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ज्ञान योग से पाएँ सफलता

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अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

'आज हम जो भी हैं वह हमारे अतीत के विचारों का परिणाम है।'- गौतम बुद्ध

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प्रत्येक वह व्यक्ति ज्ञान योगी है जो सोचना सीख गया है। विचार तो सबके भीतर होते हैं, लेकिन उन विचारों को एक दिशा देना हर किसी के बस की बात नहीं। दूसरी बात कि आपके भीतर विचार कौन से हैं? क्या कचरा किताबों के विचार? खुद के विचार या उधार के विचार? सोचता तो हर कोई है, लेकिन जो नए ढंग से सोचकर उसे कार्य रूप में परिणित कर देता है, विजेता वही कहलाता है।

ज्ञान योग को हम संसार का प्रथम योग मान सकते हैं। संपूर्ण धर्म, दर्शन, विज्ञान, समाज, नीति-नियम आदि की बातें ज्ञान योग का ही अविष्कार है। ज्ञान योग नहीं होता तो अन्य योग भी नहीं होते। धरती पर आज जितना भी विकास और विध्वंस हुआ है और हो रहा है वह ज्ञान का ही परिणाम है। अच्छा ज्ञान अच्छा करेगा और बुरा ज्ञान बुरा।

यम, नियम, आसन, प्राणायाम आदि को छोड़कर व्यक्ति स्वयं के ज्ञान के बल पर ही सब कुछ पा सकता है। ज्ञान से ही व्यक्ति सफल और असफल होता है। योग में कहा भी कहा है कि व्यक्ति को दुखों से ज्ञान ही बचाता है और दुख में ज्ञान ही डालता है। इसीलिए विज्ञान मस्तिष्क की शक्ति को मानता है। मस्तिष्क की गति हजारों सुपरकंप्यूटर्स से भी तेज मानी गई है। मस्तिष्क की क्षमता की सीमा को विज्ञान आज भी जान नहीं पाया है।

ज्ञान योगी बनें : ज्ञान योग में ऐसे व्यक्ति आते हैं, जो धर्म, दर्शन के साथ ही दुनिया भर की जानकारी को जानने के लिए सदा उत्सुक रहते हैं। जब उनके मस्तिष्क में जानकारियों का भंडार हो जाता है तभी उनका मस्तिष्‍क तेज गति से सक्रिय होकर ज्ञान को जन्म देकर उसके अनुसार ही बातों का अर्थ लगाता है। ज्ञान योगी बनने के लिए धर्म, दर्शन, विज्ञान और सामान्य ज्ञान का लेवल ऊँचा होना जरूरी है। वर्तमान समय से जुड़ कर वर्तमान में जो चल रहा है उसकी जानकारी होना भी जरूरी है।

जब व्यक्ति के दिमाग में भरपूर डाटा रहेगा तब वह तर्क, वितर्क या कुतर्क में पारंगत तो होगा ही साथ ही जल्द ही इसकी व्यर्थता को भी भाँप लेगा। तर्क से परे है ज्ञान की ताकत। विश्लेषण कर अच्छे और बुरे का ज्ञान जल्द ही होगा और बुद्धि कुशाग्र होती जाएगी। 100 डीग्री पर गर्म होने के बाद ज्ञान अंतर्ज्ञान (intuition) में बदल जाता है। सभी तरह की सफलता के लिए ज्ञान का होना जरूरी है।

*सांसारिक पहलू : ऐसे लोग अपने ज्ञान व अनुभव के बल पर ही संसार में कुछ अलग कर दिखाते हैं, ऐसे लोग ही संसार में रहकर ही सफलता के चरम शिखर पर पहुँचकर ज्ञानी कहलाते हैं। कहते हैं कि विचारों में प्रचंड शक्ति है। विचार से जीवन को सकारात्मक आयाम देकर सभी तरह की खुशियाँ हासिल की जा सकती है। विचार संपन्न ‍व्यक्ति बनने के लिए दुनिया की सभी तरह की जानकारी रखकर खुले दिमाग का बनना जरूरी है। ध्यान रखें की जानकारा और ज्ञान में फर्क है। ढेर सारी जानकारियाँ रखने वाले भी मूर्ख होते हैं।

*आध्यात्मिक पहलू : न योग में लीन रहने वाले लोग अपने बल पर कुछ विशेष भावनाएँ मन में लेकर जीते हैं। ऐसे व्यक्ति के मन में 'मैं कौन हूँ? मेरा अस्तित्व क्या है? संसारिक क्रिया अपने आप क्यों बदलती रहती है? कौन है जो इस संसार को चला रहा है? ऐसे विचार उत्पन्न होने से ज्ञान योगी उस वास्तविता की खोज में निकल जाते हैं और विचारों द्वारा ही ज्ञान प्राप्त कर निर्विचार दशा में पहुँच जाते हैं। ऐसे ही व्यक्ति को आत्मज्ञान हो जाता है।

संदर्भ : उपनिषद, सांख्य योग और न्याय दर्शन

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