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नीरज चोपड़ा के बिना भी राष्ट्रमंडल खेलों में रहा शानदार प्रदर्शन लेकिन डोपिंग विवाद रहा काला धब्बा

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, शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022 (18:29 IST)
नई दिल्ली: तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत कर भारतीय एथलेटिक्स के ‘पोस्टर ब्वॉय’ बने भाला फेक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने इस साल भी अपने दमदार प्रदर्शन को जारी रखते हुए अविनाश साबले और मुरली श्रीशंकर जैसे खिलाड़ियों को प्रेरित किया लेकिन इस दौरान डोपिंग के दंश ने देश को शर्मसार करना नहीं छोड़ा।

साल 2022 में कम से कम छह शीर्ष भारतीय एथलीटों को प्रतिबंधित दवाओं का उपयोग करने के लिए पकड़ा गया।  बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों के दौरान इस तरह के मामलों से अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में देश की काफी फजीहत हुई। लंबी कूद की दिग्गज खिलाड़ी  और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंजू बॉबी जॉर्ज ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि जो एथलीट विदेशों में प्रशिक्षण लेते हैं, वे वहां से प्रतिबंधित दवाओं को लाकर अपने कुछ सहयोगियों के बीच वितरण करते है।

नीरज ने अमेरिका में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और अंजू के बाद ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय बने। अंजू ने 2003 के पेरिस विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था।वह सितंबर में डायमंड लीग चैम्पियन के फाइनल्स का विजेता बनने वाले पहले भारतीय बने। वह हालांकि चोट के कारण राष्ट्रमंडल खेलों के अपने स्वर्ण पदक का बचाव करने नहीं उतर सके।वह इस दौरान हालांकि 90 मीटर की दूरी तय करने के अपने लक्ष्य से थोड़ी दूर रह गये। इस साल उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 89.94 मीटर रहा। डायमंड लीग के स्टॉकहोम चरण में उन्होंने इस दूरी के साथ दूसरा स्थान हासिल किया था।

पाकिस्तान के अरशद नदीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में 90.18 मीटर दूर भाला फेंक कर चौकाने वाला प्रदर्शन किया और विश्व चैम्पियन एंडरसन पीटर्स को पछाड़कर स्वर्ण पदक जीता।नीरज की गैरमौजूदगी में राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय चुनौती का नेतृत्व स्टीपलचेज खिलाड़ी साबले और लंबी कूद खिलाड़ी श्रीशंकर ने किया। विश्व स्तर के एथलीटों की मौजूदगी में उन्होंने अपनी-अपनी स्पर्धाओं में रजत पदक जीतकर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
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श्रीशंकर मामूली अंतर से स्वर्ण जीतने से चूक गए जबकि साबले ने  3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में कीनिया के वर्चस्व को समाप्त कर दिया। कीनिया के खिलाड़ियों ने 1998 राष्ट्रमंडल खेलों के बाद से हर बार पुरुषों के तीनों पदक जीते थे।इसमें सबसे उल्लेखनीय नतीजा पुरुषों की त्रिकूद में एल्डोज पॉल और अब्दुल्ला अबुबकर द्वारा पहला और दूसरा स्थान हासिल करना था। इससे भारत को 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के बाद एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य के साथ अपना दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय राष्ट्रमंडल टीम में जगह बनाने वाले ऊंची कूद खिलाड़ी तेजस्विन शंकर ने भी कांस्य पदक जीता।अन्य पदक विजेताओं में अनु रानी (महिला भाला फेंक में कांस्य), प्रियंका गोस्वामी (महिलाओं की 10,000 मीटर दौड़ में रजत) और संदीप कुमार (पुरुषों की 10,000 मीटर दौड़ में कांस्य) शामिल थे।भारत ने कोलंबिया में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में भी तीन पदक जीते, उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की रहने वाली किसान की बेटी रूपल चौधरी ने इसमें दो पदक अपने नाम किये।

तोक्यो खेले में चक्का फेंक स्पर्धा में छठे स्थान पर रही कमलप्रीत कौर को डोपिंग के लिए पॉजिटिव पाये जाने के बाद एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट ने तीन साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।ओलंपिक भाला फेंक खिलाड़ी शिवपाल सिंह को भी ‘स्टेरॉयड मेटैंडिओनोन’ के सेवन का दोषी पाया गया। उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा।विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों से ठीक पहले शीर्ष धावक सेकर धनलक्ष्मी और ऐश्वर्या बाबू के डोप पॉजिटिव पाये जाने से देश को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
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चार सौ मीटर की धावक एमवी जिलना को पहले राष्ट्रमंडल टीम में शामिल किया गया था लेकिन बाद में एक प्रतिबंधित दवा के जांच में पॉजिटिव पाये जाने के बाद उनका नाम वापस ले लिया गया। अर्जुन पुरस्कार विजेता अनुभवी धाविका एमआर पूवम्मा भी डोपिंग की दोषी पायी गयी।  

नाडा के डोपिंग रोधी अपील पैनल ने उन्हें पिछले साल ‘मिथाइलहेक्सेनामाइन’ के लिए पॉजिटिव पाये जाने पर दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। चक्का फेंक खिलाड़ी नवजीत कौर ढिल्लों डोपिंग में फंसने वाली नवीनतम शीर्ष एथलीट थीं।

टीवी सीरियल ‘महाभारत’ में भीम का किरदार निभाने वाले और एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के पदग विजेता प्रवीण सोबती जैसे एथलेटिक्स के कुछ दिग्गज बीते साल चल बसे।भारत की ‘गोल्डन गर्ल’ पीटी उषा को हाल ही में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया था। वह आईओए की पहली महिला अध्यक्ष है।(भाषा)

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