ज्योतिष मनुष्य के जीवन के हर पहलू की जानकारी देता है। उसकी आयु का निर्धारण भी करता है। मगर जीवन-मरण ईश्वर की ही इच्छानुसार होता है अतः कोई भी भविष्यवक्ता इस बारे में घोषणा न करें ऐसा गुरुओं का निर्देश होता है। खतरे की पूर्व सूचना दी जा सकती है। जिससे बचाव के उपाय किए जा सके। कई बार कुंडली में अल्पायु योग होते हैं परंतु हाथों में नहीं और कई बार हाथों में होते हैं परंतु कुंडली में नहीं। इसलिए इसको ज्यादा गंभीरता से नहीं ले सकते हैं। फिर भी जा लें कि कुंडली के अनुसार अल्पायु योग है तो उनके निदान भी है। यहां 10 निदान जानिए।
अल्पायु योग का निदान :
1. अल्पायु योग में जातक के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है, ऐसे में खानपान और व्यवहार में सावधानी रखनी चाहिए। अल्पायु योग के जातक को हर तरह के बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए और पुण्य कार्य करना चाहिए।
2. अल्पायु योग के निदान के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए और उनकी पूजा करना चाहिए।
3. अल्पायु योग के निदान हेतु गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र पढ़कर उसे सिद्ध कर लेना चाहिए। प्रतिदिन 10 माला का जाप करें और शिवजी को जलाभिषेक करें।
4. प्रतिदिन गाय, कुत्ते, कौवे या पक्षियों को भोजन कराते रहें और प्रतिदिन पीपल के वृक्ष की तीन परिक्रमा करें।
5. अल्पायु योग में गुरुवार, सोमवार और एकादशी का विधिवत रूप से व्रत रखना ही चाहिए, क्योंकि गुरु ही आयु प्रदान करने वाला होता है।
6. कुंडली के मुख्य ग्रहों को मजबूत करने के उपाय करना चाहिए। शनि, राहु, केतु के उपाय के साथ ही षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव व ग्रहों के उपाय करना चाहिए।
7. कुलदेवी और देवता एवं इष्टदेव का जप, ध्यान और दान करते रहना चाहिए। बुजुर्गों, माता पिता और पत्नी एवं बेटी का सम्मान करें।
8. घर के वास्तु को ठीक कराना चाहिए और आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य मुखी मकान में नहीं रहना चाहिए।
9. तीर्थ क्षेत्रों में जाकर श्राद्ध कर्म आदि पुण्य कार्य करना चाहिए। बच्चों को दूध का दान करें। कन्याओं को भोजन कराते रहें।
10. अल्पायु योग से बचने हेतु शास्त्रों अध्ययन करना चाहिए या किसी पंडित, ज्योतिष आदि से उपाय पूछकर वे उपाय करते रहना चाहिए।