कई लोग मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं और कई लोग इवनिंग वॉक पर। हालांकि बहुत से लोग रात्रि का भोजन करने के बाद टहलते हैं। टहलने या पैदल चलने जैसा सर्वोपयोगी योग व्यायाम कोई दूसरा नहीं। चिकित्साविद् भी इसके समर्थन में एकमत है। आप किसी भी वक्त टहलने जा रहे हैं तो जानिए जरूरी बातें।
टहलने के नियम :
1. टहलना एक योग है : टहलना एक प्रकार का योग है। टहलने से दो कार्य होतो हैं पहला तो आपकी प्राणवायु में सुधार होता है और दूसरा आपके शरीर भी सेहतमंद बनता है। मतलब प्राणायाम और योग दोनों ही एक साथ हो जाते हैं।
2. प्रतिदिन 3 किलोमीटर टहलें : कम से कम प्रतिदिन 3 किलोमीटर एवं सप्ताह में 5 दिन अवश्य सैर करें। यह भी कहा जाता है कि कम से कम 45 मिनट टहलना चाहिए।
3. टहलने का स्थान : टहलते का स्थान चयन जरूरी है। साफ स्वच्छ और सुरक्षित सड़क या पगडंडी पर ही टहलने जाएं या किसी बगीचे का चयन करें। कच्ची या पक्की सुनसान सड़क हो जिसके किनारे वृक्ष हो। जंगल का रास्ता हो या गॉर्डन की हरी घास हो। सबमें सुंदर समुद्र का किनारा हो तो फिर बात ही क्या। टहलो शहर के कोलाहल से दूर और पैरों को टहलने का मजा लेने दो।
4. टहलने के कपड़े : टहलते वक्त कपड़े कुछ इस तरह के हो जो न ज्यादा ढीले और न चुस्त हो। कपड़े उतने ही पहने जितने से लज्जा ढकने या अधिक सर्दी-गर्मी के दुष्प्रभाव से बचा जा सके। जूते या चप्पल एड़ी वाले न हो।
5. मुंह रखें बंद : टहलना एक कला है। टहलते वक्त मुंह बंद रखें। गहरी सांस लें। अधूरी सांस से फेंफड़ों को भी आपके टहलने का मजा नहीं मिलता। कंधे सीधे और पीछे हों। सीना उभरा हुआ और सिर थोड़ा पीछे की ओर तथा निगाहें सतर्क तथा होशपूर्ण हों।
6. कैसे टहलें : क्रमबद्ध, गतिबद्ध और व्यवस्थित क्रम से देर तक चलें। भिक्षुओं जैसा धीरे-धीरे चलते हुए गाँधी जी जैसा तेज चलने लगें, फिर धीर-धीरे चले। चलने में लय लाएँ। ध्यान रहे की पैरों को समानान्तर रखते हुए चलें। सपाट या समतल भूमि पर ही पैर रखें। जाने कि टहलना भी एक कला है।
7. टहलने का आनंद लें : देखें आस-पास खड़े हरे-भरे वृक्षों को जो तुम से कहीं ज्यादा जिंदा और होशपूर्ण है। प्यारी-सी निर्धूप सुबह को अपनी सांसों में भर लें। यदि धुंध हो तो मजा दौगुना समझे। आंखों को प्यार से दो-तीन बार झपकाएं और फेंफड़े में भरी हवा को पूरी तरह से बाहर निकालते हुए ताजी हवा का मजा लें। दिल से एक बार गाना गुनगुनाएँ वह जो आपको बहुत ही पसंद है।
टहलने के लाभ :
1. प्रभात काल में ही टहलना उचित माना गया है क्योंकि उस दौरान सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का असर नहीं होता, वायु की दृष्टि से ऑक्सिजन की अधिकता रहती है, जिसके अनेक लाभ हैं।
2. कहते हैं कि सुबह की सैर हड्डियों के घनत्व को बढ़ाती है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
3. प्रात:काल टहलने से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक क्षमता भी बढ़ जाती है एवं तनाव दूर होता है। खास बात यह है कि इससे डायबिटीज रोग में लाभ मिलता है।
4. पैदल चलना, विहार करने या टहलने का मजा ही कुछ और है। यह एक ऐसी क्रिया है जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है। इसका आध्यात्मिक लाभ यह है कि टहलने की क्रिया को ही यदि आप ध्यान विधि समझे और होशपूर्वक आनंद लेते हुए टहले तो इसके अनेक आध्यात्मिक लाभ भी मिलना शुरू होंगे। बौद्ध भिक्षु इसका खूब उपयोग करते थे।
5. टहलने से उर्जा का संचार होता है। रक्त वाहिनियों में रक्त का संचार सुचारू रूप से चलता है। सांसों में संयम और लय आने से मानसिक संतुलन और शांति मिलती है। इससे ब्लड प्रेशर की शिकायत दूर होती है।
6. टहलते वक्त लड़खड़ा जाएं तो यह घटना तुम्हारे शरीर को कुछ देर के लिए सजग कर देगी, जिससे शरीर में जागृती और अंगों में संचार होगा। आप इसे सकारात्मक लें। स्वयं की चेतना को जागृत करने की इसे एक विधि मानें। इससे सजगता बढ़ेगी।
7. बिना किसी अतिरिक्त आसन या प्राणायम के हृदय या अन्य अंगों को पोषण देने वाली बंद हो चुकी धमनियों में नई कोलेट्रल्स बनने लगती हैं..और जो मौजूद हैं वे खुल जाती हैं तथा उनको प्राणवायु और पौष्टिक आहार कुछ मात्रा में मिलने लगता है, इससे अंगों के जीवन की रक्षा संभव हो पाती है। यही कारण है कि चिकित्सक तेज चलने (ब्रिस्क वॉक) की सलाह देते हैं।
चेतावनी : कई बार यह देखा गया है कि टहलने या दौड़ने से कुछ लोगों को हार्ट अटैक का दौरा भी पड़ा है। यदि आपको किसी प्रकार की कोई समस्या है तो चिकित्सक की सलाह लें। टहलते वक्त शरीर को ज्यादा थकाएं नहीं। उतना ही टहलें जितने से शरीर में हल्की सी गर्मी बढ़ जाए।