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फैसले की घड़ी...किसमें कितना है दम?

- सीमान्त सुवीर

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बस अब कुछ घंटों का ही वक्त बाकी रह गया है...इंतजार की घड़ियाँ खत्म होने को है। क्रिकेट की समझ रखने वाले दुनिया के करोड़ों लोगों की नजरें बुधवार को दोपहर ढाई बजे से चंडीगढ़ से 12 किलोमीटर दूर पहाड़ियों से घिरे मोहाली क्रिकेट स्टेडियम की 70 गज की सीमा पर टिक जाएँगी और वे दिल थामकर भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले विश्वकप के सनसनीखेज और दिलचस्प सेमीफाइनल मैच को देखेंगे।

दो अरब लोग विश्वकप को देखेंगे : आँकड़ों के मुताबिक टेलीविजन सेट्‍स पर करीब 2 अरब लोग विश्वकप के इस सबसे बड़े मैच को देखेंगे, लेकिन लगता है ये आँकड़ा और बढ़ेगा जिसकी वजह ये है कि इसमें सिर्फ 22 खिलाड़ियों के बीच ही श्रेष्ठता का मुकाबला नहीं होगा, बल्कि भावनात्मक रूप से जुड़े करोड़ों लोगों के जज्बातों की अग्निपरीक्षा वाला साबित होने जा रहा है, जिसके गवाह दोनों देशों के प्रधानमंत्री तो बनेंगे ही, साथ ही 'बिलियनेयर्स' कही जाने वाली शख्सियतें भी इस रोमांच को देखने के लिए मौजूद रहेंगी।

ताकि जीत का जश्न मनाया जा सके : क्वार्टर फाइनल मैच के बाद से ही मीडिया ने भारत-पाकिस्तान के सेमीफाइनल मैच को जो 'हाइप' दी है, शायद ही पिछले किसी विश्वकप के मैच को मिली होगी। दोनों देशों के खिलाड़ियों के प्रदर्शन और आकलन पर की जा रही टिप्पणियाँ मैच की शुरुआत होने के साथ ही खत्म हो जाएँगी। जैसे-जैसे मैच के पल गुजरेंगे, क्रिकेट दीवानों की साँसें फूलती और दिलों की धड़कनें तेज होती चली जाएँगी। मैच का परिणाम कोई नहीं जानता, लेकिन उससे पहले ही हर भारतवासी के दिल में यह जज्बा जाग ही गया है कि भारत जीते और उसे तिरंगे ध्वज के साथ जश्न मनाने का मौका मिले।

उमड़-घुमड़ रहा है तूफान : हालात बता रहे हैं कि मैच शुरू होने के 48 घंटे पहले से ही छोटे शहरों से लेकर महानगर तक, नेता से लेकर अभिनेता तक, मजदूर से लेकर मालिक तक और कर्मचारी से लेकर नियोक्ता तक में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर जो तूफान उमड़ रहा है, उसका अंदाजा लगाना कठिन है। पहले तो भारत का हर तीसरा शख्स क्रिकेट में दखल रखता था, लेकिन आज तो हर आदमी इस मैच की संभावनाओं को लेकर अपना ज्ञान बाँटने में लगा हुआ है। देश के खबरिया चैनल भी इस सेमीफाइनल मैच को पूरी तरह भुनाने में जुटे हैं।

भयावह परिणाम : माना कि क्रिकेट एक 'जुनून' है लेकिन ये जुनून भारत-पाकिस्तान के मैच को लेकर हो तो वह अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है। किसी भी टीम को हार कबूल नहीं होती, क्योंकि उसके बाद के संभावित परिणाम काफी दुखद होते हैं। इस सोच के पीछे कई मुद्दे जुड़े होते हैं।

दिल से मिलते हैं दिल : भारत की अवाम को न तो पाकिस्तान की अवाम से नफरत है न ही पाकिस्तान में रहने वाले भारतीयों को अपना दुश्मन मानते हैं। सच तो ये है कि जो लोग पाकिस्तान जाते हैं, उनकी आवभगत में कोई कमी नहीं होती और उन्हें ऐसा लगता है कि कोई बिछुड़ा हुआ मिल गया और जो लोग उधर से आते हैं, उन्हें 'अतिथि देवो भव:' जैसा सत्कार मिलता है। सोच ये रहती है कि हमारा पड़ोसी मीठी यादों के साथ लौटे ताकि वो वहाँ बता सकें कि भारतीय अपना 'दिल निकालकर' रखने में कोई परहेज नहीं करते। इसे कहते हैं 'दिल मिलना'।

लता और नूरजहाँ में सगी बहनों जैसा प्यार : आप उस वाकये को शायद भूल गए होंगे जिसमें मशहूर गायिका नूरजहाँ लताजी को अपनी बड़ी बहन मानती थी और उनसे कहती थीं कि आप सरहद पर रोटी लेकर आ जाना मैं पाकिस्तान से अपना अचार लेकर आऊँगी और हम दोनों बहनें बॉर्डर पर ही मिल-बाँटकर अपना पेट भरेंगे और अपने दु:खु-सुख आपस में बाँट लेंगे। आप ये भी देखें कि गजल गायक मेहंदी हसन और गुलाम अली को हिन्दुस्तान में कितनी इज्जत दी जाती है, इस इज्जत को आप सिर्फ महसूस कर सकते हैं।

सियासतदारों से नफरत : दरअसल दोनों ही मुल्कों की अवाम की नाराजगी सियासी लोगों से हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें ही मोहरा बनाया जाता है। जब राजनीति की 'जाजम' बिछती है तो बातचीत का नतीजा सिफर ही होता है। हिन्दुस्तानी लोग पाकिस्तान सियासतदारों से इसलिए नफरत करते हैं क्योंकि उनकी ही पनाह में दहशतगर्दी फलती-फूलती है, जिसका खामियाजा बेकसूरों को भुगतना पड़ता है।

तमाचा राजनीतिज्ञों के गाल पर : खेल के मैदान में जब पाकिस्तान हारता है तो भारतीयों का करारा तमाचा पाकिस्तान राजनीतिज्ञों के गाल पर पड़ता है। भारत की जीत पर लाखों लोगों का सड़कों पर उतरकर जश्न मनाने का चलन हो गया है, जिसे आप रोकने के बजाय उसमें शामिल होना गर्व समझते हैं। ये जश्न इसलिए होता है ता‍कि उनके दिलों में जल रही आग को कुछ देर के लिए ही सही, ठंडक तो मिल जाती है।

पाकिस्तान की करारी शिकस्त की ख्वाहिश : विश्वकप के सेमीफाइनल में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर यूँ ही माहौल नहीं बना, बल्कि आम क्रिकेटप्रेमी चाहता था कि किसी न किसी मोड़ पर ये टक्कर जरूर हो, ताकि 'ब्ल्यू ब्रिग्रेड' पाकिस्तान को सबक सिखा सके। 'गोल मेज' पर होने वाली मीठी-मीठी बातों से आम भारतीयों का कोई लेना-देना नहीं रहता, वो तो खेल के मैदान पर पाकिस्तान की करारी शिकस्त की ख्वाहिश रखता है।

पाकिस्तान टीम में भूचाल : मोहाली की जमीन भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटरों द्वारा किए जा रहे अभ्यास के बाद निकले ही पसीने से तर हो रही है। सचिन तेंडुलकर, सहवाग, युवराज, धोनी के साथ बाकी खिलाड़ी भी इस अहम मुकाबले की अहमियत से वाकिफ हैं जबकि दूसरी तरफ अफरीदी एंड कंपनी में भूचाल आया हुआ है। पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने खिलाड़ियों से 'फिक्सिंग' से दूर रहने की चेतावनी देकर उनके मनोबल को डिगा दिया है। सेमीफाइनल जैसे स्तर पर फिक्सिंग की बात उठना अजीब लगती है, लेकिन जिस मैच पर पाँच हजार करोड़ रुपए का सट्‍टा लगा हो, वहाँ सब कुछ संभव है।

कौन होगा मोहाली का मीर : बहरहाल, अब पूरी दुनिया की नजरें मैच पर लग गई हैं कि आखिर कौन होगा 'मोहाली का महाबली'? बुधवार को मैच शुरू होने के साथ प्रति पल बदलने वाले रंग हरेक को आंदोलित करने के साथ ही रोमांचित करेंगे। टीम इंडिया का हर खिलाड़ी गर्जना करने के लिए बेताब है।

किसमें कितना है दम : खिलाड़ियों को इसका अहसास भी है कि देश में जो माहौल बन गया है, मैच के परिणाम के बाद उस माहौल का मंजर कैसा होगा। धोनी और अफरीदी की ही नहीं, दोनों देशों की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है। भारत-पाकिस्तान दोनों ही देशों में कुछ घंटों के लिए सब कुछ थमने जा रहा है और जल्दी ही पता चल जाएगा कि किसमें कितना दम है, बस जरूरत इसी की है कि मैच के परिणाम पर संयम बरता जाए और जोश में होश न खोया जाए, ताकि 'अमन' कायम रहे।

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