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भविष्य मालिका : तीसरा छोड़ो, हो गई है चौथे धर्मयुद्ध की भविष्यवाणी, जानिए किन लोगों के बीच होगा यह युद्ध

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हमें फॉलो करें भविष्य मालिका की भविष्यवाणी

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 8 अगस्त 2022 (14:50 IST)
यूक्रेन-रशिया और चीन-ताइवान के तनाव के बीच दुनिया तीसरे विश्‍व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। प्रथम विश्‍व युद्ध 1914 में और द्वितीय विश्व युद्ध 1939 में लड़ा गया था। अब तीसरे युद्ध की चर्चा हो रही है, लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि तीसरा नहीं भारतीय मान्यताओं के अनुसार चौथा विश्वयुद्ध  होने वाला है। हम जिस चौथे विश्‍व युद्ध की बात कर रहे हैं दरअसल वह धर्मयुद्ध होगा।
 
 
1. आपको यह तो पता ही होगा कि अब्राहमिक धर्मों के आपसी युद्ध भी हुई थे। जैसे 1095 से 1291 के बीच 7 बार जो युद्ध किए उसे क्रूसेड कहा जाता है। से इतिहास में सलीबी युद्ध भी कहते हैं। लेकिन हम आपको इन युद्धों के या अब्राहमिक धर्मों के अगले युद्ध के बारे में नहीं बता रहा है।
 
2. धर्मयुद्ध की बात दरअसल हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कही जा रही है। इस तरह के वीडियो वायरल हो रहे हैं जिममें भविष्य मालिका की भविष्यवाणियों के अनुसार चौथे धर्मयुद्ध की बात कही जा रही है।
 
3. आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह चौथा धर्म युद्ध क्या है? दरअसल वायरल वो रही भविष्यवाणी में कहा जा रहा है कि पहला धर्मयुद्ध सतयुग में देवता और देत्यों में हुआ था जिसे देवासुर संग्राम कहा गया, दूसरा धर्मयुद्ध त्रेता में हुआ था जिसे राम और रावण का युद्ध कहा गया, तीसरा धर्मयुद्ध द्वापर में हुआ था जिसे महाभारत का युद्ध कहा गया, परंतु अब जल्द ही चौथा धर्मयुद्ध होने वाला है जिसे भगवान कल्कि लड़ेंगे।
 
4. भविष्य मालिाक के अनुसार चौथा धर्मयुद्ध महाविनाश लाएगा। महाविनाश से पहले शिव की द्वारा किए गए इस धरती पर कुछ बदलाव देखे जाएंगे। जिसमें हमारे सामने प्राचीनकाल के चिन्ह या सतयुग से संबंधित कुछ अवशेष सामने आएंगे और वो मंदिर या धर्मस्थल जो बहुत प्राचीन है उनमें से कुछ विलुप्त हो जाएंगे।
5. वायरल हो रही भविष्यवाणी में कहा गया कि भगवान शिव का एक शिवलिंग पाया गया जो कि सतयुग का है। यह शिवलिंग 16 जुलाई 2022 को उत्तरप्रदेश के महू जिले में मिला है। करीब एक फुट लंबा और डेढ़ फुट चौड़ा यह शिवलिंग चांदी का बताया जा रहा है जिसके भीतर लाख भरा है। कुछ कहते हैं कि यह शिवलिंग सरयू नदी के तट पर मिला है। दूसरा शिवलिंग जो मिला है वह जनेऊ धारण किए और मस्तक पर चंद्रमा वाला है। यह शिवलिंग नर्मदा नदी में एक नाविक को मिला। भविष्य मालिका में इस तरह के अवशेषों और शिलालेखों के मिलने का वर्णन मिलता है। मालिका के मुताबिक कलियुग के अंत में दुनियाभर में सनातन धर्म के प्रतीक चिन्ह मिलने लगेंगे। जल प्रलय और प्राकृतिक आपदा की वजह से कई पुराने गांव और शहर दोबारा दिखाई देने लगेंगे। 
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6. भविष्य मालिका के अनुसार केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्र और अमरनाथ गुफा से भगवान के चले जाने और इन स्थलों के लुप्त हो जाने के संकेत भी दिए गए हैं। इन तीर्थों के लुप्त होने की भविष्यवाणी को एक महाविनाश के संकेत के रूप में भी बताया गया है। इनके लुप्त होने से कलयुग का अंत हो जाएगा।
7. आज पूरे विश्‍व में बाढ़, भूकंप, ग्लेशियरों का पिघलना, ज्वालामुखी विस्फोट और धरती की गति में परिवर्तन होना, यह सभी किसी महाविनाश के संकेत दे रहे हैं। इसकी के साथ ही चार धाम में भी बड़े प्राकृतिक बदलावा हो रहे हैं। श्रीमद देवी भागवत पुराण, स्कंद पुराण और नारद संहित के अनुसार कलयुग के 5 हाजार वर्ष बीत जाने के बाद गंगा नहीं धरती से स्वर्ग चली जाएगी। यानी उसका स्वाभाविक प्रभाव बंद हो जाएगा। क्योंकि गोमुख ग्लेशियर या गंगोत्री ग्लेशियर लगभग लुप्त होने की कगार पर है। हिन्दू धर्म ग्रंथ के अनुसार कलयुग के 5 हजार वर्ष हो चुके हैं। सिर्फ गंगा ही नहीं यमुना और नर्मदा के लुप्त होने के भी संकेत हैं।
 
8. स्कंद पुराण के अनुसार बद्रीनाथ धाम एक दिन अचानक लुप्त हो जाएगा और ठीक उसी समय थोड़ी दूर पर एक नया धाम का उदय होगा जिसे भविष्य बद्री नाम से जाना जाएगा। हाल ही में बद्रीनाथ के मंदिर की दीवार में एक बड़ी दरार हो चली है। भविष्य बद्री नामक जो स्थान है जहां धीरे धीरे एक आकृति प्रकट हो रही है जिसकी लोग पूजा करने लगे हैं। भविष्यवाणी के अनुसार जोशीमठ में स्थित भगवान नृसिंह की कलाई जब मूर्ति से अलग हो जाएगी, तब कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा होगी, दूसरा जब नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे। तब बद्रनाथ और केदारनाथ जाने वाला रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। चौंकाने वाली बात है कि भगवान नृसिंह का एक हाथ सचम में ही पतला होकर टूटने की कगार में पहुंच गया है। जिस दिन ऐसा होगा उस दिन हो जाएगा कलयुग का पुरी तरह अंत। और तब शुरु होगा चौथा धर्मयुद्ध। 
9. भविष्य मालिका के अनुसार अधर्म के बढ़ने और प्राकृतिक बदलावा के चलते कई देव स्थान लुप्त हो जाएगं और कई लुप्त होने की स्थिति में पहुंच जाएंगे। इकका मुख्य कारण धरती का तापमान बढ़ने, प्राकृतिक बदलावा और अधर्म का राज रहेगा। तब महाविनाश और युद्ध प्रारंभ होगा। महाविनाश के बाद भगवान कल्कि अनंत माधन पुन: देव स्थानों की स्थापना करेंगे।
 
10. भविष्य मालिका के अनुसार चौथा महायुद्ध या कहें कि धर्मयुद्ध धर्म और अधर्म के बीच होगा। इस युद्ध के संबंध में हम पहले ही लिख चुके हैं। नीचे और बीच की लिंक पर क्लिक करके इस युद्ध बारे में विस्तार से जानें।
 
डिस्क्लेमर : उपरोक्त जानकारी विभिन्न स्रोत पर आधारित है। इसकी आधिकारिक पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है।

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