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पंजाब में 10 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में हुई जोरदार वापसी

हमें फॉलो करें पंजाब में 10 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में हुई जोरदार वापसी
चंडीगढ़ , रविवार, 24 दिसंबर 2017 (17:10 IST)
चंडीगढ़। पंजाब में जहां इस साल विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की जबरदस्त जीत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी हुई, वहीं इस साल अलग मामलों में पंजाब देश में चर्चित रहा।
 
इस साल की शुरुआत में जहां विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 77 सीटें हासिल कर कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में सरकार का गठन किया, वहीं राज्य में 10 साल से सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन को 18 सीटों से संतोष करना पड़ा। देश में 2014 में हुए आम चुनावों में सूबे में 4 लोकसभा सीट जीतकर धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराने वाली आम आदमी पार्टी को राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में केवल 20 सीटें हासिल हुईं।
 
इसी साल गुरदासपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में शानदार जीत हासिल करते हुए कांग्रेस ने भाजपा से उसकी मजबूत पकड़ वाली यह सीट छीन ली। गुरदासपुर के सांसद विनोद खन्ना के निधन से यह सीट रिक्त हुई थी। इस साल के आखिर में सूबे में स्थानीय निकाय चुनाव में भी पार्टी ने बेजोड़ प्रदर्शन करते हुए अपना परचम लहराया।
 
राज्य से सभी प्रकार के माफिया राज को खत्म करने का चुनावी वादा करने वाली कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर रेत खनन के मामले में अनुचित तरीका अख्तियार करने का आरोप लगा। कैप्टन ने मुख्यमंत्री के तौर पर निर्णय करते हुए वीआईपी संस्कृति समाप्त की और सभी मंत्रियों की विदेश यात्रा पर 2 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा नशे की समस्या से निजात दिलाने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का भी गठन किया।
 
इस साल अप्रैल में भारतीय मूल के कनाडाई रक्षामंत्री हरजीत सिंह सज्जन को खालिस्तानी आतंकवादियों का हिमायती बताकर कैप्टन ने कहा कि उनके पंजाब आने पर वे और उनकी सरकार उनका स्वागत नहीं करेंगे। सज्जन पंजाब के होशियारपुर जिले के रहने वाले हैं।
 
आम आदमी पार्टी को इस साल जबरदस्त झटका लगा, जब पार्टी के पंजाब इकाई के संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और आप विधायक एचएस फुल्का ने भी नेता विपक्ष का पद छोड़ दिया।
 
राज्य सरकार ने एक बिल पारित कर हर साल 1 जनवरी को सभी विधायकों के लिए अचल संपत्ति की घोषणा करना अनिवार्य कर दिया। इसी साल पंजाब पुलिस ने ब्रिटिश नागरिक सहित 5 लोगों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता जगदीश गगनेजा सहित अन्य लक्षित हत्याओं का मामला सुलझाने का दावा किया। इसके साथ ही पुलिस ने पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई पर राज्य को अस्थिर करने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया।
 
धान की कटाई के बाद पुआल जलाने के मसले पर भी पंजाब सुर्खियों में रहा, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मसले पर चर्चा करने के लिए कैप्टन से मुलाकात करने की बात कही। इस मामले में कैप्टन ने केजरीवाल को ऐसे मामलों का राजनीतिकरण करने के प्रयास से बचने की सलाह देते हुए मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग की।
 
दूसरी ओर इस साल के अंत में अमृतसर के दौरे पर आए लंदन के महापौर सादिक खान ने जलियांवाला बाग कांड को कभी नहीं भूलने वाला हादसा करार देते हुए कहा कि इसके लिए ब्रिटिश सरकार को माफी मांगनी चाहिए। (भाषा)

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