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वर्ल्ड कप इतना लंबा क्यों?

हमें फॉलो करें वर्ल्ड कप इतना लंबा क्यों?
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अनवर जमाल अशरफ

पिछले साल फुटबॉल वर्ल्ड कप में 32 टीमों ने हिस्सा लिया और कुल 64 मैच खेले गए। फिर भी पूरा टूर्नामेंट एक महीने में पूरा हो गया। क्रिकेट वर्ल्ड कप में 14 टीमें हैं और सिर्फ 49 मैच खेले जाने हैं। फिर भी मुकाबला डेढ़ महीना चलेगा।

क्रिकेट और फुटबॉल दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले खेल है। इनकी तुलना सच में मुश्किल है क्योंकि फुटबॉल का नतीजा आम तौर पर डेढ़ घंटे या ज्यादा से ज्यादा ढाई घंटे में आ जाता है, जबकि वनडे क्रिकेट मैच पूरे दिन चलता है। लेकिन फुटबॉल में भी एक टीम एक दिन में एक ही मैच खेलती है और दो मैचों के बीच पर्याप्त ब्रेक होता है। फिर क्रिकेट वर्ल्ड कप इतना लंबा क्यों?

इसे समझने के लिए 2007 वर्ल्ड कप को देखना होगा। उस बार 16 टीमें शामिल हुईं, जिन्हें चार ग्रुपों में बांटा गया। लेकिन भारत और पाकिस्तान जैसी टीमें पहले दौर में ही हार कर बाहर हो गईं। क्रिकेट की आर्थिक दुनिया भारतीय उप महाद्वीप से चलती है, जहां लगभग डेढ़ अरब आबादी है और जहां क्रिकेट को लेकर लोगों में जुनून है। साल 2007 में भारत के बाहर होने के बाद लोगों ने मैच देखना बंद कर दिया।

ऊपर से पाकिस्तान के कोच बॉब वूल्मर की रहस्यमय हालात में मौत हो गई और क्रिकेट अचानक खबर बन गया। स्पोर्ट्स चैनलों की टीआरपी समाचार चैनलों की भेंट चढ़ गई। क्रिकेट प्रसारण करने वाले टेलीविजन चैनलों को राजस्व का भारी घाटा हुआ और इसे कवर करने के लिए उसी साल आनन-फानन में ट्‍वेंटी-20 का वर्ल्ड कप शुरू कराया गया। क्रिकेट के महाबलियों के लिए यह अच्छा हुआ कि भारत ने टी 20 वर्ल्ड कप जीत लिया, लेकिन उस साल के वनडे वर्ल्ड कप ने आयोजकों को वित्तीय सबक सिखा दिया।

उसके बाद से क्रिकेट वर्ल्ड कप को इस तरह आयोजित किया जाने लगा कि पैसे उगाहने वाले देश लंबे वक्त तक मुकाबले में बने रहें। इस बार के कार्यक्रम में भी दो ग्रुपों में सात-सात टीमों को रखा गया है। इनके बीच पहले राउंड रॉबिन लीग मुकाबले हैं और आमतौर पर एक टीम को हफ्ते में सिर्फ एक मैच खेलना है।

आयरलैंड के खिलाफ मैच को छोड़कर भारत के सभी मैच वीकेंड पर रखे गए हैं, जहां टीवी दर्शकों की संख्या ज्यादा होती है। दोनों ग्रुपों से चार-चार टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचेंगी। दोनों तरफ तीन बेहद कमजोर टीमें हैं। भारत वाले ग्रुप बी में जिम्बाब्वे, यूएई और आयरलैंड जैसी दूसरे दर्जे की टीमें हैं। अगर इनमें से कोई एक आखिरी चार में जगह बना भी लेता है, तो भी वेस्टइंडीज या पाकिस्तान का पत्ता कटेगा, भारत का नहीं। बुरी से बुरी हालत में भारत अपने ग्रुप में पहले चार में जगह बना ही लेगा। क्वार्टर फाइनल मैच 18 मार्च से खेले जाएंगे। भारत में टीवी पर मैच देखने वाले दर्शकों के लिए वर्ल्ड कप में महीने भर तो दिलचस्पी बनी हुई है ही।

कुछ इन्हीं वजहों से मैच की टाइमिंग भी तय की गई है। पूरे मुकाबले में भारत या पाकिस्तान का कोई भी मैच दिन में नहीं खेला जाएगा। सारे मैच-डे नाइट हैं। ऑस्ट्रेलिया आमतौर पर भारत से छ: घंटे आगे है। वहां नौ बजे मैच शुरू करने का मतलब भारत में आधी रात होगी। कई दर्शक उस वक्त उठकर मैच देखना पसंद नहीं करेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए सारे मैचों को देर से शुरू किया जा रहा है। हालांकि यह बात क्रिकेट देखने-समझने वाले जानते हैं कि कृत्रिम रोशनी और ओस में बल्लेबाजी करने वाली टीम को मुश्किल होती है। बहरहाल, अभी तो वर्ल्ड कप शुरू ही हुआ है। हर मैच के लिए एक एक हफ्ते का इंतजार करना है। फिलहाल तो पाकिस्तान के खिलाफ जीत के कसीदे ही पढ़े जा सकते हैं। वीकेंड पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

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