खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा भारत अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए रविवार को यहाँ एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में होने वाले अपने अहम मुकाबले में 'जाएंट किलर' आयरलैंड के खतरनाक कदमों को रोकने और क्रिकेट विश्वकप के क्वार्टर फाइनल के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे से उतरेगा।
भारत इस बात से भलीभाँति वाकिफ है कि आयरलैंड ने इंग्लैंड के खिलाफ 327 रन के स्कोर का सफलतापूर्वक पीछा कर टूर्नामेंट का सबसे बड़ा उलटफेर कर दिया था। हालाँकि उलटफेर रोज-रोज नहीं होते लेकिन क्रिकेट अनिश्चितता का खेल है और इस विश्वकप में मजबूत टीम भी किसी छोटी टीम के खिलाफ ढिलाई नहीं बरत सकती।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी यह भी जानते हैं कि उनके पास इंग्लैंड से टाई खेलने के बाद दो मैचों में तीन अंक हैं और एक और उलटफेर टीम इंडिया की उम्मीदों पर कुठाराघात कर सकता है। आयरलैंड ने पिछले विश्वकप में पाकिस्तान और बंगलादेश जैसी टीमों को हराया था जबकि इस बार इंग्लैंड का मान मर्दन कर चुका है।
टीम इंडिया को आयरलैंड के खिलाफ मैच में अपनी गेंदबाजी में सबसे ज्यादा सुधार करना होगा1 बल्लेबाजी भारत की सबसे बड़ी ताकत है और इस बात को उसने बांग्लादेश के खिलाफ 370 रन तथा इंग्लैंड के खिलाफ 338 रन बनाकर साबित कर दिया है1 लेकिन इन दोनों ही मैचों में गेंदबाजों ने बड़ा ढीला प्रदर्शन किया था जिसके बाद भारतीय गेंदबाजी को क्रिकेट पंडित काफी कमजोर बता रहे हैं।
बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ 283 रन बना दिए थे जबकि इंग्लैंड ने 338 रन बना लिए थे। कप्तान धोनी के लिए इस समय यदि कोई चिंता है तो वह सिर्फ गेंदबाजी है। मैच की पूर्व संध्या तक धोनी इसी उधेड़बुन में लगे हुए होंगे कि इस मैच के लिए उनका गेंदबाजी संयोजन क्या होगा। क्या वह तीन तेज गेंदबाजों और एक स्पिनर की परंपरागत रणनीति के साथ उतरें या फिर दो तेज गेंदबाजों और दो स्पिनर के साथ।
इंग्लैंड के खिलाफ पीयूष चावला के रूप में दूसरा स्पिनर खेलाने का भारतीय दाँव ज्यादा कारगर नहीं रहा था। केविन ओ ब्रायन के विश्वकप के सबसे तेज शतक को देखते हुए भारत के लिए अपनी गेंदबाजी को हर हाल में मजबूत करना होगा। आयरलैंड का हौसला अपनी पिछली जीत के बाद सातवें आसमान पर है और इस टीम में किसी भी टीम को चौंकाने का माद्दा है।
टीम इंडिया ने इस मैच की तैयारी के लिए पिछले दो दिनों में कडे अभ्यास सत्र में खुद को पूरी तरह झोंक रखा है। यदि आयरलैंड अपने पिछले मैच में इंग्लैंड से आसानी से हार गया होता तो शायद भारत रविवार के मैच के लिए इस समय पूरी तरह निश्चिंत होता और टीम में दो तीन प्रयोग भी करता। लेकिन अब स्थिति उलट चुकी है और यहाँ प्रयोग करने की कोई गुंजाइश नहीं है बल्कि टीम को अपनी शत प्रतिशत ताकत के साथ उतरना है।
चिन्नास्वामी मैदान पर अब तक दो मैचों में 1332 रन बन चुके हैं और कल के मुकाबले में भी एक बार फिर रनों का अंबार लग सकता है। इन दोनों मैचों की चारों पारियों में 300 के स्कोर पार हुए हैं और बल्लेबाजी के लिए स्वर्ग मानी जा रही चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए चिंता का विषय बन सकती है। उनके बल्लेबाज रन तो बटोर सकते हैं लेकिन गेंदबाजों के लिए अपने स्कोर का बचाव करना मुश्किल हो सकता है।
टीम इंडिया की इस समय सबसे बड़ी समस्या उसकी गेंदबाजी और गेंदबाजों की फिटनेस है। बाएँ हाथ के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा अभी तक पूरी तरह फिट नहीं बताए जाते हैं। यदि नेहरा फिट होते हैं तो वह इस मैच में जरूर खेलने उतरेंगे लेकिन यदि उनकी फिटनेस में थोड़ी भी शंका रहती है तो शांतकुमारन श्रीसंथ को उतारा जा सकता है। श्रीसंथ वैसे तो मैच विजेता गेंदबाज है लेकिन इसके लिए उन्हें खुद पर नियंत्रण रखने की जरूरत है।
भारतीय दारोमदार एक बार फिर उसके शीर्षक्रम के बल्लेबाजों पर निर्भर रहेगा। विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने बांग्लादेश के खिलाफ 175 और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने इंग्लैंड के खिलाफ 120 रन की लाजवाब पारी खेली थी। ये दोनों बल्लेबाज आयरलैंड के लिए सिरदर्द बन सकते हैं।
भारतीय बल्लेबाजी ने इसके बाद गौतम गंभीर, विराट कोहली, युवराज सिंह, धोनी और यूसुफ पठान का पराक्रम किसी भी टीम पर भारी पड़ सकता है। खुद ब्रायन भी स्वीकार कर चुके हैं कि सचिन और सहवाग को रोकना उनकी टीम के लिए बेहद मुश्किल काम होगा। यदि भारत टॉस जीतता है तो निश्चित रूप से वह पहले बल्लेबाजी कर एक विशाल स्कोर खड़ा करना पसंद करेगा ताकि आयरलैंड को दबाव में लाया जा सके। (वार्ता)