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स्त्रियों के लिए हस्तपात मुद्रा योग

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अनिरुद्ध जोशी

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योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध, क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है।

योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। मुद्रा दो तरह की होती है- पहली हस्त मुद्रा अर्थात हाथों और उसकी अंगुलियों को विशेष आकृति में बनाना और दूसरी आसन मुद्रा अर्थात जिसमें पूरा शरीर ही संचालित होता है।

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हस्तपात मुद्रा विधि- इस मुद्रा को करने के लिए आप अपने दोनों हाथों की हथेली के पीछे के भाग को आपस में अंगुलियों सहित मिला दें। इस आकृति को हस्तपात मुद्रा कहा जाता है। यह नमस्कार मुद्रा जैसा ही है लेकिन इसमें हथेली के पृष्ठ भाग को मिला दिया जाता है।

इसका लाभ- इस हस्तपात मुद्रा को करने से श्वास और गले के के सारे रोग में बहुत लाभ मिलता है। जिन स्त्रियां यदि इसका नियमित अभ्यास करती हैं तो इससे उनके स्तन सुड़ौल, सुंदर और स्वस्थ हो जाते हैं। जिन स्त्रियों के स्तन छोटे हैं, ढीले हैं या उनके स्तनों में दूध नहीं आता है तो यह मुद्रा उनके लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकती है।

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