Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(प्रतिपदा तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • व्रत/मुहूर्त- कार्तिक व्रत पारणा, सूर्य वृश्चिक संक्रांति
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

चैत्र नवरात्र 28 को ही मनेगी, जानिए क्यों

हमें फॉलो करें चैत्र नवरात्र 28 को ही मनेगी, जानिए क्यों
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा को सूर्योदय के समय ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। इसके अतिरिक्त सतयुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ था। इसी महत्व को समझ कर भारत के महामहिम सम्राट विक्रमादित्य ने भी अपने संवत्सर का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा को किया था।
 
निर्णयसिन्धु आदि शास्त्रों के अनुसार यदि सूर्योदयान्तर एक मुहूर्त स्थानीय दिनमान का 15 वां भाग होता है के लिए भी प्रतिप्रदा तिथि व्याप्त हो, तो नवरात्रारंभ व घट स्थापनादि उसी दिन प्रातः करने चाहिए। यदि चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा सूर्योदय कालिक न मिले और अगले दिन प्रतिप्रदा का अभाव हो अथवा एक मुहूर्त से भी कम काल के लिए व्याप्त हो, तो उस स्थिति में पूर्वा अर्थात् अमावस्या युक्त प्रतिप्रदा में ही नवरात्रांरभ करना शास्त्रविहित है।
 
भिन्न मतांतर वाले ज्योतिषी क्या कहते हैं, पढ़ें यहां...क्यों मनाएं चैत्र नवरात्रि पर्व 29 मार्च को? जानिए, कारण...

 
वृद्ध वसिष्ट एवं तिथि चिन्तामणि के अनुसार भी चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा यद्यपि उदयकालिन ही लेनी चाहिए, परन्तु क्षय हो जाने की स्थिति में यदि प्रतिप्रदा सूर्योदयकालीन प्राप्त न हो तो फिर अमावस्या युक्त प्रतिप्रदा में ही नव-संवत्सर और चैत्र नवरात्रांरभ के शुभ कर्तव्य जैसे घटस्थापन, कलश-पूजन संवत्सर पूजन, श्रीदुर्गा पूजादि करना चा‍हिए। 
ALSO READ: विक्रमादित्य : जिनका संवत् आज भी प्रचलित है
इस वर्ष विक्रम संवत् 2074 में 28 मार्च 2017 ई. को प्रातः 8.27 पर चैत्र अमावस्या समाप्त हो रही है तथा चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा तिथि 8.28 से ही प्रारंभ होकर अगले दिन 29 मार्च के सूर्योदय मानक 6.25 से पूर्व 29.45 पर समाप्त होगी जिस कारण चैत्र प्रतिप्रदा का क्षय हुआ माना जाएगा। 
 
इस स्थिति में शास्त्रनियम अनुसार चैत्र वासंत अमावस्या विद्धा प्रतिप्रदा 28 मार्च 2017 ई. मंगलवार को ही मानी जाएगी। 
ALSO READ: जानिए, कैसे निश्चित हुआ वारों का क्रम?
 
भारत के सुदूर उत्तर-पूर्वी राज्यों यथा प. बगांल, बिहार के पूर्वी सीमावर्ती नगरों, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर त्रिपुरा आदि में जहां पर सूर्योदय प्रातः 5घ. 45 मिं. से पहले होगा, वहां पर उदयकालिक प्रतिप्रदा उदय-व्यापनी होगी। इस स्थिति में भी चैत्र नवरात्रारंभ तथा नवसंवत्सरांभ 28 मार्च, मंगलवार से ही माना जाएगा। क्योंकि शास्त्र अनुसार सूर्योदयान्तर 1 मुहूर्त से कम से कम प्राप्त प्रतिप्रदा को त्यागकर दर्शयुता अमावस्या युक्त ही ग्रहण करनी चाहिए।
 
धर्मसिन्धु में ही अन्यत्र अपरान्ह-व्यापिनी प्रतिप्रदा को ही ग्राह्य एवं श्रेयस्कर माना गया है।
 
परन्तु देवीपुराण में श्री दुर्गा पूजन में अमावसयुक्ता प्रतिप्रदा को विशेष प्रशस्त नहीं माना है, परन्तु वहां भी प्रतिप्रदा के संबंध में यह आवश्यक निर्देश है कि द्वितीया युक्त प्रतिप्रदा भी सूर्योदयान्तर कम-से-कम 1 मुहूर्त 2 घडी यानी 48 मिनट होनी चाहिए। 
 
आप अपनी सुविधा से किस दिन मना रहे हैं पर्व, जानिए दोनों दिन के शुभ मुहूर्त: दो दिन है चैत्र प्रतिपदा, जानिए 28 और 29 के शुभ मुहूर्त
 
उक्त विवेचन से स्पष्ट है कि समस्त भारत में सूर्योदय 5.45 से पहले है अर्थात् उद्यकालीन प्रतिप्रदा है। चैत्र वासंत नवरात्रारंभ 28 मार्च 2017 ई. मंगलवार को माना जाएगा।        
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जानिए, कैसे निश्चित हुआ वारों का क्रम?