Yoda Day 2024: सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। शीर्षासन को करना गठिन होता है। शीर्षासन को करने के फायदे भी हैं और नुकसान भी। प्रारम्भ में यह आसन दीवार के सहारे टिक कर ही करें और वह भी योगाचार्य की देख-रेख में। सिर को भूमि से टिकाते समय ध्यान रखें की अच्छी तरह सिर का वह भाग ही टिका है, जिससे गर्दन और रीढ़ की हड्डी सीधी रह सकें। पैरों को झटके से ऊपर ना उठाएं। अभ्यास से यह स्वतः ऊपर उठने लगता है। पुन: सामान्य स्थिति में आने के लिए झटके से पैरों को भूमि पर न रखें तथा सिर एकदम से उपर न उठाएं। पैरों को क्रमश: ही भूमि पर रखें और सिर को हाथों के पंजों के बीच में कुछ देरी तक रखने के बाद ही वज्रासन में आएं।
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फायदे:
1. इससे पाचनतंत्र को लाभ मिलता है।
2. इससे मस्तिष्क का रक्त संचार बढ़ता है, जिससे की स्मरण शक्ति पुष्ट होती है।
3. हिस्टिरिया एवं अंडकोष वृद्धि, हर्निया, कब्ज आदि रोगों को दूर करता है।
4. असमय बालों का झड़ना एवं सफेद होना दूर करता है।
5. आंखों की ज्योतिष बढ़ती है।
6. चेहरे की झुरिर्यों में लाभ मिलता है।
7. सभी समय पर करते रहने से गाल नहीं लटकते हैं।
सावधानी : जिन्हें सिर, मेरुदंड, पेट आदि में कोई शिकायत हो वह यह आसन कतई न करें। किसी योग्य योग शिक्षक की देखरेख में करना चाहिए अन्यथा गर्दन में समस्या उत्पन्न हो सकती है या और किसी तरह की समस्या खड़ी हो सकती है।
नुकसान:
1. अधिक देर तक या बार बार करने से सिर और आंखों की समस्या हो सकती है।
2. इससे शरीर में रक्त का परिसंचार बढ़ जाता है। इससे अधिक रक्त सिर में जमा होता है जो आपको चक्कर आने और सिरदर्द होने कारण बन सकता है।
3. शीर्षासन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इससे ब्लड वेसल में तनाव बढ़ सकता है और दिल के लिए अधिक दबाव पैदा हो सकता है।
4. यदि आप शीर्षासन के लिए सही तरीके से तैयार नहीं हैं या सही तरीके से नहीं करते हं तो आपको सिरदर्द हो सकता है।