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योग मुद्रासन

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योग मुद्रासन या मुद्रासन। यहां मुद्रासन करने की तीन विधियां बताई जा रही है। योग मुद्रासन का अभ्यास करने से पीठ की मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और रीढ़ में लचीलापन आता है।

आसन का लाभ : यह पेट और पीठ के लिए उत्तम योगासन है। जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। गैस, अपचन व कब्ज आदि की निवृत्ति करता है। पेन्क्रियाज को क्रियाशील करके मधुमेह को कम करने में भी लाभकारी है। मुद्रासन से तनाव दूर होता है। महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े हए विकारों को दूर करने के अलावा यह आसन रक्तस्रावरोधक भी है। मूत्राशय से जुड़ी विसंगतियों को भी यह आसन दूर करता है।

विधि-1 : पद्मासन में बैठकर दाएं हाथ की हथेली को पहले नाभि पर रखें और बाएं हाथ की हथेली दाएं हाथ पर रखें। फिर श्वास बाहर निकालते हुए आगे झुककर ठोड़ी भूमि पर टिका दें। दृष्टि सामने रहें। श्वास अन्दर भरते हुए वापस आएं। इस तरह 4-5 आवृत्ति करें। इसे योग मुद्रा कहते हैं। इसे ही वज्रासन में बैठकर भी कर सकते हैं।

विधि-2 : पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाकर दाएं हाथ से बाएं हाथ की कलाई को पकड़े। श्वास बाहर छोड़ते हुए भूमि पर ठोड़ी स्पर्श करें, दृष्टि सामने रहें। ठोड़ी यदि भूमि पर नहीं लगती है, तो यथाशक्ति सामने झुकें। इस आसन को वज्रासन में भी कर सकते हैं। कुछ लोग बद्ध पद्मासन लगाकर भी इस आसन को करते हैं।

विधि-3 : नर्म बिछात पर पीठ के बल लेट जाएं। हाथ बगल में और दोनों पैर सटाकर रखें। अब सांस भरते हुए पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, साथ ही कमर का भाग भी ऊपर उठाएं। अब दोनों हाथों की हथेलियों से कमर को सहारा दें। सीने से ठोड़ी का भाग दूर रखें।

इस स्थिति में शरीर का सारा बोझ गर्दन, कंधे और दोनों भुजाओं पर आ जाता है। इसमें शरीर संभालने में बांहों पर बहुत जोर पड़ता है। इस तरह मुद्रासन लेटकर भी किया जाता है। यही मुद्रासन है।

सावधानी : योग मुद्रासन आगे झुकने वाला आसन है। जब भी हम कोई पीछे झुकने वाला आसन करते हैं तो उन आसनों को करने के पश्चात योग मुद्रासन का अभ्यास कर लेना चाहिए। जिन्हें नेत्र रोग, हृदय रोग, कमर दर्द आदि से संबधित कोई समस्या हो वे योग मुद्रासन न करें।

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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