धर्म-पुराणों के अनुसार पाप 10 प्रकार के कहे गए हैं। 3 तीन प्रकार के शरीर के और 4 प्रकार के वाणी द्वारा किए गए एवं 3 मानसिक रूप से होने वाले पाप। अतः गंगा स्नान, गंगा एवं गंगा स्मरण, इन दस प्रकार के पापों को समाप्त कर मानव को कायिक, वाचिक एवं मानसिक रूप से निर्मल कर देती है।
पुराणों के अनुसार पावन नदी गंगा 10 पापों को नष्ट करती है जो क्रमश: इस प्रकार है -
तीन दैहिक पाप -
1 बिना दी हुई वस्तु को ले लेना
2 निषिद्ध हिंसा
3 परस्त्री गमन
वाणी से होने वाले चार पाप -
4 कठोर वचन मुंह से निकालना
7 अनाप शनाप बातें करना
*****
तीन मानसिक पाप
8 दूसरे के धन को लेने का विचार करना
9 मन से दूसरों का बुरा सोचना
10 असत्य वस्तुओं में आग्रह रखना (व्यर्थ की बातों में दुराग्रह) है।
इन दस पापों का हरण करने में यही गंगा दशहरा नामक पावन त्योहार सक्षम है।