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नेती क्रिया फॉर द ब्रेन

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योग में बहुत सारी क्रियाओं का उल्लेख मिलता है। आसन, प्राणायाम के बाद क्रियाओं को भी करना सीखना चाहिए। क्रियाएँ करना बहुत कठिन माना जाता है, लेकिन क्रियाओं से तुरंत ही लाभ मिलता है। योग में प्रमुखत: छह क्रियाएँ होती है:-1.त्राटक 2.नेती. 3.कपालभाती 4. धौती 5.बस्ती 6.नौली। यहाँ प्रस्तुत है नेती के बारे में जानकारी।

नेती क्रिया को मुख्यत: श्वसन संस्थान के अवयवों की सफाई के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इसे करने से प्राणायाम करने में भी आसानी होती है तथा इसे तीन तरह से किया जाता है:- 1.सूत नेती 2.जल नेती और 3.कपाल नेती।

1.सूत नेती : एक मोटा लेकिन कोमल धागा जिसकी लंबाई बारह इंच हो और जो नासिका छिद्र में आसानी से जा सके लीजिए। इसे गुनगुने पानी में भिगो लें और इसका एक छोर नासिका छिद्र में डालकर मुँह से बाहर निकालें। यह प्रक्रिया बहुत ही धैर्य से करें। फिर मुँह और नाक के डोरे को पकड़कर धीरे-धीरे दो या चार बार ऊपर-नीचे खींचना चाहिए। इसी प्रकार दूसरे नाक के छेद से भी करना चाहिए। एक दिन छोड़कर यह नेती क्रिया करनी चाहिए।

2.जल नेती : दोनों नासिका से बहुत ही धीरे-धीरे पानी पीएँ। गिलास की अपेक्षा यदि नलीदार बर्तन होतो नाक से पानी पीने में आसानी होगी। यदि नहीं होतो पहले एक ग्लास पानी भर लें फिर झुककर नाक को पानी में डुबाएँ और धीरे-धीरे पानी अंदर जाने दें। नाक से पानी को खींचना नहीं है। ऐसा करने से आपको कुछ परेशानी का अनुभव होगी। गले की सफाई हो जाने के बाद आप नाक से पानी पी सकते हैं।

3.कपाल नेती : मुँह से पानी पी कर धीरे-धीरे नाक से निकालें।

सावधानी : सूत को नाक में डालने से पहले गरम पानी में उबाल लिया जाता है जिससे किसी प्रकार के जीवाणु नहीं रहते। नाक, गले, कान, दाँत, मुँह या दिमाग में किसी भी प्रकार की समस्या होतो नेती क्रिया योगाचार्य के मार्गदर्शन में करना चाहिए। इसे करने के बाद कपालभाती कर लेना चाहिए।

लाभ : इस क्रिया को करने से दिमाग का भारीपन हट जाता है, जिससे दिमाग शांत, हल्का और सेहतमंद बना रहता है। इस क्रिया के अभ्यास से नासिका मार्ग की सफाई होती ही है साथ ही कान, नाक, दाँत, गले आदि के कोई रोग नहीं हो पाते और आँख की दृष्टि भी तेज होती है। इसे करते रहने से सर्दी, जुकाम और खाँसी की शिकायत नहीं रहती।

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