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प्रार्थना योग का महत्व

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अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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प्रार्थना का प्रचलन सभी धर्मों में है, लेकिन प्रार्थना करने के तरीके अलग-अलग हैं। तरीके कैसे भी हों जरूरी है प्रार्थना करना। प्रार्थना योग भी अपने आपमे एक अलग ही योग है, लेकिन कुछ लोग इसे योग के तप और ईश्वर प्राणिधान का हिस्सा मानते हैं। प्रार्थना को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त करने की एक क्रिया भी माना जाता है।

कैसे करें प्रार्थना : ईश्वर, भगवान, देवी-देवता या प्रकृति के समक्ष प्रार्थना करने से मन और तन को शांति मिलती है। मंदिर, घर या किसी एकांत स्थान पर खड़े होकर या फिर ध्यानमुद्रा में बैठककर दोनों हाथों को नमस्कारमुद्रा में ले आए। अब मन-मस्तिष्क को एकदम शांत और शरीर को पूर्णत: शिथिल कर लें और आंखें बद कर अपना संपूर्ण ध्यान अपने इष्ट पर लगाएं। 15 मिनट तक एकदम शांत इसी मुद्रा में रहें तथा सांस की क्रिया सामान्य कर दें।

प्रार्थना के फायदे : प्रार्थना में मन से जो भी मांगा जाता है वह फलित होता है। ईश्वर प्रार्थना को 'संध्या वंदन' भी कहते हैं। संध्या वंदन ही प्रार्थना है। यह आरती, जप, पूजा या पाठ, तंत्र, मंत्र आदि क्रियाकांड से भिन्न और सर्वश्रेष्ठ है।

प्रार्थना से मन स्थिर और शांत रहता है। इससे क्रोध पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इससे स्मरण शक्ति और चेहरे की चमक बढ़ जाती है। प्रतिदिन इसी तरह 15-20 मिनट प्रार्थना करने से व्यक्ति अपने आराध्य से जुड़ने लगता है और धीरे-धीरे उसके सारे संकट समाप्त होने लगते हैं। प्रार्थना से मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तथा शरीर निरोगी बनता है।

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