Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

प्राणायाम की शुरुआत

Advertiesment
हमें फॉलो करें प्राणायाम
FILE
पंच कोषों से मिलकर बना है दृश्य और सुक्ष्म शरीर के सभी संबंध। जड़, प्राण, मन, बुद्धि और आत्मा। शरीर और मन के बीच की कड़ी है प्राणायाम। प्राणायाम है सृष्टि की वायु और आयु। इस वायु के शरीर से बाहर निकल जाने से शरीर मृत हो जाता है। पाँचों में से किसी भी एक में विकार उत्पन्न हुआ तो सभी रोग ग्रस्त हो जाते हैं।

कैसे करें शुरुआत : जिस तरह योगासनों की शुरुआत अंग-संचलन से मानी गई है, उसी तरह प्राणायम पूरक, कुंभक और रेचक से शुरू करें। श्वास लेने की क्रिया को पूरक और श्वास छोड़ने को रेचक कहा जाता है। फेफड़ों के भीतर वायु को नियमानुसार रोकना, आंतरिक और पूरी श्वास बाहर निकालकर वायुरहित फेफड़े होने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। इसे नियमानुसार करने के लिए देंखे अनुलोम-विलोम।

सावधानी : घुटनभरे कमरे में और जहाँ वायु दूषित है, प्राणायाम नहीं करना चाहिए। गंभीर रोग से ग्रस्त व्यक्ति को योगाचार्य से पूछकर ही प्राणायाम करना चाहिए। आसन और प्राणायाम करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। वातावरण स्वच्छ तथा शांत रखें।

लाभ : इससे शरीर और मन के बीच सामंजस्य बढ़ता है। स्नायुतंत्र सशक्त होते हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है। मन को शांति मिलती है। द्वंद्वों और तनाव को सहने की शक्ति मिलती है और व्यक्ति दीर्घायु होता है। अमाशय, लिवर, क्लोम ग्रंथ‍ी, गुर्दे, फेंफड़े, आँतें तथा मस्तिष्क में लाभ मिलता है।

प्राणायाम के नियमित अभ्यास से जहाँ मन की ग्रंथियों (क्रोध, तनाव, अनिद्रा, भय आदि) से मुक्ति मिलती है, वहीं जीवनशक्ति बढ़ती है। प्राणायाम मूलत: स्वस्थ रखकर और आयु बढ़ाने वाला साधन है।

1.क्या है प्राणायाम?
2.अनुलोम-विलोम

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi