Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में अक्षय तृतीया को माना गया है खास, जानिए महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें 2018 Akha Teej
‘अक्षय तृतीया’ के रूप में प्रख्यात वैशाख शुक्ल तीज को स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि में आरंभ किए गए कार्यों को कम से कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता मिलती है। अक्षय तृतीया में 42 घटी और 21 पल होते हैं।

सोना खरीदने के लिए यह श्रेष्ठ काल माना गया है। अध्ययन आरंभ करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ दिन है। अक्षय तृतीया कुंभ स्नान व दान पुण्य के साथ पितरों की आत्मा की शांति के लिए आराधना का दिन भी माना गया है।
 
अक्षय तृतीया के पावन पर्व को कई नामों से पहचाना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को 'अक्षय तृतीया' या 'आखातीज' कहते हैं। 'अक्षय' का शाब्दिक अर्थ है- जिसका कभी नाश (क्षय) न हो अथवा जो स्थायी रहे। स्थायी वही रह सकता है जो सदा शाश्वत है।

इस पृथ्वी पर सत्य केवल परमात्मा है जो अक्षय, अखंड और सर्वव्यापक है यानी अक्षय तृतीया तिथि ईश्वर की तिथि है। इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंतियां भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है।
 
परशुरामजी की गिनती 7 चिंरजीवी विभूतियों में की जाती है। इसी वजह से यह तिथि 'चिरंजीवी तिथि' भी कहलाती है। चार युग- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग में से त्रेतायुग का आरंभ इसी अक्षय तृतीया से हुआ है।
 
अंकों में विषम अंकों को विशेष रूप से '3' को अविभाज्य यानी ‘अक्षय’ माना जाता है। तिथियों में शुक्ल पक्ष की ‘तीज’ यानी तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समस्त तिथियों से सबसे विशेष स्थान प्राप्त है।
 
भारतीय शास्त्रों में 4 अत्यंत शुभ सिद्ध मंगल मुहूर्त माने गए हैं, जो निम्न है-
 
1. गुड़ी पड़वा। 2. अक्षय तृतीया। 3. दशहरा। 4. दीपावली के पूर्व की प्रदोष। 
 
शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। तिथि का उन लोगों के लिए विशेष महत्व होता है। जिनके विवाह के लिए ग्रह-नक्षत्र मेल नहीं खाते। इस शुभ तिथि पर सबसे ज्यादा विवाह संपन्न होते हैं।

अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महान संत सेनजी महाराज का अवतरण दिवस