स्वस्थ रहकर 100 वर्ष तक जीना हर किसी की इच्छा हो सकती है। योग के माध्यम से सामान्य तौर पर 150 वर्ष तक जिंदा रहा जा सकता है बशर्तें कि योग के नियमों का पालन करें। आओ जानते हैं कि क्या है वह योगा टिप्स, जो हमारी उम्र बढ़ाने में सहायक हैं।
1.प्राणायाम : कछुए की सांस लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं। इसलिए प्राणायाम को अपने नियमित जीवन का हिस्सा बनाएं।
करें कुंभक का अभ्यास : श्वसन-क्रिया जितनी मंद और सूक्ष्म होगी उतना ही मंद जीवन क्रिया के क्षय होने का क्रम होगा। यही कारण है कि श्वास-प्रश्वास का नियंत्रण करने तथा पर्याप्त समय तक उसको रोक रखने (कुंभक) से आयु के भी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसी कारण योग में कुंभक या प्राणायाम का सर्वाधिक महत्व माना गया है।
सावधानियां-
नियम-1 : श्वास-प्रश्वास में स्थिरता और संतुलन से शरीर और मन में भी स्थिरता और संतुलन बढ़ता है। इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है साथ ही मन के स्थिर रहने से इसका निगेटिव असर शरीर और मस्तिष्क पर नहीं पड़ता है।
नियम-2 : काम, क्रोध, मद, लोभ, व्यसन, चिंता, व्यग्रता, नकारात्मता और भावुकता से मन-मस्तिष्क रोग से ग्रस्त हो जाता है। यह रोगग्रस्त मन हमारे शरीर का क्षरण करता रहता है। इस पर कंट्रोल करने के लिए ही ध्यान है।
नियम-3 : इसके लिए कुंभक का अभ्यास करते हुए वायु प्रदूषण से बचना जरूरी है। शरीर में दूषित वायु के होने की स्थिति में भी उम्र क्षीण होती है और रोगों की उत्पत्ति होती है। यदि आप लगातार दूषित वायु ही ग्रहण कर रहे हैं तो समझो कि समय से पहले ही रोग और मौत के निकट जा रहे हैं।
प्रतिबंध : अनावश्यक चिंता-बहस, नशा, स्वाद की लालसा, असंयमित भोजन, गुटका, पाऊच, तम्बाकू और सिगरेट के अलावा अतिभावुकता और अतिविचार के चलते बहुत से लोग समय के पूर्व ही अधेड़ होने लगे हैं और उनके चहरे की रंगत भी उड़ गई है। उक्त सभी पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।
आहार संयम : सर्वप्रथम तो अपना आहार बदलें। पानी का अधिकाधिक सेवन करें, ताजा फलों का रस, छाछ, आम का पना, जलजीरा, बेल का शर्बत आदि तरल पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा तथा पुदीने का भरपूर सेवन करें तथा मसालेदार या तैलीय भोज्य पदार्थ से बचें। हो सके तो दो भोजन कम ही करें।
यदि ज्यादा समय हो तो : शंख प्रक्षालन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तनासन, उष्ट्रासन, धनुरासन और नौकासन कर लें। ये नहीं कर सकते तो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें। इसके साथ 'योगा मसाज' को जोड़ लेंगे तो और अच्छा लाभ मिलेगा।
अंत में : सिद्धासन लगाकर आंखें बंद कर प्रतिदिन 20 मिनट का ध्यान करें। आपका कुल समय खर्च होगा 20 मिनट प्राणायाम और 20 मिनट ध्यान के। यदि आसन करते हैं तो सिर्फ 20 मिनट में होते हैं। याने कुल 1 घंटा। बाकी सब सावधानि और प्रतिबंध की बातों का पालन करना जरूरी।