Barkat ke liye kya karna chahie: बरकत को हिन्दी में प्रचुरता मान सकते हैं। बरकत अर्थात वह शुभ स्थिति जिसमें कोई चीज या चीजें इस मात्रा में उपलब्ध हों कि उनसे आवश्यकताओं की पूर्ति होने के बाद भी वह बची रहे। अर्थात अन्न इतना हो कि घर के सदस्यों के सहित अतिथि आए तो वह भी खाले। धन इतना हो कि आवश्यकताओं की पूर्ति के बावजूद वह बचा रहे।
1. अग्निहोत्र कर्म करें : अग्निहोत्र कर्म 2 तरह से होता है पहला यह कि हम जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है। दूसरा तरीका है यज्ञ की वेदी बनाकर हवन किया जाता है।
2. दान देना सीखें : प्रकृति का यह नियम है कि आप जितना देते हैं वह उसे दोगुना करके लौटा देती है। यदि आप धन या अन्न को पकड़ कर रखेंगे तो वह छूटता जाएगा। दान में सबसे बड़ा दान है अन्न दान। गाय, कुत्ते, कौवे, चिंटी और पक्षी के हिस्से का भोजन निकालना जरूरी है।
3. घर की सफाई : घर को साफ सुधरा और सुंदर बनाकर रखें। घर के चारों कोने साफ हों, खासकर ईशान, उत्तर और वायव कोण को हमेशा खाली और साफ रखें।
4. क्रोध-कलह से बचें : घर में क्रोध, कलह और रोना-धोना आर्थिक समृद्धि व ऐश्वर्य का नाश कर देता है। आपस में प्रेम और प्यार बनाए रखने के लिए एक दूसरे की भावनाओं को समझे और परिवार के लोगों को सुनने और समझने की क्षमता बढ़ाएं। घर की स्त्री का सम्मान करें। मां, बेटी और पत्नी का सम्मान जरूरी है।
5. भोजन के नियमों का पालन करें : भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखकर ही भोजन करें। भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न थोएं। थाली में कभी जूठन न छोड़े। भोजन करने के बाद थाली को कभी, किचन स्टेन, पलंग या टेबल के नीचे न रखें। उपर भी न रखें। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें। इसी तरह के कई और भी नियम हैं जिनका पालन करें।