भूत और भविष्य का ज्ञान होना बहुत ही आसान है बशर्ते की व्यक्ति अपने मन से मुक्त हो जाए। आपने त्रिकालदर्शी या सर्वज्ञ योगी जैसे शब्द तो सुने ही होंगे। कैसे कोई त्रिकालदर्शी बन जाता है?
योग के विभूतिपाद में अष्टसिद्धि के अलावा अन्य अनेकों प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। उनमें से ही एक है सर्वज्ञ शक्ति योगा। इस योग की साधना करने से व्यक्ति को अगले-पिछले सभी कालों की घटनाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त होने लगता है। यह साधना कठिन जरूर है, लेकिन योगाभ्यासी के लिए सरल।
कैसे होगा यह संभव : बुद्धि और पुरुष में पार्थक्य ज्ञान सम्पन्न योगी को दृश्य और दृष्टा का भेद दिखाई देने लगता है। ऐसा योगी संपूर्ण भावों का स्वामी तथा सभी विषयों का ज्ञाता हो जाता है। यम, नियम और ध्यान के अभ्यास से बुद्धि और पुरुष के भेद को जाना जा सकता है।
जब तक आप स्वयं को शरीर, मन या बुद्धि समझते हैं तब तक यह ज्ञान संभव नहीं। शरीर से पृथक समझना, मन के खेल को समझकर उससे अलग हो जाना और बुद्धि के द्वंद्व या तर्क के जाल से अलग हटकर स्वयं को बोध रूप में स्थिर करने से होश का स्तर बढ़ता जाता है तथा धीरे-धीरे ऐसे व्यक्ति भूत, भविष्य वर्तमान सहित अन्य विषयों को जानने वाला बन जाता है।
दृष्य का अर्थ है कि हम जो भी देख रहे हैं वह, और दृष्टा का अर्थ है हम स्वयं। जो व्यक्ति इस भेद को समझकर दृष्य से स्वयं को अलग करने लग जाता है वही सर्वज्ञ शक्ति योगा का ज्ञान प्राप्त करता है।
योगा पैकेज : प्रतिदिन प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें। आप चाहें तो किसी योग शिक्षक से त्राटक विद्या सिखते हुए यम और नियम के कुछ खास नियमों का पालन करें। जरूरी है होशपूर्ण जीवन शैली। इस बारे में अधिक जानें।
नौकासन, हलासन, ब्रह्म मुद्रा, पश्चिमोत्तनासन, सूर्य नमस्कार। प्राणायम में शीतली, भ्रामरी और भस्त्रिका या यह नहीं करें तो नाड़ी शोधन नियमित करें। सूत्र और जल नेति का अभ्यास करें। मूल और उड्डीयन बंध का प्रयोग भी लाभदायक है।