सहारा इंडिया का बीसीसीआई और आईपीएल से बतौर प्रायोजक अलग हो जाना वाकई एक दुखद घटना है। उनका आपसी मामला चाहे कुछ भी हो, पर एक क्रिकेट फैन होने के नाते तो हम सिर्फ इतना ही कह सकते हैं कि हमारे खिलाड़ियों को सहारा की टी शर्ट में देखने की आदत-सी पड़ गई थी, वहीं अब तो आईपीएल की टीम पुणे वारियर्स का भविष्य भी खतरे में नजर आ रहा है। खैर! हम इस बार के सवाल की ओर बढ़ते हैं।
प्रश्न : सहारा समूह के प्रमुख का नाम क्या है?
प्रतिभागियों की तलाश में काफी भटकने के बाद हमें जागरसिंह रावत कॉलेज जाते हुए मिले। बत्ती गुल का प्रश्न सुनकर इन्होंने कहा- ऐसे नाम याद नहीं आ रहा, आप ऑप्शन दें तो शायद याद आ जाए। अमम.. ऑप्शन तो हम देंगे नहीं, थोड़ा दिमाग पर जोर डालकर याद कीजिए। सुब्रतो समथिंग है उनका नाम। हाँ, हाँ याद कीजिए। सुब्रतो रॉय? बिलकुल सही।
हाँ तो प्रियेश जवाब तो आपका भी सही ही है। बस आपतो इतना बताएँ कि यह ज्ञान आपको कहाँ से हासिल हुआ। पेपर में ही पढ़ा था मैंने भी। जब से सहारा ने क्रिकेट से स्पाँसरशिप हटाई है, तब से उनका नाम खबरों में खूब आ रहा है। तो आपको क्रिकेट पसंद है? हाँ क्रिकेट तो सबको पसंद होता है। (यह तो सच है)
हमारे एक अन्य प्रतिभागी थे मो. इरफान। इन्हें अपने दोस्तों के साथ कहीं जाने की जल्दी थी, सो वे हेलमेट पहन कर बाइक पर बैठे ही थे कि हमने इन्हें धरदबोचा। प्रश्न पूछते ही इरफान ने तुरंत जवाब दे दिया।-सुब्रतो रॉय। (अरे वाह, क्रिकेट पसंद है?) हाँ मैं क्रिकेट फैन हूँ। स्पाँसरशिप की खबर के अलावा आईपीएल के कारण भी उनका नाम जानता हूँ। खैर! वैसे वे तो खबरों में बने ही रहते हैं।
फिर हमें आईईटी के विद्यार्थियों का समूह मिला। इन्हें प्रश्न बताते ही आशय और प्रियेश ने एक साथ कहा- सुब्रतो रॉय। आशय गोधा कहाँ पढ़ा या सुना आपने सहारा प्रमुख का नाम? पेपर में पढ़ा था। मैं न्यूजपेपर रेगुलर पढ़ता हूँ। (बढ़िया। यह आदत हमेशा आपकी बत्ती गुल होने से बचाएगी) आपका जवाब सही है।
पास ही दोस्तों के साथ गप्पे मार रहे थे नीरज अग्रवाल। नीरज आपको सहारा ग्रुप के प्रमुख का नाम पता है? अमम.. नहीं पता। (अभी बीसीसीआई से सहारा इंडिया ने स्पाँसरशिप हटाई, इस खबर के साथ तो उनका नाम हर अखबार और चैनल पर आया है।) वो मुझे क्रिकेट में ज्यादा रुचि नहीं है, इसलिए उसकी खबरें भी मैं नहीं देखता। (अच्छा बहाना है)। दोस्तों सहारा समूह के प्रमुख सुब्रतो रॉय ही हैं। यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि आप लोग खबरों से वास्ता रखते हैं। जो नहीं रखते वे भी अब अखबार पढ़ना शुरू करें। क्या पता कब हम आपकी बत्ती गुल करने आपसे मिल जाए...