Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

गुण नहीं सप्तम भाव का मिलान करें, जानिए दाम्पत्य जीवन का राज

Advertiesment
हमें फॉलो करें गुण नहीं सप्तम भाव का मिलान करें, जानिए दाम्पत्य जीवन का राज

अनिरुद्ध जोशी

विवाह पूर्व अष्टकूट या मिलान में अधिकतर लोग गुण मिलाकर शादी कर लेते हैं। गुणों में नाड़ी के मिलने का अर्थ होता है कि संतान में बाधा नहीं आएगी और यदि भकूट एवं मैत्री भी मिल जाए तो माना जाता है कि दोनों में सामंजस्य रहेगा। लेकिन कुंडली मिलान में सप्तम भाव का बड़ा महत्व होता है। आओ जानते हैं सप्तम भाव के बारे में खास जानकारी।
 
 
1. कुंडली में सप्तम भाव को विवाह का घर माना जाता है। इस भाव में जो घर बैठा हो वैसा वैवाहिक जीवन होने की मान्यता है। सातवें भाव को पत्नी, ससुराल, प्रेम, भा‍गीदारी और गुप्त व्यापार के लिए भी माना जाता है।
 
2. ज्योतिषाचार्यों अनुसार यदि सातवें भाव पर पापग्रहों की दृष्टि है या अशुभ राशि का योग होता है तो पुरुष चरित्रिहीन हो सकता है।
 
3. यदि स्त्री की कुंडली में इस भाव में पापग्रह विराजमान है और कोई शुभ ग्रह की दृष्टि नहीं है तो कहा जाता है कि ऐसी स्त्री पति की मृत्यु का कारण बनती है। 
 
4. यदि कुंडली के द्वितीय भाव में शुभ ग्रह बैठे हैं तो पहले स्त्री की मौत होती है। इसके अलावा यदि सूर्य और चंद्र की आपस में दृष्टि शुभ होती है तो पति और पत्नी में आपसी सामजस्य अच्छा रहता है।
 
5. माना जाता है कि यदि चंद्र और सूर्य की आपसी दृष्टि 150 डिग्री, 180 डिग्री या 72 डिग्री के आसपास की युति होती है तो कभी भी किसी भी समय तलाक की नौबत आ सकती है या अलगाव हो जाएगा। 
 
6. यदि केतु और मंगल का संबंध किसी प्रकार से आपसी युति बना ले तो वैवाहिक जीवन आदर्शहीन होगा।
 
7. स्त्री की कुंडली में सूर्य सातवें स्थान पर पाया जाना ठीक नहीं माना गया है। ऐसा योग वैवाहिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है।
 
उपरोक्त के अलावा भी सप्तम भाव में प्रत्येक ग्रह का अलग अलग प्रभाव होता है। जैसे सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु का होना शुभ नहीं माना जाता है। इसी तरह अन्य ग्रहों और सूर्य एवं चंद्र की स्थिति देखकर ही दाम्पत्य जीवन के सुखमयी होने की बात कही जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

shani jayanti special : किस राशि पर शनि कैसा फल देते हैं, यह जानकारी आपको नहीं होगी