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अब गलतियों की कोई गुंजाइश नहीं

महेला जयवर्धने की कलम से

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हमारा अंतिम समूह मैच मुंबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ जीतना बेहद महत्वपूर्ण रहा। हम पहले दौर की समाप्ति अच्छे प्रदर्शन के साथ करना चाहते थे और इसमें सफल भी रहे। कुल मिलाकर यदि पाकिस्तान के खिलाफ मैच छोड़ दिया जाए तो हमने पिछले कुछ सप्ताह में जोरदार प्रदर्शन किया है।

न्यूजीलैंड की टीम हमेशा संगठित रूप से प्रयास करती है और वानखेड़े स्टेडियम में भी उन्होंने हमें चुनौती दी। इस मैच से हमें न सिर्फ वानखेड़े स्टेडियम से परिचित होने का मौका मिला बल्कि शनिवार को होने वाले क्वार्टर फाइनल से पहले हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ा है।

जब हमने शुरुआत में कुछ विकेट गँवाए तो हमारा लक्ष्य अच्छी साझेदारी करने का था। सीमित ओवर मैच में साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है।

यदि एक छोर से विकेट लगातार गिरें तो रन बनाने की गति भी धीमी हो जाती है। मैं और संगकारा जानते थे कि जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था पिच उतनी सपाट नहीं थी। हमने शुरुआत में न्यूजीलैंड की अच्छी गेंदबाजी का भी पूरा सम्मान किया। हमारी योजना थी कि ठंडे दिमाग से खेलते हुए पारी को संभालें। हमें पता था कि हम अंतिम ओवरों में तेजी से रन बना सकते हैं खासकर बल्लेबाजी पॉवर प्ले के दौरान।

हमें अपनी गेंदबाजी की विविधता पर पूरा भरोसा था कि यदि हम 250 रन भी बना लेते हैं तो न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के लिए लक्ष्य पाना मुश्किल होगा। गेंदबाजों ने भी हमें निराश नहीं किया। सबसे खास मुरलीधरन रहे जिन्होंने पिच और परिस्थितियों का उपयोग करते हुए शानदार गेंदबाजी की। हमारा क्षेत्ररक्षण अच्छा था, लेकिन कई कैच हमने छोड़े।

अब हम क्वार्टर फाइनल में आ चुके हैं और इस तरह की गलतियों की कोई गुंजाइश नहीं है। यदि हम खिताबी मुकाबले में पहुँचना चाहते हैं तो गलतियों में सुधार करना होगा। सबसे अंत में मैं यही कहूँगा कि हम इंग्लैंड का सामना करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

-हॉक आई


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