Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कब व कैसे होता है अधिक मास, जानिए विशेष जानकारी...

Advertiesment
हमें फॉलो करें कब व कैसे होता है अधिक मास, जानिए विशेष जानकारी...
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

क्या होता है 'अधिक मास'- 
 
विरोधकृत नामक नवसंवत्सर 2075 प्रारंभ हो चुका है। इस नवीन संवत्सर में 'अधिक मास' रहेगा। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है जब हिन्दी कैलेण्डर में पंचांग की गणनानुसार 1 मास अधिक होता है तब उसे 'अधिक मास' कहा जाता है। 
 
हिन्दू शास्त्रों में 'अधिक मास' को बड़ा ही पवित्र माना गया है, इसलिए 'अधिक मास' को 'पुरुषोत्तम मास' भी कहा जाता है। 'पुरुषोत्तम मास' अर्थात् भगवान पुरुषोत्तम का मास। शास्त्रों के अनुसार 'अधिकमास' में व्रत पारायण करना, पवित्र नदियों में स्नान करना एवं तीर्थ स्थानों की यात्रा का बहुत पुण्यप्रद होती है। 
 
आइए जानते हैं कि 'अधिक मास' कब व कैसे होता है?
 
पंचांग गणना के अनुसार एक सौर वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चन्द्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चन्द्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसी अंतर को समायोजित करने हेतु 'अधिक मास' की व्यवस्था होती है। 
 
'अधिक मास' प्रत्येक तीसरे वर्ष होता है। 'अधिक मास' फाल्गुन से कार्तिक मास के मध्य होता है। जिस वर्ष 'अधिक मास' होता है उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने होते हैं। 'अधिक मास' के माह का निर्णय सूर्य संक्रान्ति के आधार पर किया जाता है। जिस माह सूर्य संक्रान्ति नहीं होती वह मास 'अधिक मास' कहलाता है।
 
वर्ष 2018 में है 'अधिक मास'-
 
वर्ष 2018 में 'अधिक मास' 16 मई से 13 जून के मध्य रहेगा। इस वर्ष ज्येष्ठ मास की अधिकता रहेगी अर्थात् इस वर्ष दो ज्येष्ठ मास होंगे। 'अधिक मास' की मान्यता 16 मई से 13 जून होगी।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्यों प्रचलन में आया पत्नी का पतिव्रता होना, जानिए