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बस दो कदम और...

- संदीप सिसोदिया

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क्रिकेट विश्वकप के इस सफर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली शानदार जीत से टीम इंडिया अब इस सुनहरी, स्वप्निल ट्रॉफी को अपने हाथ में थामने से सिर्फ दो कदम दूर है।

इस जीत पर क्या कहें, साँसें थमा देने वाले और ढेर सारे उतार-चढ़ाव से भरे इस मैच में क्या ऑस्ट्रेलियाई, क्या भारतीय... दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों ने जान लगा दी। विश्वकप के पहले क्वार्टर फाइनल में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के नीरस मैच के बाद इस रोमाँच की दावत ने क्रिकेट प्रेमियों के मानों ख्वाब ही पूरे कर दिए।

हर मैच में नए कीर्तिमान रचते सचिन ने जहाँ भारतीय पारी को ठोस आधार दिया, वहीं युवराज सिंह ने एक बार फिर अपनी दबंग पारी से भारत के सेमीफाइनल के टिकट पर ठप्पा लगा दिया। पर रैना, जहीर, अश्विन के शानदार प्रदर्शन और धोनी की शातिर चालों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इनके बिना तो इस जीत की कल्पना नहीं की जा सकती थी।

हैडिन द्वारा अच्छी शुरुआत करने और पोंटिंग के शतक के बावजूद भारतीय गेंदबाजों ने मैच पर अपनी पकड़ बनाए रखी और ऑस्ट्रेलियाई पारी को बड़े स्कोर में नहीं तब्दील होने दिया।

सहवाग जरूर पसोपेश में नजर आए और जल्दी ही पैवेलियन लौट गए। सचिन और गौतम गंभीर ने भारतीय पारी को जिस तरह सँवारा उसने मध्य क्रम के बल्लेबाजों पर से काफी हद तक दबाव हटा दिया था।

दाद तो ब्रेट ली की भी देनी पड़ेगी। युवराज द्वारा लगाए गए एक करारे शॉट को रोकने के प्रयास में ब्रेटली ने डाइव लगाया और बॉल उनके हाथों से लग कर सीधे उनकी आँखों से टकराई। अगले ही पल ब्रेटली के चेहरे पर खून की धार बहते देखी जा सकती थी।

अब तक कसावट भरी गेंदबाजी कर रहे ब्रेट ली के अभी 3 ओवर बाकी थे। ब्रेट ली को मैदान से जाते देख कई भारतीय प्रशंसकों को एक अजीब सी राहत मिली थी। पर यह क्या, कुछ ही पलों में यह जाबाँज खिलाडी चोट पर पट्टी लगाए फिर से मैदान में था। दर्द उनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। पर अगला ओवर फेंकने के लिए ब्रेट ली तैयार थे।

इससे साफ जाहिर होता है कि यह मैच किसी भी खिलाड़ी के लिए कितना महत्वपूर्ण था। जैसे-जैसे भारत जीत की ओर बढ़ता जा रहा था, पोंटिंग के चेहरे पर निराशा और भी गहरी होती जा रही थी, जिस खिलाड़ी ने शतक लगाया हो उसके चेहरे पर ऐसी मायूसी बहुत कम देखी जाती है।

कम होते रन औसत का दबाव तब एकाएक पहाड़ बन गया, जब भारतीय टीम का मध्यक्रम फिर से बिखरना शुरू हो गया। जीतने को 70 रन बचे थे और धोनी को पैवेलियन लौटता देख मोटेरा में मातम-सा छाने लगा था। पर विकेट के एक छोर पर खड़े युवराज के मन में भारत की जीत को लेकर शायद ही कोई संदेह था।

रैना जब मैदान पर आ रहे थे तो सचिन अपनी जगह से उठे और रैना के हाथ पर ताली देकर बड़ी ही सहजता से बोले जाओ दिखाओं अपना खेल। सचिन द्वारा मिले इस प्रोत्साहन से रैना पर से दबाव हट गया और ब्रेट ली के ओवर में उन्होंने भारतीय पारी का पहला छक्का लगाते हुए सारा दबाव ऑस्ट्रेलिया पर उड़ेल दिया।

युवराज ने जिसमें अंदाज में शानदार चौका जमाकर भारत को सेमीफाइनल में पहुँचाया और फतह पाने पर रैना के गले लगते समय इस खिलाड़ी की आँखों से बहते आँसू इस जीत के मायने कह रहे थे। आज पूरा भरोसा है हिंदुस्तान को इस 'ब्लू ब्रिगेड' पर कि भले ही पिछले कुछ कदम लड़खडाए हो पर आगे के दो कदम मजबूती से जीत की ओर ही बढ़ेगे।

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