नई दिल्ली। इस साल खेल जगत की नजरें भारत पर लगी रही और भारत की आंखों के तारे रहे विराट कोहली जिनकी आदत में शुमार हो गया है क्रिकेट के नित नए रिकॉर्ड बनाना। फीफा अंडर 17 विश्व कप की सफल मेजबानी करके भारत ने अपना लोहा मनवाया।
रन मशीन कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम ने जीत दर जीत दर्ज करके ऐसा तिलिस्म गढ़ा है जिसे तोड़ पाना विरोधी टीमों के लिए नामुमकिन सा होने लगा है।
इस साल खेल जगत में भारतीय बैडमिंटन की पोस्टर गर्ल पी वी सिंधू की भी तूती बोली जबकि किदाम्बी श्रीकांत ने सफलता की नई परिभाषा लिखी। महिला और पुरुष हॉकी टीमों ने उपमहाद्वीपीय चैम्पियन का दर्जा हासिल किया।
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार तीन साल बाद रिंग में लौटे तो मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में बरसों बाद पीला तमगा दिलाया। एम सी मेरीकाम ने एशियाई चैम्पियनशिप स्वर्ण के साथ वापसी की और क्यू खेलों में पंकज आडवाणी ने 18वां विश्व खिताब जीता। मुक्केबाज गौरव बिधूड़ी ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।
साल के आखिर में शतरंज के शहंशाह विश्वनाथन आनंद ने पिछली नाकामियों का गम दूर करके चौदह बरस बाद रैपिड शतरंज खिताब जीता।
महिला क्रिकेट टीम पुरुष टीम की छत्रछाया से निकलकर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही। मिताली राज एंड कंपनी विश्व कप में उपविजेता रही और पहली बार कोहली एंड कंपनी से इतर उनकी उपलब्धि को देश ने माना और सराहा। पुरुष क्रिकेट टीम का जलवा इस साल भी बदस्तूर जारी रहा।
भारत ने पहली बार फीफा के किसी टूर्नामेंट की मेजबानी की और सफल मेजबान साबित हुआ। भारतीय टीम का सफर भले ही पहले दौर में खत्म हो गया लेकिन भारतीय फुटबॉल के लिए यह टूर्नामेंट क्रांतिकारी साबित हुआ। हॉकी, मुक्केबाजी, बैडमिंटन और निशानेबाजी के भी बड़े टूर्नामेंट भारत में खेले गए। भारतीय क्रिकेट टीम ने इस साल फिर सफलता की नयी गाथा अपने नाम की। भारत के इस साल के सुनहरे सफर के सूत्रधार रहे कोहली जो साल के आखिर में परिणय सूत्र में बंधने के कारण भी सुर्खियों में रहे।
क्रिकेट में महानायक का दर्जा हासिल कर चुके कोहली ने बल्ले से कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। उन्होंने लगातार चार दोहरे शतक जड़े और बतौर कप्तान सर्वाधिक दोहरे शतक जमाने का नया रिकार्ड बनाकर डान ब्रैडमेन और ब्रायन लारा ( 6 ) को पछाड़ा। वनडे क्रिकेट में उपकप्तान रोहित शर्मा इस प्रारूप में तीन दोहरे शतक जमाने वाले इकलौते बल्लेबाज हो गए।
भारतीय क्रिकेट टीम ने भले ही कामयाबी की बुलंदियों को छुआ हो लेकिन कप्तान कोहली से मतभेद के कारण कोच अनिल कुंबले की विवादास्पद विदाई को अनदेखा नहीं किया जा सकता जबकि दोनों ने मिलकर लगातार नौ जीत दर्ज की थी।
रवि शास्त्री को सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और सचिन तेंदुलकर की सदस्यता वाली क्रिकेट सलाहकार समिति ने फिर कोच चुना।
मैदान के बाहर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इनमें से रामचंद्र गुहा और विक्रम लिमये पद छोड़ चुके हैं। (भाषा)