भारतीय कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी वाकई आलोचकों की परवाह नहीं करते हैं और इस बात को उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शनिवार को मिली तीन विकेट की पराजय में साबित कर दिखाया।
धोनी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में आखिरी ओवर बाएँ हाथ के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा से फिंकवाने के अपने फैसले का अंततः बचाव किया और कहा कि यह एक सही फैसला था।
दक्षिण अफ्रीका को अंतिम ओवर में जीत के लिए 13 रन की जरूरत थी। भारत के पास मैच में तीन विकेट लेने वाले ऑफ स्पिनर हरभजनसिंह का एक ओवर बचा हुआ था। कमेंटेटर भी यह कह चुके थे कि आखिरी ओवर भज्जी को ही सौंपा जाएगा और खुद भज्जी भी यह ओवर फेंकने के लिए तैयार हो चुके थे।
लेकिन धोनी ने सबको हैरानी में डालते हुए गेंद नेहरा को थमा दी जो कतई अपनी फार्म और फिटनेस में नहीं थे। ऐसा गेंदबाज जो खुद से संघर्ष कर रहा हो उसे कोई भी कप्तान निर्णायक ओवर देना पसंद नहीं करेगा, लेकिन धोनी ने यह जुआ खेला जिसमें वे बुरी तरह नाकाम रहे। नेहरा ने पहली ही चार गेंदों पर 16 रन पिटवाकर दक्षिण अफ्रीका को जीत थमा दी।
धोनी का यह फैसला मैच के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे बड़ा मुद्दा बना रहा। धोनी ने अपने फैसले को सही करार देते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में तेज गेंदबाज अधिक उपयोगी होते हैं और उनके पास यही बेहतर विकल्प था।
मैच की पूर्व संध्या पर धोनी ने कहा था कि वे आलोचकों की कतई परवाह नहीं करते हैं और जो भी फैसला करते हैं पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। उन्होंने कहा था कि मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं है कि दूसरे क्या कहते हैं। मैं जब भी टीम चुनता हूँ तो मैं यह दिखाने की पूरी कोशिश करता हूँ कि मैं अपने फैसले के लिए ईमानदार हूँ। इस मैच के बाद यह तो साबित हो गया है कि धोनी वाकई अपने आलोचकों की परवाह नहीं करते हैं। यह तो शुक्र है कि यह लीग चरण का मैच था। यदि यह क्वार्टर फाइनल का मुकाबला होता तो इस समय धोनी दुनिया भर की तमाम आलोचनाएँ झेल रहे होते।
फिलहाल इस समय भी उनके खिलाफ आलोचनाओं का दौर थमा नहीं है। न केवल गेंदबाजी में बल्कि उन्होंने बल्लेबाजी में भी अनावश्यक उठापटक से टीम इंडिया को नुकसान पहुँचाया। भारत 40वें ओवर में सचिन के आउट होने तक 267 रन बना चुका था। टीम के पास बल्लेबाजी क्रम में विराट कोहली और युवराजसिंह मौजूद थे, लेकिन धोनी ने यूसुफ पठान को चौथे नंबर पर भेजने का एक और गलत फैसला किया। (भाषा)