दुबई: सामाजिक-आर्थिक संकट से जूझने और अपने इतिहास में सबसे बुरे लोकतांत्रिक उथल-पुथल को झेलने वाले श्रीलंका को उसकी क्रिकेट टीम जश्न मनाने का कुछ मौका दे सकती है लेकिन इसके लिए उसे रविवार को यहां एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान की मजबूत टीम को हराना होगा।
दोनों ही टीमें फाइनल में दो बार भिड़ चुकी है। साल 2000 में जब पाकिस्तान ने नवनियुक्त विकेटकीपर मोइन खान की कप्तानी में टीम एक भी मैच नहीं हारी थी और फाइनल में श्रीलंका को 39 रनों से मात दी थी।
वहीं साल 2014 में श्रीलंका भी अपना एक भी मैच हारे बिना फाइनल में पहुंची थी। ऑलराउंडर एंजलो मैथ्यूज की कप्तानी में श्रीलंका ने पाकिस्तान को 5 विकेट से खिताबी मात दी थी। इससे पहले साल 1986 में भी श्रीलंका ने पाकिस्तान को एशिया कप फाइनल में हराया था।हालांकि इस टूर्नामेंट में दोनों टीमें को कम से कम 1 हार मिल चुकी है।
श्रीलंका एक तरह से एशिया कप का मेजबान है लेकिन सुरक्षा कारणों से वह इसका आयोजन अपने देश में नहीं कर पाया और इसलिए संयुक्त अरब अमीरात को इस टूर्नामेंट को आयोजित करने का मौका मिला।
दासुन शनाका की अगुवाई वाली टीम यदि अपने घरेलू मैदान पर फाइनल खेल रही होती तो उसके लिए यह सुखद क्षण होता लेकिन सुपर चार में उसके प्रदर्शन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बाबर आजम की अगुवाई वाली पाकिस्तानी टीम के लिए चुनौती किसी भी तरह से आसान नहीं होगी।
चाहे वह एशियाई क्रिकेट परिषद हो या फिर दुबई के दर्शक, सभी चाहते थे कि फाइनल मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच हो लेकिन श्रीलंका ने बेहतरीन प्रदर्शन करके उनके सारे समीकरण बिगाड़ दिए।
केवल यही नहीं उसने शुक्रवार को फाइनल के अपने प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ सुपर चार के अंतिम मैच में आसान जीत दर्ज की। इससे उसकी टीम फाइनल में बढ़े मनोबल के साथ उतरेगी।
लेकिन दुबई में पाकिस्तान को दर्शकों का अपार समर्थन मिलने की संभावना है और ऐसे में बाबर आजम, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद नवाज और नसीम शाह जैसे खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे।
पाकिस्तान के सामने श्रीलंका की ऐसी टीम होगी जो अपनी क्रिकेट को पुनर्जीवित करने की कवायद में लगी है। वह एक ऐसे प्रारूप में अपनी छाप छोड़ना चाहती है जिसमें वह 2014 में विश्व चैंपियन बनी थी।
श्रीलंका की क्रिकेट को पिछले कुछ समय से खराब चयन और बोर्ड के अंदर की राजनीति से जूझना पड़ा लेकिन अब उसके खिलाड़ियों ने टी20 क्रिकेट में अपना रवैया बदल दिया है और उसमें आक्रामकता जोड़ दी है।
दुशमंत चमीरा जैसे अनुभवी गेंदबाज की अनुपस्थिति के बावजूद श्रीलंका का आक्रमण मजबूत नजर आता है जबकि बल्लेबाजी में उसके पास कुसाल मेंडिस और पाथुम निसांका दो शानदार सलामी बल्लेबाज हैं। दनुष्का गुणतिलका, भानुका राजपक्षे, शनाका और चमकात्ने करुणारत्ने ने भी उपयोगी योगदान दिया है।
एशिया कप के पांच मैचों में अब तक श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने 28 छक्के और 62 चौके लगाए हैं जिससे उनके आक्रामक रवैये का पता चलता है।गेंदबाजी में महेश तीक्षणा और वानिंदु हसरंगा ने स्पिन विभाग को बखूबी संभाला है, जबकि दिलशान मधुशंका ने मुख्य तेज गेंदबाज की जिम्मेदारी काफी सराहनीय रूप से निभाई है।
इसके विपरीत पाकिस्तान अपने कप्तान और सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बाबर की फॉर्म को लेकर चिंतित है जिन्होंने अब तक पांच मैचों में केवल 63 रन बनाए हैं। वह फाइनल में निश्चित तौर पर बड़ी पारी खेलने की कोशिश करेंगे।
गेंदबाजी अभी पाकिस्तान का मजबूत पक्ष नजर आता है। नसीम शाह के खेल में लगातार सुधार हो रहा है जबकि हारिस रऊफ और मोहम्मद हसनैन भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उसके दोनों स्पिनर लेग ब्रेक गेंदबाज शादाब खान और बाएं हाथ के स्पिनर मोहम्मद नवाज ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।
दुबई में हालांकि टॉस की भूमिका महत्वपूर्ण रही है और ऐसे में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को नुकसान होता है। पाकिस्तान का वैसे भी पहले बल्लेबाजी करते हुए प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। उसने भारत और श्रीलंका के खिलाफ जो मैच गंवाए उसमें उसने पहले बल्लेबाजी की थी।(भाषा)
टीम इस प्रकार हैं:
श्रीलंका: दासुन शनाका (कप्तान), दनुष्का गुणतिलका, पाथुम निसांका, कुसाल मेंडिस, चरित असलंका, भानुका राजपक्षे, आशेन बंडारा, धनंजया डी सिल्वा, वनिन्दु हसरंगा, महेश तीक्षणा, जेफरी वेंडरसे, प्रवीण जयविक्रमा, चमिका करुणारत्ने, दिलशान पथिराना, नुवानीडु फर्नांडो और दिनेश चांदीमल।
पाकिस्तान: बाबर आजम (कप्तान), शादाब खान, आसिफ अली, फखर जमां, हैदर अली, हारिस रऊफ, इफ्तिखार अहमद, खुशदिल शाह, मोहम्मद नवाज, मोहम्मद रिजवान, नसीम शाह, शाहनवाज दहानी, उस्मान कादिर, मोहम्मद हसनैन, हसन अली।
मैच भारतीय समयानुसार शाम 7:30 पर खेला जाएगा।