Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

नारी पर कविता : तुम हर युग में पूजित हो

Advertiesment
हमें फॉलो करें नारी पर कविता : तुम हर युग में पूजित हो
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

नारी तुम स्वतंत्र हो,
जीवन धन यंत्र हो।
काल के कपाल पर,
लिखा सुख मंत्र हो।
 
सुरभित बनमाल हो,
जीवन की ताल हो।
मधु से सिंचित-सी,
कविता कमाल हो।
 
जीवन की छाया हो,
मोहभरी माया हो।
हर पल जो साथ रहे,
प्रेमसिक्त साया हो।
 
माता का मान हो,
पिता का सम्मान हो।
पति की इज्जत हो,
रिश्तों की शान हो।
 
हर युग में पूजित हो,
पांच दिवस दूषित हो।
जीवन को अंकुर दे,
मां बनकर उर्जित हो।
 
घर की मर्यादा हो,
प्रेमपूर्ण वादा हो।
प्रेम के सान्निध्य में,
खुशी का इरादा हो।
 
रंगभरी होली हो,
फगुनाई टोली हो।
प्रेमरस पगी-सी,
कोयल की बोली हो।
 
मन का अनुबंध हो,
प्रेम का प्रबंध हो।
जीवन को परिभाषित,
करता निबंध हो।

ALSO READ: नारी की महत्ता पर चंद दोहे

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महिला दिवस विशेष : नारी की महत्ता पर चंद दोहे