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Covid-19 : मन की शक्ति से जीतेंगे हम कोरोना को, 10 बड़ी बातें

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अनिरुद्ध जोशी

कोराना से जंग में मन की शक्ति का होना बहुत जरूरी है। ऐसे कई लोग हैं जो कोराना मरिज से मिले और फिर भी उन्हें कोरोना नहीं हुआ। ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें कोरोना हो गया और वे 4 दिन में या 7 दिन में ठीक हो गए। यह सब मन का खेल है परंतु आप सोचेगे ऐसा कैसे हो सकता है तो जानिए 10 बड़ी बातें।
 
 
1. मानना नहीं जानना : हमारा दिमाग और हमारा मन अर्थात बुद्धि और मन यदि इसने मान लिया की मैं बीमार हूं तब बीमारी नहीं होगी फिर भी आप बीमारी हो जाएंगे, क्योंकि दिमाग वही काम करना है जिसे मन स्वीकार कर लेता है। दिमाग शरीर का हिस्सा है और मन आपके सूक्ष्म शरीर का हिस्सा है। आप अंगूठा तभी हिला पाते हैं जबकि दिमाग के तंत्र को मन आदेश देता है। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। इसलिए मन की शक्ति को समझे।
 
2. भय और चिंता : डॉक्टर मानते हैं कि भय और चिंता से आपका इम्युनिटी सिस्टम गड़बड़ा जाता है। कोरोना काल में सबसे जरूरी है इम्युनिटी पावर को बढ़ना। यदि आप भय और चिंता से घिरे रहेंगे तो इम्युनिटी बूस्टर लेने का कोई फायदा नहीं होगा। तनाव आपकी (आंतरिक) शक्ति और आत्मा की आवाज को दबा देता है। इसलिए इसे समझें और इससे दूर रहें। मन को मनोरंजन और रिश्तों में संवाद में लगाएं। 
 
3. प्राणायाम और ध्यान : मन की शक्ति को बढ़ाने के दो ही सरल उपाय है पहला यह कि आप नियमित प्राणायाम और ध्यान करें। ध्यान करने से हमारी खोई ऊर्जा फिर से संचित होने लगती है और साथ ही अतिरिक्त ऊर्जा का संचय होता है जो हमें हर तरह के रोग और शोक से लड़ने में मदद करता है। ध्यान अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में चले जाना है। विचारों पर नियंत्रण है ध्यान। प्राणायाम हामारे फेंफड़े और मस्तिष्क में ऑक्सिजन का लेवल बढ़ा देता है। भस्त्रिका प्राणायाम करें। भस्त्रिका का शब्दिक अर्थ है धौंकनी अर्थात एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं। इसे करने के पहले अनुलोम विलोम में परारंगत हो जाएं और फिर ही इसे करें।
 
4. शौच : योग के शौच को अपनाएं शौच अर्थात शुचिता, शुद्धता, शुद्धि, विशुद्धता, पवित्रता और निर्मलता। पवित्रता दो प्रकार की होती है- बाहरी और भीतरी। बाहरी या शारीरिक शुद्धता भी दो प्रकार की होती है। पहली में शरीर को बाहर से शुद्ध किया जाता है। इसमें मिट्टी, उबटन, त्रिफला, नीम आदि लगाकर निर्मल जल से स्नान करने से त्वचा एवं अंगों की शुद्धि होती है। दूसरी शरीर के अंतरिक अंगों को शुद्ध करने के लिए योग में कई उपाय बताए गए है- जैसे शंख प्रक्षालन, नेती, नौलि, धौती, गजकरणी, गणेश क्रिया, अंग संचालन आदि। भीतरी या मानसिक शुद्धता प्राप्त करने के लिए दो तरीके हैं। पहला मन के भाव व विचारों को समझते रहने से। जैसे- काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को त्यागने से मन की शुद्धि होती है। इससे सत्य आचरण का जन्म होता है।
 
6. निर्भिकता : गीता में कहा गया है। न जन्म तुम्हारे हाथ में है और न मृत्यु। न अतीत तुम्हारे हाथ में है और न भविष्य। तुम्हारे हाथ में है तो बस ये जीवन और ये वर्तमान। इसलिए जन्म और अतीत कर शोक मत करो और मृत्यु एवं भविष्य की चिंता मत करो। निर्भिक होकर बस कर्म करो। निष्काम कर्म करो। तुम्हारा कर्म ही तुम्हारा भविष्य है।
 
7. सोच : मनुष्य सोच से ही भयभीत होता है और सोच से ही रोगग्रस्त। आज हम जो हैं वह हमारे पिछले विचारों का परिणाम है और कल हम जो होंगे वह आज के विचारों का परिणाम होगा। वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं कि रोग की शुरुआत हमारे मन से होती है। मन में विचारों का झांझावत चलता रहता है। इन असंख्‍य विचारों में से ज्यादातर विचार निगेटिव ही होते हैं, क्योंकि निगेटिव विचारों को लाना नहीं पड़ता वह स्वत: ही आ जाते हैं। सकारात्मक विचार के लिए प्रयास करना होता है।
 
वैज्ञानिक कहते हैं मानव मस्तिष्क में 24 घंटे में लगभग 60 हजार विचार आते हैं। उनमें से ज्यादातर नकारात्मक होते हैं। नकारात्मक विचारों का पलड़ा भारी है तो फिर भविष्य भी वैसा ही होगा और यदि ‍मिश्रित विचार हैं तो मिश्रित भविष्य होगा। जो भी विचार निरंतर आ रहा है वह धारणा का रूप धर लेता है। ब्रह्मांड में इस रूप की तस्वीर पहुँच जाती है फिर जब वह पुन: आपके पास लौटती है तो उस तस्वीर अनुसार आपके आसपास वैसे घटनाक्रम निर्मित हो जाते हैं। विचार ही वस्तु बन जाते हैं। इसका सीधा-सा मतलब यह है कि हम जैसा सोचते हैं वैसे ही भविष्य का निर्माण करते हैं। यही बात 'दि सीक्रेट' में भी कही गई है। इसी संदर्भ में जानें स्वाध्याय, धारणा और ईश्वर प्राणिधान के महत्व को।
 
8. नींद : भरपूर नींद और कसरत आपके दिमाग और मन को शक्ति ही प्रदान नहीं करते हैं बल्कि इम्युनिटी पावर भी डेवलप करते हैं। हमारी नींद सबसे बड़ी डॉक्टर है। चिंता और भय से घिरे मनुष्य की नींद कम हो जाती है। इसलिए जब भी सोने का मौका मिले जरूर सो जाएंगे भले ही झपकी लें लें। झपकी में वह क्षमता है जो 8 घंटे की नींद में भी नहीं है।
 
9. अन्न : कहते हैं कि जैसा खाओगे अन्न वैसे बनेगा मन। इसलिए ऐसा भोजन का चयन करो जो आपके शरीर और मन को सेहतमंद बनाए। भोजन और पान (पेय) से उत्पन्न उल्लास, रस और आनंद से पूर्णता की अवस्था की भावना भरें, उससे महान आनंद होगा। आयुर्वेद में लिखा है कि अन्न को आनंदित और प्रेमपूर्ण होकर ग्रहण करने से यदि वह जहर भी है तो अमृत सा लाभ देगा। अत: उत्तम भोजन को उत्तम भावनाओं के साथ ग्रहण करो। भोजन करने के समय किसी भी प्रकार से कहीं ओर ध्यान न भटकाएं। भोजन का पूर्ण सम्मान करके ही उसे ग्रहण करें।
 
10. कोरोना वायरस को समझें : कोरोना वायरस को समझें। यह कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। जिन्हें भी हुआ है वह ठीक हो गया है। हमारे देश में इस रोग से मरने वाले लोगों की संख्या प्रतिशत में बहुत कम है। जिन्होंने बगैर डरे समय पर जांच कराकर अपना इलाज प्रारंभ कर दिया है वह जल्द ही ठीक हो गया है। कोरोना से संक्रमित वही लोग हो रहे हैं जो गाइडलाइन को फालो नहीं कर रहे हैं। जहां तक सवाल डॉक्टर, नर्स, पैथोलॉजिस्ट, सफाईकर्मी, पुलिस और अन्य कोरोना वॉरियर का है तो वे आपकी सेवा करते हुए ही संक्रमित हुए हैं और उनमें से अधिकतर ठीक भी हो गए हैं। इसलिए डरे नहीं समझे, दो गज दूरी बनाकर रखें, मॉस्क लगाएं और समय-समय पर हाथ धोएं। यदि आप उपरोक्त नियमों का पालन करते हैं तो आपको कोरोना कभी नहीं होगा और यदि नहीं करते हैं तो आप देश के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं ऐसा माना जाएगा। आज नहीं तो कल यह वक्त भी गुजर जाएगा। जीतेगा वही जो अपने मन की शक्ति को बढ़ाएगा।
 

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