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अब कौनसा तीर करेगा लंका दहन?

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, गुरुवार, 31 मार्च 2011 (10:15 IST)
-किरण वाईक
अपनी दूरदर्शिता के लिए विख्यात कैप्टन कूल महेंद्रसिंह धोनी ने जब पाकिस्तान के खिलाफ हाई वोल्टेज सेमीफाइनल के लिए असरकारक आर. अश्विन की जगह आशीष नेहरा को टीम में लिया तो तमाम क्रिकेट प्रशंसक चिंतित हो गए थे, क्योंकि वे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए मैच की हार को अभी भूले नहीं थे।

नेहरा को चुनना एक ऐसा जोखिमभरा निर्णय था, जो मोहाली में उलटा पड़ने पर धोनी की कप्तानी को दाँव पर लगा सकता था, लेकिन यह धोनी का जिगर ही कहेंगे कि उन्होंने सोची-समझी रणनीति के तहत यह दाँव खेला जो कामयाब रहा।

नागपुर मैच की तुलना में कई गुना ज्यादा दबाव वाले इस मैच में नेहरा सबसे किफायती गेंदबाज साबित हुए और टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई। धोनी ने इसी तरह चार बार के विजेता ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अहमदाबाद में हुए क्वार्टर फाइनल में भी सभी की उम्मीदों के विपरीत विस्फोटक यूसुफ पठान की जगह विश्वस्त सुरेश रैना को मौका दिया था।

रैना भी धोनी के भरोसे पर खरे उतरे थे और उन्होंने नाबाद 34 रन बनाते हुए युवराजसिंह के साथ मैच विजयी भागीदारी कर मझधार में फँसी टीम इंडिया की नैया पार लगाई थी।

धोनी ने अपने निर्णयों से विपक्षी रणनीतिकारों को भी उलझा दिया है। श्रीलंकाई टीम प्रबंधन भी अब अंतिम समय तक इसी ऊहापोह में रहेगा कि 2 अप्रैल को होने वाले खिताबी मुकाबले में टीम इंडिया कौनसे तालमेल के साथ उतरेगी। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहेंगी कि मुंबई में धोनी के तरकश में से कौनसा तीर निकलेगा, जो लंका दहन करेगा।

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