अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के एक साल के प्रतिबंध की मार झेल चुका राजधानी का फिरोजशाह कोटला मैदान आज भारत और हॉलैंड के विश्वकप मैच के साथ गुलजार हो गया।
फिरोजशाह कोटला मैदान पर 27 दिसंबर 2009 को भारत और श्रीलंका के बीच वनडे मैच पिच के खतरनाक होने के बाद रद्द कर दिया गया था। इसके बाद आईसीसी ने कोटला मैदान पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल के दौरान कोटला पर किसी भी तरह के मैचों का आयोजन नहीं किया जा सका।
प्रतिबंध के कारण एक समय यह भी लग रहा था कि कहीं कोटला से विश्वकप के चार मैचों की मेजबानी न छिन जाए लेकिन आईसीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार कोटला की नई बनाई गई पिच को हरी झंडी मिल गई और इसी के साथ कोटला का वनवास भी खत्म हो गया।
कोटला पर दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच विश्वकप का पहला बड़ा मैच खेला गया लेकिन दर्शकों में इस मैच को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखाई दिया। लगभग 48000 की क्षमता वाले इस स्टेडियम में मुश्किल से 15 से 20 हजार दर्शक ही पहुँच सके थे।
अगला मैच वेस्टइंडीज और हॉलैंड के बीच था जिसे वेस्टइंडीज ने 215 रन से जीता। हालाँकि इस मैच में भी दर्शक कोटला से रूठे रहे और उपस्थिति आठ-दस हजार के आसपास ही पहुँच पाई। इस मैच में वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज केमर रोश ने हैट्रिक सहित छह विकेट लेकर कुछ जान फूँकी थी।
कोटला पर तीसरा मैच कनाडा और केन्या के बीच खेला गया जिसमें दर्शकों का ऐसा टोटा रहा कि मुश्किल से तीन-चार हजार दर्शक ही जुट पाए। हैरानी इस बात को लेकर थी कि दिल्लीवासियों में विश्वकप को लेकर कोई उत्साह ही नहीं दिखाई दे रहा था।
आखिर नौ मार्च का बहुप्रतीक्षित दिन आ गया और कोटला में दर्शकों के लहराते सागर ने निर्जीव कोटला में एक नई जान फूँक दी। हर तरफ गूँजते शोर और दर्शकों के सैलाब को देखकर पहली बार ऐसा लग रहा था कि कोटला में कोई विश्वकप मैच खेला जा रहा है। दर्शक भी पूरे उत्साह में थे और जगह-जगह तिरंगे के साथ भारत-आर्मी के बैनर भी दिखाई दे रहे थे।
दर्शक हालाँकि उम्मीद कर रहे थे कि भारत पहले बल्लेबाजी करेगा। लेकिन हालैंड ने टास जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। इस सबके बावजूद कोटला एक साल के वनवास के बाद फिर से गुलजार हो उठा। (वार्ता)