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संगकारा को सलाम

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अनवर जमाल अशरफ

पाकिस्तान में छह साल पहले जिस श्रीलंकाई टीम पर जानलेवा हमला हुआ, कुमार संगकारा उसके कप्तान थे। टीम को सुरक्षित श्रीलंका पहुंचाया गया। संगकारा सहित कई खिलाड़ी घायल हुए। हफ्ते भर बाद जब संगकारा किसी चेक प्वाइंट पर रुके, तो एक सैनिक ने उनकी खैरियत पूछी। संगकारा ने कहा कि वह ठीक हैं और फिर उन्होंने सैनिक से खैरियत पूछी। सैनिक का जवाब संगकारा को सन्न कर गया।

 
उस सैनिक ने कहा कि वैसे तो वह ठीक है लेकिन उसके लिए संगकारा की जान की कीमत कहीं ज्यादा है क्योंकि वह देश के हीरो हैं और पूरा देश उनकी तरफ उम्मीद से देखता है। यह जवाब संगकारा के दिल में उतर गया। उन्होंने पूरे वाकये को लॉर्ड्स के प्रतिष्ठित एमसीसी लेक्चर में जिस तरह सुनाया, वह संगकारा की शख्सियत को नया विस्तार देता है।
 
क्रिकेट खेलते हुए यह लेक्चर देने वाले संगकारा पहले खिलाड़ी बने और वहां मौजूद बड़ी हस्तियों ने खड़े होकर उनका शानदार स्वागत किया। कभी कानून की पढ़ाई छोड़ कर क्रिकेट खेलने उतरे संगकारा उन गिने चुने लोगों में शामिल किए जा सकते हैं, जो क्रिकेट के अलावा भी कई चीजों में जीनियस हैं। बैडमिंटन और टेनिस में उनकी बेहतरीन पकड़, बात करने का तरीका, बुद्धिमत्ता और इन सबसे तैयार क्रिकेट की समझ उन्हें मौजूदा क्रिकेट के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शामिल करता है।
 
हालांकि शुरुआत ऐसी नहीं थी। संगकारा ने 15 साल पहले जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा, तो उन्हें जिद्दी और अड़ियल क्रिकेटर के तौर पर जाना गया। कभी जरूरत से ज्यादा अपील करने पर अंपायर ने उन्हें फटकार भी लगाई। शुरुआती दिनों में बल्ले में भी ज्यादा ताकत नहीं दिखी और विकेटकीपिंग ने टीम में उनकी जगह बचाए रखी। लेकिन समय के साथ संगकारा निखरते गए। जुबान की जगह बल्ले से जवाब देना सीख गए। विकेट के पीछे रणनीति बनाने में माहिर होते गए। कुछेक साल में ही वह टीम की जरूरत बन गए।
 
संगकारा बड़े बल्लेबाज रहे या बड़े विकेटकीपर – फैसला मुश्किल है। भला कौन विकेटकीपर वनडे में 500 लोगों को आउट करने का सपना देख सकता है, और उनमें से भी 99 स्टंप हों। लेकिन इत्तेफाक यह कि वह एडम गिलक्रिस्ट और महेंद्र सिंह धोनी जैसे करिश्माई विकेटकीपरों के दौर में फंस गए। इन दोनों की वजह से संगा के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं हो पाई। बल्लेबाजी में भी वह सचिन तेंदुलकर के साए में छिप गए। लेकिन सच्चार्ई तो यह है कि सचिन के बाद सबसे ज्यादा रन भी संगा के ही नाम हैं।  लगातार चार वनडे शतकों का रिकॉर्ड भी उन्होंने करियर के आखिरी दिनों मे बना डाला।
 
रिकॉर्डों और रनों की तरह क्रिकेट की समझ भी संगकारा को अलग करती है। उसी लॉर्ड्स लेक्चर के दौरान उन्होंने भारतीय उप महाद्वीप की क्रिकेट को जिन शब्दों में सरल बनाया, उसकी दूसरी मिसाल मुश्किल है। कहते हैं कि भारतीय उप महाद्वीप में धर्म समाज को तोड़ता है और क्रिकेट उन्हें जोड़ता है। संगकारा ने तब कहा, “मैं तमिल हूं, सिंहली हूं, मुस्लिम हूं। मैं बौद्ध हूं, हिन्दू हूं, इस्लाम और ईसाययत को मानता हूं। लेकिन मैं आज और हर रोज एक श्रीलंकाई रहूंगा।”
 
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में जब उनकी टीम ताश के पत्तों की तरह बिखर रही थी, तो संगकारा दूसरी तरफ शांति से खड़े इक्का दुक्का रन बना रहे थे। शायद उन्हें एक उदास विदाई का अहसास हो गया था। निश्चित तौर पर दक्षिण अफ्रीका की जीत बड़ी है। वह पहली बार वर्ल्ड कप के नॉक आउट मैच में जीता है। लेकिन इस दिन संगकारा को भुलाना उनके साथ बेमानी होगी। संगकारा क्रिकेट के सबसे बड़े नामों में शामिल किए जाएंगे।

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