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गर्विता
वो पेड़ो की टहनियों पर झूलता बचपन
वो नदी के पानी संग बहता यौवन,
कहीं दूर बरसात में नाचते मोर की मस्ती
वो बारिश के मौसम में हरी-हरी बस्ती
क्यों सब परियों की कहानी-सा लगता है?
वो बागों में आम तोड़ना चोरी से
वो माँ का पेड़ से बाँध देना डोरी से
वो डाँट, वो मिठास
छाँव में बंधे झूले पर
रोते बच्चे की चुप हो जाने की आस
क्यों पुरानी बस्ती में छोड़ आए
दादी की कहानी-सा लगता है?
आओ इन सभी बातों को संजो ले
और बो दे घर के आँगन में
क्योंकि हरियाली का हर सपना
घर के आँगन से ही शुरू होता है...