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सचिन-मुरली का मुकाबला

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, शनिवार, 2 अप्रैल 2011 (09:13 IST)
भारत और श्रीलंका के बीच विश्वकप फाइनल को मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर और दिग्गज स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के बीच का मुकाबला करार दिया जा रहा है।

सचिन के नाम वन-डे के सर्वाधिक रन हैं जबकि मुरली वन-डे में विकेटों के शीर्ष पर हैं। दोनों का ही यह अंतिम विश्वकप है। सचिन के नाम रनों का पहाड़ है और कई मैच विजयी प्रदर्शन दर्ज हैं। हालाँकि उनसे अभी तक केवल विश्वकप खिताब अछूता रहा है।

इस टूर्नामेंट में वे शानदार फॉर्म में चल रहे हैं। वे शतकों के शतक से भी महज एक कदम दूर हैं। पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में मिले कई जीवनदानों के बावजूद वे यह उपलब्धि हासिल करने से चूक गए थे। अपने ही घर में यह रिकॉर्ड बनाने का उनके पास मौका है।

उधर मुरलीधरन भी विकेटों के शिखर पर हैं। अपने अंतिम टेस्ट में उन्होंने 800 का आँकड़ा छूआ जबकि अपने घर पर खेले गए अंतिम वन-डे में फेंकी गई अंतिम गेंद पर भी विकेट लिया। वे 1996 की विश्वकप विजेता टीम के सदस्य रहे थे। उनके पास एक और खिताब जीतने का अवसर है।

1996 की याद मिटाने का भी है लक्ष्य : श्रीलंका के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में जब भारतीय टीम उतरेगी तो उसका लक्ष्य मात्र 1986 के बाद दूसरा विश्वकप खिताब जीतने का नहीं होगा। उसके पास 1996 के सेमीफाइनल में कोलकाता में किए गए खराब प्रदर्शन की यादों को भी मिटाने का मौका रहेगा।

श्रीलंका द्वारा दिए गए 252 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय भारत 92/1 की अच्छी स्थिति में था, लेकिन सचिन तेंडुलकर के आउट होने के बाद बल्लेबाजी क्रम अचानक लड़खड़ा गया और टीम 120/8 की दयनीय स्थिति में पहुँच गई थी।

गुस्साए दर्शकों ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर बोतलें फेंकना शुरू कर दीं और स्टेडियम में आगजनी की घटनाएँ भी हुईं। यह मात्र एक खेल है और दर्शकों को अपनी भावनाओं पर काबू रखना होगा, जिससे ऐसी घटना दोबारा न हो। उस मैच से जुड़े तीन शख्स इस समय वर्तमान टीमों से संबंधित हैं।

मुरलीधरन (उस मैच के प्रमुख खिलाड़ी) और अरविंद डी"सिल्वा (वर्तमान प्रमुख चयनकर्ता) भारतीय टीम के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे होंगे, वहीं सचिन तेंडुलकर की शनिवार को होने वाले फाइनल में अहम भूमिका रहेगी।

मुरली ही एकमात्र विजेता : दोनों ही टीमें एक-एक बार विश्व कप खिताब जीत चुकी हैं। भारत 1983 में तो श्रीलंका 1996 में। वानखेड़े स्टेडियम में इन दोनों टीमों के बीच होने वाले फाइनल में मुथैया मुरलीधरन ही विश्वकप जीतने वाली टीम के एकमात्र सदस्य हैं। (नईदुनिया)

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