कभी बेटी बनकर घर को सजाती हैं, तो कभी मां बनकर अपने बच्चों की जिंदगी संवारती हैं, जरूरत पड़ने पर आर्थिक सहायता देने और पुरुषों के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर चलने में भी पीछे नहीं हटतीं। मन में ममता और करुणा का भाव लिए बड़ी ही खूबसूरती के साथ अपनी सभी जिम्मेदारियां निभाती हैं परिवार की धुरी महिला। आज महिलाएं सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, कला, साहित्य, खेल और विज्ञान हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे हैं और कहीं तो उनसे दो कदम आगे ही हैं।
सारी दुनिया में 8 मार्च को महिलाओं के लिए उनका दिन यानि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। 'वर्तमान में महिलाओं की स्थिति कैसी है और कैसी होना चाहिए' विषय पर विभिन्न क्षेत्रों से जु़ड़ी महिलाओं के अपने अलग-अलग विचार हैं, कुछ का कहना है कि स्थिति संतुष्टिजनक तो नहीं है, तो वहीं कुछ कहती हैं कि अभी तो शुरुआत है आगे बहुत कुछ कर दिखाना है।
गंभीरता से देखा जाए तो वर्तमान में महिलाओं की स्थिति पूरी तरह संतुष्ट होने वाली नहीं है, लेकिन मैं नकारात्मक सोच में विश्वास नहीं करती इसीलिए ऐसा नहीं कह सकती। जब तक महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं रहेंगी तब तक उनकी उन्नति संभव नहीं है। उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। : सलमा कुरैशी
मैं कुण्डम के जमो़ड़ी गांव से आई हूं। आदिवासी क्षेत्र होने के नाते यह काफी पिछ़ड़ा हुआ क्षेत्र है। क्योंकि मैं शिक्षित हूं अपने अधिकारों से परिचित हूं, इसीलिए आज यहां तक पहुंच पाई। मैंने महिलाओं की दो विपरीत स्थितियां देखी हैं इसीलिए संतुष्ट होने का तो सवाल ही नहीं। : जमुना बाई सावंत
मैं पिछले 19 वर्षों से सेंट्रल जेल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हूं। आज मैं जहां तक पहुंची हूं इसमें मेरी खुद की मेहनत है। जेल में रहकर कई तरह की महिलाओं की स्थिति और बाहर की महिलाओं की स्थिति से मैं भलीभांति वाकिफ हूं। इसीलिए मानती हूं कि वर्तमान में महिलाओं की स्थिति संतुष्टिजनक नहीं है... : सविता शिंदे
महिलाओं की स्थिति के साथ नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही पक्ष हैं। महिलाओं के अधिकार को जितनी प्राथमिकता दी जा रही है उसे महिलाएं खुद ही समझ नहीं पा रही हैं। आरक्षण की ही बात ले ली जाए। चुनाव लड़ती तो महिलाएं हैं लेकिन उन्हें उस पद पर पहुंचकर क्या-क्या अधिकार प्राप्त हैं ये पता नहीं रहते। : समता शर्मा
अभी कुछ ही वर्षों पहले की स्थिति से तुलना की जाए तो महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आया है। हर बात के दो पहलू होते हैं। जहां तक संतुष्टि की बात है तो महिलाओं की स्थिति से पूरी तरह से न खुश हुआ जा सकता है और न ही संतुष्ट, अभी काफी कुछ करना बाकी है।वर्तमान में शहरी क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति तो बहुत अच्छी है। कहा जा सकता है कि वे किसी बात में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर अभी स्थिति दयनीय है। : भावना सामरिया
अभी बहुत कम प्रतिशत ऐसा है जो शिक्षित हैं और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। समाज के अन्य लोगों को महिलाओं को पहले और आज में महिलाओं की स्थिति में बदलाव तो आया है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि स्थिति संतोषजनक है। अभी भी ऐसे बहुत से अधिकार हैं जो महिलाओं को प्राप्त करना हैं। सबसे अहम बात है कि महिलाओं को खुद ही जागृत होना पड़ेगा। अपने हित के लिए स्वयं सोचना होगा। : प्रमिला गायकवाड़