अक्सर कामकाजी महिलाएं अपने जॉब के साथ परिवार के हर सदस्य के लिए सुबह उठने से रात तक सोते समय तक किसी ना किसी काम में लगी रहती हैं। उनकी हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं को समय पर पूरा कैसे करना है, यह बराबर ध्यान रहता है और इन्हीं उलझनों में वे अपने आपको भूल जाती हैं। सबके लिए सोचना व करना अच्छा है, पर अपने लिए भी सोचना जरूरी है। आप भी अपने लिए कुछ करने का संकल्प लें और कुछ छुटपुट बातों पर विशेष ध्यान दें।
अधिक न खाएं
भोजन करना हमारे लिए जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। खाना जहां स्वास्थ्य और सौंदर्य को बरकरार रखता है वहीं अधिक खाना यानी कि पेटू होना इन दोनों चीजों को चौपट कर देता है। अच्छे-खासे शरीर पर अतिरिक्त चढ़ी हुई चर्बी बदसूरती तथा बीमारियों को निमंत्रण देती चली जाती है। ऐसा आहार जिसमें चिकनाई का प्रयोग अधिक से अधिक किया गया हो, हर हाल में शरीर के लिए नुकसानदायक होता है।
पेट की आवश्यकता पूरी करने के लिए यदि ताजे फल, दूध, हरी सब्जियां, दही, सूप, ज्यूस और अनाज का पर्याप्त मात्रा में सेवन किया जाए तो बिना किसी प्रसाधन के ही त्वचा की ताजगी और शरीर की फिटनेस बनाए रखी जा सकती है। सही खानपान से आप सुगठित देह और कांतिवान त्वचा को बनाए रख सकती हैं।
ईर्ष्या त्यागें
कुदरत ने सभी को एक-दूसरे से रंग-रूप, कद-काठी में भिन्न-भिन्न बनाया है। अपने से खूबसूरत फिगर, लहराते बाल, दमकता रंग-रूप आदि को देखकर जलने और ईर्ष्या करने से कुछ हासिल नहीं होगा उल्टा आप जो कुछ हैं उस पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाएं। जिस व्यक्ति और जिन बातों से आपको जलन हो रही है उन्हें प्राप्त करने के लिए खुशी-खुशी प्रयत्न करें। उन उपायों को खोजें जिनसे आप में निहित कमियां दूर हो सकती हैं।
क्रोध से बचें
आप कितनी भी सुंदर हैं, पर यदि छोटी-छोटी बातों पर आप क्रोध अधिक करती हैं तो इससे अच्छा-खासा सौंदर्य भी चौपट होने में समय नहीं लगेगा। मुंह बनाने, त्योरियां चढ़ाने, तेवर दिखाने से त्वचा में खिंचाव आता है जिससे असमय ही त्वचा झुर्रियों की शिकार हो जाती है। क्रोध चेहरे को तो बिगाड़ता ही है, साथ ही स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। इससे तनाव बढ़ता है। चिंता करने से सिरदर्द बढ़ता है और नींद तक गायब हो जाती है। इन सबका असर भी खूबसूरती पर पड़ता है। खूबसूरती बनाए रखने के लिए क्रोध पर संयम रखें और अपनी त्वचा को रूखी होने से बचाएं। किसी बात को मन में रखकर मनगढ़ंत बातें सोचने से बेहतर है खुलकर बात कर ली जाए ताकि रिश्ते भी न बिगड़े और सेहत भी बनी रहे।
जीवनचक्र में उतार-चढ़ाव, सुख-दुख आते रहते हैं। किसी एक ही बात को लेकर उसकी सोच में डूबे रहना या अपनी दयनीय स्थिति को बार-बार किसी के आगे कहकर दुखी होना आपको जीवन के प्रति हताश कर देगा। जो भी हालात बने हैं धैर्य के साथ उनसे उबरने की योजनाएं मन ही मन बनाएं और इस बीच अपनी सोच पॉजीटिव रखें। आपको मन की शांति मिलती रहेगी। यदि मन शांत है विचलित नहीं तो इसका प्रभाव भी आपकी सेहत और सौंदर्य पर पड़ेगा ही।
हंसता-मुस्कुराता चेहरा एक ओर जहां सबको अच्छा लगता है, वहीं स्वयं के लिए भी स्वास्थ्य और सौंदर्य को बरकरार रखने का सबसे अच्छा टॉनिक है। हास्य और प्रेमभाव दोनों से ही चेहरे की रंगत, आंखों की चमक, गालों की लालिमा और दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
बढ़ा हुआ रक्तसंचार बिलकुल नॉर्मल चेहरे पर भी अजीब-सी रौनक बिखेर देता है। यदि इनका महत्व आपने समझ लिया तो आपकी खूबसूरती में आंतरिक और बाहरी रूप से वृद्धि होगी ही। गीता सार को कमरे में लगाकर रखें। जो होना है होगा ही। फिर किसी भी चीज को लेकर आगे की चिंताएं करना अपने वर्तमान को भी बिगाड़ना है।
कहा भी गया है चिंता चिता से भी बढ़कर है फिर उसे गले लगाने से या उसी सोच में चलते रहने से क्या फायदा? आज में, और पूर्ण संतुष्टि के साथ जीने में खुशी बटोरें। यह तन-मन को राहत देगा। जीवन में शांति का अहसास बना रहे तो आप पाएंगी कि काया भी निरोगी है और सौंदर्य भी सलामत।