मुद्राओं में पृथ्वी मुद्रा का बहुत महत्व है। यह हमारे भीतर के पृथ्वी तत्व को जागृत करती है। योगियों ने मनुष्य के शरीर में दो मुख्य नाड़ियाँ बतलाई हैं। एक सूर्यनाड़ी और दूसरी चन्द्र नाड़ी। पृथ्वी मुद्रा करने के दौरान अनामिका अर्थात सूर्य अंगुली पर दबाव पड़ता है, जिससे सूर्य नाड़ी और स्वर के सक्रिय होने में सहयोग मिलता है।