(वामा साहित्य मंच ने ऑनलाइन मनाया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)
चुनौतियों से नहीं हारी, हम आज की नारी, बेटी की उड़ान मेरा अभिमान ऐसे ही संवेदनशील विषयों के साथ वामा साहित्य मंच ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को कोविड-19 की गाइड लाइन के चलते ऑनलाइन मनाया।
वामा साहित्य मंच इंदौर शहर से संचालित प्रबुद्ध महिलाओं का जानामाना साहित्य समूह है। वर्तमान में देश-विदेश और अन्य शहरों की महिला साहित्यकार इससे जुड़ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर मंच ने अनूठा आयोजन किया, जिसमें 25 चयनित रचनाकारों ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजन तीन हिस्सों में विभाजित था। पहले हिस्से में रचनाकारों को उस प्रेरक महिला पर 10 पंक्तियों में अपने विचार सुव्यक्त करने थे जिनसे वे जीवन में प्रभावित हुई हैं।
दूसरे हिस्से में बेटी की उड़ान मेरा अभिमान विषय पर काव्य पाठ था तथा तीसरे भाग में चुनौतियों से नहीं हारी, हम आज की नारी विषय पर किसी भी विधा में रचना पढ़नी थी।
आरंभ में शारदा गुप्ता ने सरस्वती वंदना गाई। आयोजन में पहले भाग में शांता पारेख ने विमला सिद्धार्थ एवं मंजरी 'निधि' ने सावित्री बाई फुले पर अपने भाव रखें। स्वाति सखी जोशी ने अपनी दादी, भावना दामले ने मां पर व आशा गर्ग ने भी संस्मरण सुनाए। उषा गुप्ता ने मां से जुड़ी भावनाओं को कविता में पिरोया।
कुछ स्वप्न, कुछ उड़ान ऐसे होते हैं, जिनके लिए हम अपनी बेटी के पंखों को तैयार करते हैं। इस ख़ूबसूरत अहसास को बेटी की उड़ान मेरा अभिमान विषय ने आकाश दिया जिसे वामा सखियों ने अपनी भावपूर्ण रचनाओं में पेश किया।
दिव्या मंडलोई ने लिखा, बेटी होती है ईश्वर का वरदान',विनीता शर्मा, मेरे सपनों को बुनती है मेरी बेटी, प्रीति दुबे, मेरी उड़ान होगी पूरी तेरी ही उड़ान से, स्मृति आदित्य, तुम उड़ चलो, तुम बढ़ चलो ये आसमान तुम्हारा है तुम जैसी हो वैसी अच्छी हो तुमसे अभिमान हमारा है,
रश्मि लोणकर, ढाल बन खड़ी हूं मैं,न हारना कभी न डरना कभी। डॉ सारिका सिंघानिया ने लिखा, स्त्री एक योद्धा है,
निशा देशपांडे, तूफानों में अडिग रही हूं,वज्रपात से डरी नहीं। शारदा गुप्ता, आंसुओं को दृढ़ इरादों में बदलने का हौसला रखती हूं, हंसा मेहता, हिम्मत कभी कम न थी संघर्ष करने की...
मधु टाक ने लिखा, मौन को जो शब्द दे सके ऐसी मुखरित वाणी हैं,नारी रिश्तों की गरिमा है। डॉ स्नेहलता श्रीवास्तव, कितना विकट है दृश्य मनुज सब कांपते हैं,मर्यादा का चिर हरण कर दुःशासन नाचते हैं।
इसी कड़ी में चंद्रकला जैन, चारुमित्रा नागर ने अपनी रचनाएं सुनाई। अर्चना मंडलोई ने 'हम फिफ्टी प्लस सहेलियां' कविता सुनाई व उम्र के इस मोड़ पर भी कैसे जीवंत व ऊर्जावान रहे बताया। नीलम तोलानी ने पंचचामर छन्द' में बहुत ही सुंदर रचना का पाठ किया- अनन्य प्रीत चाहना,अतुल्य रूप धारिका,पुनीत ग्रंथि रीत की,चली निभाती साधिका।
चुनौतियों से नहीं हारी, हम आज की नारी विषय पर बोली गई रचनाएं उत्साहित कर गई। इस आयोजन में संस्थापक अध्यक्ष पदमा राजेन्द्र, अध्यक्ष अमर चड्ढा, उपाध्यक्ष ज्योति जैन, डॉ. शारदा मंडलोई की गरिमामयी उपस्थिति निरंतर उत्साहवर्धन करती रही।
25 प्रतिभागियों ने महिला दिवस पर आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में पूरे भावभीने अंदाज में अपनी प्रतिभागिता दी।
सचिव इंदु पराशर ने आगामी कार्यक्रम के बारे में जानकारी साझा की। कार्यक्रम का संचालन शिरीन भावसार ने किया। रुपाली पाटनी ने आभार व्यक्त किया।
जिन प्रतिभागियों ने इसमें अपनी उपस्थिति दर्ज कराई उनके नाम इस प्रकार हैं...
मेरे जीवन की आदर्श महिला
शांता पारेख, मंजरी 'निधि' जोशी, स्वाति सखी जोशी, आशा गर्ग, भावना दामले, उषा गुप्ता
बेटी की उड़ान मेरा अभिमान
दिव्या मंडलोई, विनिता शर्मा, प्रीति दुबे, स्मृति आदित्य, रश्मि लोणकर, उषा धारुणे, मीनाक्षी रावल
चुनौतियों से नहीं हारी, हम आज की नारी
डॉ सारिका सिंघानिया, निशा देशपांडे, शारदा गुप्ता, हंसा मेहता, मधु टाक, डॉ स्नेहलता श्रीवास्तव,चंद्रकला जैन, चारुमित्रा नागर, सरला मेहता, अर्चना मंडलोई, नीलम तोलानी, अमर चड्ढा।