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टीम इंडिया : 'दे घुमा के!!'

कंटेंट प्रस्तुति: संदीप, समय और अजय

हमें फॉलो करें टीम इंडिया : 'दे घुमा के!!'
भारत में क्रिकेट केवल खेल नहीं धर्म है और इसके खिलाड़ियों को भगवान का दर्जा हासिल है। हर चार साल में होने वाले क्रिकेट के महाकुंभ के लिए टीम इंडिया ने कमर कस ली है। अपने घर में होने वाले इस मुकाबले को देखने वाले टीम इंडिया से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। धोनी के धुरंधरों का भी अब एक ही मिशन है कि वह अपने प्रशंसकों को 27 साल बाद जश्न मनाने का एक शानदार मौका देकर इतिहास बना दें। बस अब तो भारतीय प्रशंसकों का टीम इंडिया से यही कहना है कि ...... दे घुमा के!!

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महेन्द्रसिंह धोनी:
अनहोनी को होनी कर दे धोनी। मि. कूल और करिश्माई कप्तान के रूप में पहचाने जाने वाले माही खुद की और टीम की खूबियों और कमजोरियों से भली-भाँति वाकिफ हैं। टीम और देश का पूरा समर्थन धोनी के साथ है। 'हेलिकॉप्टर शॉट' लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धूम मचाने वाले धोनी एक चालाक और चपल कप्तान है। कभी भी जोखिम उठाने से नहीं डरते। ठंडे दिमाग से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करते हैं। मैदान पर कूल रहना सबसे बड़ी खासियत। युवा और वरिष्ठ खिलाड़ियों से गजब का तालमेल।

माइनस पॉइंट - सवा सौ करोड़ उम्मीदों के दबाव को धोनी कैसे झेलेंगे यह देखना दिलचस्प होगा। टॉस में किस्मत का साथ जरूरी है। खुद की फॉर्म से झूझते धोनी से विश्वकप में एक आतिशी पारी की उम्मीद होगी।

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गौतम गंभीर:
टीम इंडिया के भावी कप्तान के विकल्प में अपनी जगह बनाने वाले गोटी आईपीएल 4 के सबसे मँहगें खिलाड़ी है। विश्वकप के लिए शादी तक मुलतवी कर दी।

सहवाग के आदर्श जोड़ीदार। किसी भी विकेट पर बल्लेबाजी कर सकते हैं। आक्रामक तेवर और रक्षात्मक रवैए का मिश्रण गंभीर को बेजोड़ बनाता है। विकेट आसानी से नहीं देते।

माइनस पॉइंट - इस समय चोटिल और प्रदर्शन में और सुधार की जरूरत।


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युसूफ पठान:
पठानी अंदाज में जब युसूफ बैटिंग करने के लिए क्रीज पर आते हैं तो विरोधी टीम में खलबली मच जाती है। बेहद आक्रामक बल्लेबाजी युसूफ की खासियत है। मैदान के बाहर बेहद सज्जन युसूफ पठान मैदान पर गेंदबाजों की निर्ममता से पिटाई करते हैं।

मैच विजेता खिलाड़ी युसूफ अपनी स्पिन गेंदबाजी के जरिए भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

माइनस पॉइंट - आसानी से विकेट गँवा देते हैं। शार्टपिच और ललचाती गेंदों से युसूफ को सावधान रहना होगा।


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सुरेश रैना:
धोनी के भरोसेमंद, उम्दा फील्डर व आतिशी बल्लेबाज सुरेश रैना जब बरसते है तो स्टेडियम में चौके-छक्कों की झड़ी लग जाती है। वनडे में कई उम्दा पारी खेल चुके रैना टीम इंडिया के मिडिल ऑर्डर की जान है। बाँए हाथ के बल्लेबाज रैना लेग साइड पर आती गेंदों को बाउंड्री पार पहुँचाने में उस्ताद हैं।

जब तक वे क्रीज पर होते हैं टीम का रन-रेट लगातार बढ़्ता रहता है। जरूरत पड़ने पर उपयोगी गेंदबाज।

माइनस पॉइंट - वर्तमान में फॉर्म समस्या, कई बार जल्दबाजी में विकेट थ्रो करते हैं।


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प्रवीण कुमार:
सूरत से सीधे नजर आने वाले प्रवीण कुमार गेंदबाजी में खतरनाक हैं। गेंदबाजी में विविधता के चलते शुरुआती विकेट निकालने में माहिर। लंबे स्पेल डालने में सक्षम। कंजूस गेंदबाज। रफ्तार कम होने के बावजूद गेंद को दोनों ओर मूव कराते हैं।

लाइन-लेंथ पर पकड़। भारत का यह प्रमुख गेंदबाज ताबड़तोड़ रन बनाने का माद्दा भी रखता है। कई मौकों पर लंबे छक्कों से उपयोगी पारी खेली।

माइनस पॉइंट - धैर्य की कमी और पुरानी गेंद से गेंदबाजी करने में परेशानी।

(आगे है मुलतान के सुलतान...)


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वीरेंद्र सहवाग:
विस्फोटक बल्लेबाज और धुआँधार बैटिंग से किसी भी आक्रमण की धज्जियाँ उड़ा सकते हैं। किसी भी मैच का रुख पलटने का माद्दा रखते हैं। उनका नाम ही गेंदबाजों की नींद उड़ाने के लिए काफी है। यदि वीरेन्द्र सहवाग हर मैच में भारतीय पारी को अच्छी शुरुआत देते हैं तो विश्वकप जीतना कोई बड़ी बात नहीं है। 'मुलतान का सुलतान' अक्खे इंडिया को अप्रैल में ही दिवाली मनाने का मौका दे सकता है।

माइनस पॉइंट - वर्तमान में ऑउट ऑफ फॉर्म, चोटिल। खराब शॉट सिलेक्शन से बचना होगा और भारतीय पारी को मजबूत आधार देना होगा।

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हरभजन सिंह:
टर्बनेटर के नाम से मशहूर हरभजन सिंह अब न केवल गेंद से बल्कि बल्ले से भी मैच जिताने लगे हैं। भारतीय विकेटों पर पंजाब के इस शेर से पार पाना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं होगा। अनुभव और जोश से लबरेज यह सरदार किसी भी बैटिंग आर्डर के लिए परेशानी का सबब है।

भारतीय पिचों पर अपनी घातक फिरकी गेंदों से भज्जी भारतीय टीम को विश्वकप जिताने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

माइनस पॉइंट - धैर्य की कमी। गुस्से पर काबू रख विवादों से दूर रहना होगा।


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विराट कोहली:
तेजी से उभरते हुए इस युवा बल्लेबाज ने अल्प समय में ख्याति अर्जित कर ली है। इनका टेंपरामेंट काबिल-ए-तारीफ है। अच्छे फील्डर व गजब की तकनीक के सहारे विराट अपने नाम के अनुरुप कई मैचों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

टीम के लिए राहुल द्रविड का विकल्प बन कर उभर रहे विराट ने टी-20 और वनडे में शानदार पारियाँ खेली हैं। टीम इंडिया के भावी कप्तान के रुप में देखा जा रहा है।

माइनस पॉइंट - प्रदर्शन में निरंतरता नहीं। गुस्से पर काबू पाना सीखना होगा।


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Girish Srivastava
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जहीर खान:
भारतीय आक्रमण के कर्णधार जहीर से टीम इंडिया शुरूआती विकेटों की उम्मीद करती है। अपने अनुभव से जहीर खान एक चतुर गेंदबाज के रूप में उभरे है। भारतीय पिचों पर घातक स्विंग से अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को पैवेलियन की राह दिखाने में सक्षम।

अहम मौकों पर विकेट लेते हैं। बाएँ हाथ का यह तेज गेंदबाज अपनी शॉर्टपिच, बॉउंसर और यार्कर से लगातार बल्लेबाजों को परेशान करता है।

माइनस पॉइंट - स्लॉग ओवर्स में कुछ ज्यादा रन लुटा देते है। फिटनेस समस्या से ग्रस्त।

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आशीष नेहरा:
2003 के वर्ल्डकप में आशीष नेहरा ने 23 रन पर 6 विकेट लेकर अकेले ही इंग्लैंड का बोरिया-बिस्तर बाँध दिया था। इस वर्ल्ड कप में भी कुछ ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद भारतीय प्रशंसक उनसे लगाए बैठे है। स्लॉग ओवर्स में विकेट निकालते हैं। विकेट टेकर बॉलर। अच्छा अंतरराष्ट्रीय अनुभव। कप्तान के अनुसार गेंदबाजी करते हैं।

माइनस पॉइंट - जल्दी ही निराश हो कर रन लुटाने लगते हैं। श्रीसंत और इशांत के अभाव में बड़ी जिम्मेदारी उठानी होगी।

(आगे है मॉस्टर ब्लास्टर...)


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PTI
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सचिन तेंडुलकर:
क्रिकेट के भगवान, भारतीय टीम की रीढ़। दुनिया के तमाम रिकॉर्ड और सम्मान अपने नाम कर चुके सचिन के हाथों से विश्वकप अब तक छिटकता आया है। उनके प्रशंसक यह ट्रॉफी मास्टर ब्लास्टर के हाथों में देखने के लिए बेकरार है।

संभवत: आखिरी विश्वकप खेल रहे सचिन तेंडुलकर इसे अपने प्रदर्शन से यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले। इस विश्वकप में उनसे एक और दोहरे शतक की उम्मीद रहेगी। वर्तमान में शानदार फॉर्म टीम इंडिया के लिए अच्छी खबर।

माइनस पॉइंट - चोट से बचना होगा और महत्वपूर्ण मैचों में विकेट बचा कर खेलना होगा।


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PTI
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युवराज सिंह:
टीम इंडिया के युवराज जब भी 'अपनी वाली' पर आते हैं गेंदबाज को समझ नहीं आता की वह कहाँ गेंद डाले। बेहतरीन ऑलराउंडर युवराज सिंह का लंबे शॉट्‍स मारने में जवाब नहीं। इस पंजाबी मुंडे के नाम एक ओवर में 6 छक्के उड़ाने का रिकॉर्ड है।

महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट चटकाना दिलेर युवी की खासियत है। आक्रमकता सबसे बड़ी ताकत और कमजोरी भी।

माइनस पॉइंट - पार्टी और ग्लैमर से बचते हुए फिटनेस और फॉर्म पर ध्यान देना होगा।

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मुनाफ पटेल:
'इखार एक्सप्रेस' के नाम से प्रसिद्ध मुनाफ की खूबी है सटीक लाइन व लेंथ। अपनी इसी खूबी के कारण रनों के प्रवाह पर रोक लगा कर वे बल्लेबाज की नाक में दम कर देते हैं।

अपनी स्विंग के जरिए बल्लेबाजों को अक्सर चकमा देते हैं। मुनाफ पटेल की खासियत है कि विकेट न मिलने पर भी रनरेट पर अंकुश लगाते हैं।

माइनस पॉइंट - कभी भारत का सबसे तेज गेंदबाज अब रफ्तार के मामले में कमजोर। निरंतरता का अभाव। स्थापित बल्लेबाजों के सामने परेशान हो जाते हैं।


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आर. अश्विन:
धोनी के एक और भरोसेमंद साथी आर. अश्विन अपनी कैरम बॉल के जरिए अकसर बैट्समैन को हतप्रभ कर देते हैं। मैंडिस के अलावा एकमात्र गेंदबाज जो कैरम बॉल फेंक सकते हैं।

रनों पर अंकुश लगाने में माहिर। शुरुआती और स्लॉग ओवर्स में भी गेंदबाजी करने का दम-खम। दबाव से निपटने में माहिए।

माइनस पॉइंट - अनुभव की कमी। हरभजन की मौजूदगी से अंतिम ग्यारह में स्थान बनाना मुश्किल।


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पीयूष चावला:
अपने चयन से कईयों को आश्चर्य में डालने वाले युवा चावला पर चयनकर्ताओं ने दाँव लगाया है। टीम के एकमात्र लेग स्पिनर पियुष भारतीय पिचों पर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

रन देने के बावजूद विकेट झटकते है। उपयोगी बल्लेबाज। जुझारु खिलाड़ी है और आसानी से हार नहीं मानते।

माइनस पॉइंट - डेढ़ वर्ष से टीम से बाहर पीयुष को जल्दी लय में आना होगा। रनों पर लगाम कसना सीखना होगा।

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