Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

योग करके शरीर को बचाएं 10 तरह के कष्टों से

हमें फॉलो करें योग करके शरीर को बचाएं 10 तरह के कष्टों से

अनिरुद्ध जोशी

योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन आठ विधियों का महत्व है। परंतु प्रचलन में आसन, प्राणायाम और ध्यान ही है। उक्त तीनों के माध्यम से शरीर को आप इन निम्नलि‍खित कष्टों से बचाकर रखें।
 
 
1. धूल
2. धुंवा
3. तेज धूप
4. तेज ठंड
5. गलत खानपान 
6. अशुद्ध विचार
7. चिंता
8. अनिद्रा
9. थकान
10. पंच क्लेश : अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश
 
नोट : उपरोक्त के कारण ही व्यक्ति रोगी होता है। इन्हीं के काण आयु घटती जाती है। इन्हीं के कारण व्यक्ति श्रेष्ठ जीवन नहीं जी पाता है। धूल और धुंवा जहां आपके फेंफड़े खराब करने के लिए जिम्मेदार है वहीं आंखें और त्वचा भी इससे खराब होती है। आप प्राणायम और क्रियाओं द्वारा इसकी सुरक्षा कर सकते हैं। तामसिक भोजन और तामसिक विचार से भी शरीर को कष्ट होता है और वक्त के पहले ही उसका क्षरण होने लगता है। चिंता तो चिता के समान मानी गई है। इसी तरह उतित समय पर नहीं होना और उचित समय पर नहीं उठना भी अनिद्रा ही है। अनावश्यक विकार, कार्य या कसरत से उपजी थकान भी हमारे शरीर को कष्ट देने वाला ही होता है। योग में इन्हीं सभी से छुटकारा पाने का उपाय बताया गया है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति चिंता, अशुद्ध विचार, थकान और पंच क्लेश से मुक्त हो सकता है।
 
 
पंच क्लेश:
(1) अविद्या : अनित्य, अशुचि, दुख तथा अनात्म में नित्य, शुचि, सुख और आत्मबुद्धि रखना अविद्या है, यह विपर्यय या मिध्याज्ञान हैं।
(2) अस्मिता : पुरुष (आत्मा) और चित्त नितांत भिन्न हैं दोनों को एक मान लेना अस्मिता है।
(3) राग : सेक्स के बजाय हम इसे राग कहते हैं। विषय सुखों की तृष्णा या आसक्ति राग है।
(4) द्वेष : सुख के अवरोधक और दुख के उत्पादक के प्रति जो क्रोध और हिंसा का भाव है उसे द्वेष कहते हैं।
(5) अभिनिवेश : आसक्ति और मृत्यु का भय स्वाभाविक रूप से सभी प्राणियों में विद्यमान रहता है।
 
 
शरीर को बाचाएं कष्टों से : शरीर को हर तरह के कष्टों से बचाने का प्रयास करें। खासकर शरीर मन के कष्टों से बहुत प्रभावित होता है। योग में कहा गया है कि क्लेश से दुख उत्पन्न होता है दुख से शरीर रुग्ण होता है। रुग्णता से स्वास्थ्य और सौंदर्य नष्ट होने लगता है।
 
आहार : पानी का उचित रूप से सेवन करें, ताजा फलों के जूस, दही की छाछ, आम का पना, इमली का खट्टा-मीठा जलजीरा, बेल का शर्बत आदि तरल पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा, बेल तथा पुदीने का भरपूर सेवन करते हुए मसालेदार या तैलीय भोज्य पदार्थ से बचें। 
 
योगा पैकेज : नौकासन, हलासन, ब्रह्म मुद्रा, पश्चिमोत्तनासन, सूर्य नमस्कार। प्राणायम में शीतली, भ्रामरी और भस्त्रिका या यह नहीं करें तो नाड़ी शोधन नियमित करें। सूत्र और जल नेति का अभ्यास करें। मूल और उड्डीयन बंध का प्रयोग भी लाभदायक है। पांच मिनट का ध्यान अवश्य करें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Motivation Story: तुमने सही कहा था सोलन