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सातवें मैच में डाला बारिश ने खलल

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नई दिल्ली , रविवार, 6 मार्च 2011 (20:42 IST)
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विश्वकप और बारिश का वर्षों पुराना रिश्ता रहा है तथा ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच कल कोलंबो में बिना परिणाम के छूटा मैच इस क्रिकेट महाकुंभ के 35 साल के इतिहास में सातवाँ ऐसा मैच था, जिस पर बारिश कहर बनकर टूटी।

श्रीलंका के लिए यह मैच बेहद महत्वपूर्ण था लेकिन जब उसने तीन विकेट पर 146 रन बनाए थे, तभी मूसलाधार बारिश शुरू हो गई जिसने थमने का नाम नहीं लिया।

आखिर में यह मैच बिना किसी परिणाम के समाप्त कर दिया गया और दोनों टीमों को एक-एक अंक मिला। इस मैच में रोमांचक मुकाबला होने की संभावना थी क्योंकि श्रीलंका ने अपनी टीम तीन स्पिनर रखे थे लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों और श्रीलंकाई स्पिनरों के बीच जंग होने से पहले ही बारिश ने सारा रोमांच खत्म कर दिया।

वैसे यह पहला अवसर नहीं है जबकि बारिश ने किसी मैच का मजा किरकिरा किया हो। असल में 1975 में विश्वकप शुरू होने के बाद से ऐसे 36 मैच खेले गए हैं, जो किसी न किसी तरह से बारिश से प्रभावित रहे।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 1992 में खेले गए विश्वकप में सर्वाधिक दस मैच पर बारिश का असर देखने को मिला था, जबकि 2007 में सात और 2003 में पाँच मैचों को इंद्रदेव ने प्रभवित किया था।

इंग्लैंड में खेले गए पहले तीन विश्वकप में तो बारिश के कहर से बचने के लिए दो रिजर्व दिन भी रखे गए थे लेकिन तब भी 1979 में श्रीलंका और वेस्टइंडीज का मैच बिना गेंद फेंके रद्द करना पड़ा था। यह मैच 13 जून को होना था तथा अगले दो दिन रिजर्व रखे गए थे लेकिन तीनों दिन जमकर बारिश हुई और इस तरह से यह विश्वकप में बारिश की भेंट चढ़ने वाला पहला मैच बन गया।

भारत 1983 में चैंपियन बना था लेकिन इस टूर्नामेंट के शुरू में उसने वेस्टइंडीज को 34 रन से हराया था, जो कैरेबियाई टीम की क्रिकेट महाकुंभ में पहली हार थी। यह मैच भी दो दिन चला था।

वेस्टइंडीज ने 9 जून को जब दो विकेट पर 67 रन बनाए थे, तभी बारिश आ गई और मैच दस जून को पूरा हो पाया था। उस टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान तथा ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज मैच भी दो दिन तक खिंचे थे।

भारत और पाकिस्तान में पहली बार आयोजित विश्वकप में दो मैच बारिश से प्रभावित रहे थे। इस विश्वकप में भी एक रिजर्व दिन रखा गया था। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच इंदौर में खेला गया मैच निर्धारित दिन को भारी बारिश के कारण नहीं हो पाया, जिसके कारण इसके अगले दिन आयोजित किया गया लेकिन तब भी केवल 30-30 ओवर का खेल ही हो पाया था।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 1992 में तो बारिश ने खूब कहर बरपाया। कई मैचों पर इसका असर देखने को मिला। भारत और श्रीलंका के बीच मैकाय में बारिश के कारण केवल दो गेंद डाली गई।

इसी तरह से इंग्लैंड ने एडिलेड में पाकिस्तान को 74 रन पर समेट दिया था लेकिन जब उसने एक विकेट पर 24 रन बनाए थे, तभी बारिश आ गई और आखिर में चैंपियन बनी पाकिस्तानी टीम बिना परिणाम के छूटे मैच में एक अंक लेने में सफल रही।

उपमहाद्वीप में 1992 में खेले गये विश्वकप में दो मैच बारिश से प्रभावित रहे थे। इनमें से केन्या और जिम्बाब्वे के बीच पटना में होने वाला मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था। इंग्लैंड में 1999 में तीन मैचों पर इंद्रदेव ने दखल डाली थी, जिनमें से न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे के बीच लीड्स में खेला गया मैच बिना परिणाम के समाप्त करना पड़ा था।

दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और कीनिया में 2003 में खेले गए विश्वकप का वेस्टइंडीज और बांग्लादेश के बीच बेनोनी में खेले गए मैच का भी बारिश के कारण परिणाम नहीं निकल पाया था। बारिश ने फिर से सबसे गहरी चोट मेजबान दक्षिण अफ्रीका को पहुँचाई थी।

श्रीलंका के खिलाफ डरबन में खेले गये मैच में जब उसे 30 गेंद पर 40 रन चाहिए थे, तभी बारिश आ गई। डकवर्थ लुईस के हिसाब से मैच टाई हो गया जिसके कारण दक्षिण अफ्रीका सुपरसिक्स में नहीं पहुँच पाया था। तब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मैच भी बारिश से प्रभावित रहा था।

इसके चार साल बाद वेस्टइंडीज में जब-तब बारिश मैचों में खलल डालती रही। इनमें ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच फाइनल मैच भी शामिल है। ऑस्ट्रेलियाने तब 38 ओवर का कर दिए गए मैच में चार विकेट पर 281 रन बनाए लेकिन श्रीलंका के सामने 36 ओवर में 269 रन का लक्ष्य रखा गया। श्रीलंका ने बेहद धुंधली रोशनी में पारी समाप्त की थी। (भाषा)

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