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2003 की हार का बदला चुकाने का इंतजार

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भोपाल , बुधवार, 23 मार्च 2011 (19:47 IST)
भारत और ऑस्ट्रेलिया गुरुवार को अहमदाबाद में विश्वकप का दूसरा क्वार्टर फाइनल खेलने जा रहे हैं लेकिन इस महामुकाबले से पहले भारतीय क्रिकेटप्रेमियों को 23 मार्च 2003 का दिन याद आ रहा है जब टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में खिताबी मुकाबले में कंगारूओं से पराजय झेलनी पड़ी थी।

भारतीय क्रिकेटप्रेमी उम्मीद कर रहे हैं कि महेंद्र सिंह धोनी के धुरंधर 2003 विश्वकप के फाइनल में सौरभ गांगुली की टीम को मिली पराजय का इस बार बदला चुका लेंगे। तब रिंकी पोटिंग के नेतृत्व वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने गांगुली की भारतीय टीम को 125 रनों से शिकस्त देकर लगातार दूसरी बार खिताब पर कब्जा किया था।

2003 के फाइनल मुकाबले के लिए भारतीय क्रिकेट प्रेमी आस लगाए बैठे थे कि गांगुली की टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देकर दूसरी बार विश्वकप जीतने में कामयाब होगी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट।

इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में मात्र दो विकेट खोकर 359 रनों को विशाल स्कोर खड़ा कर दिया था।

ओपनर एडम गिलक्रिस्ट (57) और मैथ्यू हेडन (37) ने 105 रन की शतकीय साझेदारी कर अपनी टीम को मजबूत शुरुआत दी थी। इसके बाद कप्तान रिंकी पोटिंग ने डेमियन मार्टिन के साथ तीसरे विकेट के लिए 234 रन की अविजित भागीदार कर टीम को मजबूत स्कोर पर पहुँचा दिया था।

पोटिंग ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए 121 गेंदों में चार चौकों और आठ छक्कों की मदद से नाबाद 140 और मार्टिन ने 84 गेंदों में सात चौकों और एक छक्के की मदद से नाबाद 88 रन की विस्फोटक पारी खेली।

जवागल श्रीनाथ की ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने जमकर ठुकाई करते हुए उनके 10 ओवर में 87 रन ठोक दिए थे। वही जहीर खान ने सात ओवर में 67 रन लुटा दिए थे। एकमात्र सफल गेंदबाज हरभजन सिंह थे जिन्होंने आठ ओवर में 49 रन देकर ऑस्ट्रेलिया के दोनों विकेट अपनी झोली में डाले थे।

भारत की पारी की शुरुआत काफी खराब रहने से टीम के जीतने की संभावनाएँ शुरू में ही क्षीण हो गई थी। ओपनर सचिन तेंडुलकर मात्र चार बनाकर ग्लेन मैग्राथ को उन्हीं की गेंद पर कैच थमा बैठे। लेकिन प्रशंसा करना होगी वीरेंद्र सहवाग की जिन्होंने पहला विकेट जल्दी गिर जाने के बावजूद अपनी चिरपरिचित शैली में बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर खबर ली और 82 रनों की जानदार पारी खेलकर भारत को संभलने का पूरा मौका दिया।

सहवाग ने अपनी पारी में 81 गेंदों का सामना करते हुए दस चौके और तीन छक्के जड़े थे और कप्तान गांगुली (24) के साथ दूसरे विकेट के लिए 54 रन जोड़े थे। सहवाग ने मोहम्मद कैफ के बगैर खाता खोले आउट हो जाने के बाद भी भरोसेमंद राहुल द्रविड़ (47) के साथ चौथे विकेट के लिए 88 रनों की साझेदारी कर टीम को मुकाबले में वापस लौटाने का प्रयास किया। लेकिन अन्य बल्लेबाज अपना पर्याप्त योगदान नहीं दे सके जिसके परिणामस्वरूप भारतीय टीम 39.2 ओवर में ही 234 रनों पर ढेर हो गई।

भारत के दूसरी बार विश्वकप जीतने की राह में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रेलिया की पेस जोड़ी मैग्राथ और ब्रेट ली बने थे। मैग्राथ ने आठ ओवर में 52 रन देकर तीन और ब्रेट ली ने सात ओवर में 31 रन देकर दो विकेट चटकाए थे। हरफनमौला एंड्रयू साइमंड्‍स ने मात्र दो ओवर की गेंदबाजी में केवल सात रन खर्च कर दो शिकार कर लिए थे।

वर्ष 2003 के विश्वकप में फाइनल खेलने वाली और वर्ष 2011 के विश्वकप के क्वार्टर फाइनल में खेल रही भारत तथा ऑस्ट्रेलिया की टीमों में इस अवधि में काफी परिवर्तन आ चुका है। उस समय की भारतीय टीम के खिलाड़ी सचिन, सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान और आशीष नेहरा वर्तमान टीम में भी हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम में उस समय के कप्तान पोटिंग अब भी इसी जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं और ली ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी के कर्णधार बने हुए हैं।

गुरुवार को जीत का ऊँट किस करवट बैठेगा इसकी भविष्यवाणी करना न तो क्रिकेट पंडितों और न ही सट्टेबाजों के लिए आसान हो रहा है। इतना जरूर है कि सट्टे बाजार में भारत की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है।

भारतीय टीम की क्वार्टर फाइनल में जीत के लिए देश के अनेक हिस्सों में दो दिन से हवन, यज्ञ समेत अनेक जतन क्रिकेट प्रेमी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर में मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के संयुक्त सचिव संजय जगदाले की अगुवाई में एक विशाल केक काटकर भारतीय टीम की जीत की कामना की गई थी तो दूसरी तरफ देश में आस्था के मामले में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले शिरडी शहर में क्रिकेटप्रेमियों ने साईं बाबा से टीम की जीत की प्रार्थना की है। (वार्ता)

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