए घर के छोटे-बड़े सामान से लेकर बच्चों की देखभाल, पति का खयाल व परिवार का मान-सम्मान बनाकर चलना तथा सामाजिक रिश्तों को तवज्जो देना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है परंतु यह खूबी भी तो महिलाओं में ही होती है कि वे हर रिश्ते को ताउम्र निभाने तथा हर कार्य को बखूबी करने की कला व हौसला रखती हैं।मेरा सफलता मंत्र :- अपनी पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ को एक-दूसरे में अतिव्यापित न होने दें। साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी का दखल रखने वाली भोपाल की साहित्यकार निशा व्यास मानती हैं कि महिलाओं के लिए कामकाजी व गृहिणी दोनों ही रूपों में अपनी श्रेष्ठता का प्रतिपादन करना बहुत ही अधिक चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हमारे समाज का माहौल ऐसा है कि महिला से हमेशा यह अपेक्षा की जाती है कि वो अपनी हर भूमिका को बखूबी निभाए। महिला स्वयं भी ऐसा ही करना चाहती है कि वो सभी को खुशियाँ दे सके लेकिन यह भी सच है कि एक ही समय में एक व्यक्ति दो जगह नहीं रह सकता है। मैं तो यह मानती हूँ कि महिला सब कुछ कर सकती है बशर्ते वो टाइम मैनेजमेंट को अपनाए। मेरा सफलता मंत्र :- 'टाइम मैनेजमेंट' सीखकर आप हर कार्य में सफल हो सकते हैं। शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र का जाना-पहचाना नाम इंदौर की पुष्पारानी गर्ग का है। इनके अनुसार महिला और चुनौती दोनों लगभग एक-दूसरे के पर्याय से हैं। वर्तमान में एकल परिवारों के बढ़ते प्रचलन के कारण महिलाओं के नौकरीपेशा होने की आवश्यकता बढ़-सी गई है। अब नौकरीपेशा महिलाओं का प्रतिशत दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलकर नौकरी करना चुनौतीपूर्ण इसलिए होता है क्योंकि जहाँ उसे अपने दफ्तर का काम करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर उसे अपने पति, बच्चों व घर के अन्य सदस्यों की जरूरतों का भी पूरा-पूरा खयाल रखना पड़ता है। इससे उसके शरीर व दिमाग पर दोहरा भार होता है। उसके साथ आर्थिक चुनौतियाँ, रिश्ते, घर का काम, बच्चों का लालन-पालन सभी प्रकार की जिम्मेदारियाँ जुड़ी होती हैं।मेरा सफलता मंत्र - दृढ़ इच्छाशक्ति, समय प्रबंधन व लगन से हर असंभव कार्य संभव हो जाता है।
उज्जैन के विद्या भवन स्कूल की बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर की सदस्य व कुशल मंच संचालिका चेताली छजलानी मानती हैं कि महिलाओं का नौकरीपेशा होना चुनौतीपूर्ण इसलिए होता है क्योंकि उनके साथ परिवार व समाज की अपेक्षाएँ बहुत अधिक होती हैं। हालाँकि परिजन उनके नौकरीपेशा होने को तो कबूल कर लेते हैं परंतु हमेशा उनसे यह भी अपेक्षा करते हैं कि वे घर-परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों में जरा भी कोताही न बरतें।
पहले घर का काम फिर बाहर का काम, ऐसा उनका मानना होता है। इस प्रकार नौकरीपेशा महिलाओं को जिंदगी में दोहरी जिम्मेदारियों को निभाना होता है। यदि उनके बच्चे हैं तो उन पर ध्यान देना भी महिला की ही जिम्मेदारी होती है इसलिए यदि महिला में थोड़ी-सी भी समझ है तो वह पारिवारिक रिश्तों को निभाने के साथ-साथ अपने करियर को नई दिशा भी दे सकती है। महिलाएँ यदि अपने परिवार को साथ लेकर, उनका विश्वास जीतकर कोई भी कार्य करती हैं तो अवश्य ही उसमें सफल होंगी।
मेरा सफलता मंत्र- अपने पति व परिवार का विश्वास जीतकर महिला जीवन की हर जंग में सफल हो सकती है।
ये है उन महिलाओं के विचार व सफलता मंत्र, जो आज कुशल गृहिणियाँ होने के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में भी सफलता अर्जित कर रही हैं। केवल नौकरीपेशा ही नहीं बल्कि हर वो गृहिणी भी एक सफल नारी के खिताब की हकदार है, जो अब तक रिश्तों को सहेजते हुए अपने परिवार की बगिया में प्यार के फूल खिला रही है तथा अपनी आने वाली पौध को संस्कारों व मर्यादा की खाद से पोषित कर रही है।