जहां भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम एशिया कप के फाइनल तक नहीं पहुंच पाई थी। वहां भारतीय महिला टीम ने पहले तो ना केवल हर फाइनल खेलने का अपना रिकॉर्ड कायम रखा, बल्कि 8 में से 7 बार इस टूर्नामेंट को जीतकर शक्ति प्रदर्शन किया।
मुख्य खिलाड़ियों को आराम देती रही महिला टीम
इस प्रतियोगिता में भारत को अपने दूसरी श्रेणी के खिलाड़ियों को आजमाने का मौका मिला। इससे भारतीय टीम की मजबूती का भी पता चला क्योंकि उसने कप्तान हरमनप्रीत कौर और उपकप्तान स्मृति मंधाना के बहुत योगदान नहीं देने के बावजूद आसानी से फाइनल में जगह बनाई।
भारतीय टीम का प्रभाव इस कदर रहा कि कप्तान हरमनप्रीत ने केवल 5 मैच खेले जिसमें उन्होंने 92 रन बनाए तथा 86 गेंदों का सामना किया। यहां तक कि तीन मैचों में कप्तानी का जिम्मा संभालने वाली मंधाना भी एक मैच में नहीं खेली थी। उन्होंने भी अपनी तरफ से बहुत अधिक योगदान नहीं दिया।
फाइनल में भारत पूरी ताकत से उतरा लेकिन उसे जीत के लिए कुछ खास नहीं करना पड़ा। मुख्य खिलाड़ी नहीं भी होते तो भी आज जीत भारत की ही होती। भारत ने एकतरफा मुकाबले में शनिवार को श्रीलंका को आठ विकेट से हराकर आठ सत्र में सातवीं बार महिला एशिया कप जीत लिया।
पिछले 14 साल में पहली बार फाइनल खेल रही श्रीलंका टीम ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया। वह नौ विकेट पर 65 रन ही बना सकी और भारत ने 8 . 3 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया। स्मृति मंधाना ने 25 गेंद में नाबाद 51 रन बनाये।
नए खिलाड़ियों ने किया प्रभावित
टूर्नामेंट की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि जूनियर खिलाड़ियों ने दबाव की परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन किया। तीन युवा खिलाड़ियों - 18 वर्षीय शेफाली वर्मा (166 रन और तीन विकेट), 22 वर्षीय जेमिमा रोड्रिग्स (217 रन) और 25 वर्षीय दीप्ति शर्मा (94 रन औैर 13 विकेट) ने बखूबी जिम्मेदारी संभाली।अपने चार ओवरों में सिर्फ सात रन देने वाली हरफनमौला दीप्ति शर्मा टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुनी गयी।
उन्होंने कहा, पहले मैच से आज तक हमने जिस तरह से एक इकाई के रूप में प्रदर्शन किया उससे वास्तव में खुश हूं। हमने मैच से पहले जिस योजना के बारे में चर्चा की थी उसे अंजाम देने में सफल रहे। मैंने उन चीजें पर ध्यान दिया जिसमें मैं मजबूत हूं। इस चीजों ने मुझे इस टूर्नामेंट में बहुत मदद की।
दीप्ति ने कहा, यहां के विकेट धीमे थे और इस टूर्नामेंट से पहले, मैंने अपनी बल्लेबाजी पर बहुत काम किया। इस तरह की बल्लेबाजी सत्र ने वास्तव में मेरी मदद की। यह जीत हमें आगामी श्रृंखला में भी बहुत आत्मविश्वास देगी।
भारत को टूर्नामेंट में एकमात्र हार चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से मिली। भारत को पाकिस्तान से बदला लेने का मौका नहीं मिला क्योंकि श्रीलंका ने सेमीफाइनल में उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पुरुष टीम का एशिया कप में रहा बेहद खराब प्रदर्शन, फाइनल में भी नहीं मिली जगह
वहीं इसकी तुलना अगर पुरुष क्रिकेट टीम से करें तो एशिया कप में निराशा हाथ लगी।ग्रुप चरण में पाकिस्तान और हांगकांग के खिलाफ जीत दर्ज करने के बाद टीम Super Four में पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ दबाव के क्षणों में बिखर गयी।
कभी सलामी बल्लेबाजी ने निराश किया तो कभी मध्यक्रम पटरी से उतर गया। सुपर 4 के दो मैच भारत लक्ष्य बचाने में विफल रहा और एशिया कप के फाइनल से बाहर हो गया।
टीम की सबसे बड़ी कमजोरी रही अंतिम ओवर की गेंदबाजी। खासकर भुवनेश्वर कुमार ने खासा निराश किया जिन्होंने पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ 19वें ओवर में 19 और 16 रन देकर मैच को एकतरफा बना दिया।
यहीं से 19वें ओवर की व्यथा शुरु हुई। कुछ खिलाड़ी तो ऐसे रहे जो लगभग पूरे टूर्नामेंट के दौरान फ्लॉप रहे। जैसे केएल राहुल, दीपक हुड्डा, आवेश खान।
इसके अलावा कार्तिक और पंत के बीच किसको मौका देना है उसमें रोहित कन्फूयज रहे। वहीं हरमनप्रीत कौर शुरुआत से साफ रही कि किस मैच में ऋचा घोष से कीपिंग करवानी है और किस मैच में शेफाली वर्मा से कीपिंग करवानी है।